एक शिक्षक की दो संतान, तीसरी है तो होगी कार्रवाई, टू चाइल्ड पॉलिसी उल्लंघन पर जा सकती हैं नौकरी
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कटनी/ढीमरखेड़ा- शीर्षक पढ़कर दंग मत होना एक शिक्षक की दो से अधिक संतान तो कार्यवाही की लटकेगी तलवार यह कहानी है विकासखण्ड शिक्षा केन्द्र ढीमरखेड़ा की। जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा में कई ऐसे शिक्षक हैं जिनकी दो से अधिक संताने हैं पर जांच आज तक नहीं हुई। जब इस विषय की बात आती हैं तो अधिकारी और कर्मचारी ऊहापोह की स्थिति में रहते हैं। बहरहाल अन्य शिक्षको के द्वारा जानकारी भी छिपा ली जाती है पर अब शिक्षको पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं। वही जिला कटनी में बस कार्यवाही की तलवार नही लटकी अन्यत्र जगहों पर कार्यवाही की तलवार लटक चुकी हैं।
कुछ शिक्षक नहीं जाते स्कूल, दुकानों में बैठकर करते है नेतागिरी
अधिकांश जगहों पर देखा गया हैं कि शिक्षको का अधिकांश समय दुकानों पर नेतागिरी में कटता हैं। दोस्त मित्रों के साथ बैठकर बड़ी – बड़ी बाते की जाती हैं। उनको बच्चों की शिक्षा से कोई मतलब नहीं हैं स्मरण रहे कि इनको भुगतान सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए करती हैं पर ये बच्चों को शिक्षा देने जाते ही नही। कुछ शिक्षको के तो ये हाल हैं कि अलग से तीन हजार भुगतान का शिक्षक रखकर खुद सरकार से पचास हजार का भुगतान ले रहे हैं। जहां बच्चों के साथ अन्याय किया जा रहा है वही शिक्षक मोटी कमाई लेकर लक्ष्मी का ताज पहन रहे हैं। इसी वजह से सरकारी स्कूलों का शिक्षा का स्तर शून्य होता दिख रहा है। बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास नहीं हों पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आय के इतने साधन नहीं हैं कि माता – पिता अपने बच्चों को प्रायवेट स्कूल में पढ़ा सके। सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है जिसके कारण माता – पिता के अपने बच्चों के प्रति सपने कि मेरा बेटा निकट भविष्य में उच्च – पद में पदस्थ होगा सपने, सपने ही रह जाते हैं। अगर शिक्षको के भी बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करे तो हों सकता हैं सरकारी स्कूलों में सुधार हो सके, वरना नहीं लगता है कि सरकारी स्कूलों का सुधार हो पाएगा।
नियम के तहत ये हैं प्रावधान
जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा में नियमों को धत्ता दिखाया जा रहा है। वही शासन के नियमानुसार राजपत्र प्राधिकारी 10 मार्च 2000 को प्रकाशित मध्यप्रदेश सिविल सेवा कि सामान्य शर्त नियम 1961 नियमपक्ष मे संसोधित प्रावधान के अनुसार कोई भी उम्मीदवार जिसकी दो से अधिक संतान है। जिनमें किसी एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके बाद हुआ हैं। वह किसी भी प्रकार की शासकीय सेवा अथवा शासकीय पद के लिए पात्र नहीं होगा। इसके बावजूद जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा के अधिनस्थ स्कूलों में तीसरे संतान वाले शिक्षक नौकरी कर रहे हैं।
नेतागिरी हैं हावी, कार्यालयों में रुक जाती हैं जानकारी
ऐसा नहीं हैं कि कभी प्रशासन ने ऐसे कर्मचारियों की खोज – खबर ना ली हों, लेकिन प्रशासन का पत्र संबंधित कार्यालयों में पहुंचकर धूल – खाने लगता हैं। जिसके चलते शासन के नियमों की अनदेखी कर कई कर्मचारी शासकीय विभागों में नौकरी कर रहे हैं। ढीमरखेड़ा विकासखंड में भी इसी तरह का खेल हुआ हैं। प्रमोशन रोक दिया जाता हैं पर कार्यवाही नहीं की जाती ऐसा लगता हैं जैसे उच्च – अधिकारियो की कृपा दृष्टि बरस रही हैं जो कि इस तरह की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में हैं। सूत्रों के द्वारा बताया गया कि काउंसलिंग के समय हाल ही में इसी तरह की जानकारी सामने आई थीं। जिसमें सूत्रों के आधार पर उच्च माध्यमिक शिक्षक के लिए पात्र रहे लेकिन तीसरी संतान की जानकारी सामने आने पर उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई।