जबलपुर- किसी भी संस्थान का स्टाफ रूम सार्वजनिक जगह नहीं है, इसलिए वहां हुए वाद-विवाद पर एससी-एसटी का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अन्य धाराओं के मुकदमे को भी खारिज कर दिया।
यह विवाद एक स्कूल के स्टाफ रूम से जुड़ा हुआ था। जिसमें एक कर्मचारी ने जातिगत तौर पर अपमानित करते हुए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किए जाने का आरोप दो अन्य कर्मचारियों पर लगाया था। कर्मचारी की शिकायत पर दर्ज मामले को अनावेदकगण ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर उसे रद्द किए जाने का अनुरोध किया था।
तर्क दिया गया कि स्टाफ रूम सार्वजनिक जगह नहीं है, जहां पर कथित अपमान करने का आरोप सहकर्मी ने लगाया है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस विशाल धगट की पीठ ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए माना कि स्टाफ रूम में आम लोगों की एंट्री नहीं होती, इसलिए वह सार्वजनिक जगह की श्रेणी में नहीं है। एससी-एसटी एक्ट की धारा के तहत सार्वजनिक रूप से किसी को जातिगत आधार पर अपमानित करना और डराना आता है। जो इस मामले में नहीं होने से कोर्ट ने प्रकरण निरस्त करने का आदेश पारित किया। हाई कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के साथ धारा 294 अभद्र व्यवहार और 506 धमकाने के मुकदमे को भी निरस्त कर दिया। आदेश में कहा गया कि शिकायतकर्ता ने यह उल्लेख नहीं किया था कि वह इस घटना से अत्यधिक डर गया था। हाई कोर्ट ने शहडोल की ट्रायल कोर्ट में चल रही पूरी कार्यवाही को ही निरस्त कर दिया।