मध्यप्रदेशराजनीति

धान परिवहन में तेजी लाने जनपद सदस्य शैलेंद्र पौराणिक एवं वरिष्ठ नेता सिद्धार्थ दीक्षित ने एसडीएम को सौंपा पत्र विकास खंड ढीमरखेड़ा के 15 केंद्रों मे से कई केन्द्रों में धान की तुलाई हुई बंद, भुगतान एवं परिवहन नहीं होने से किसान परेशान किसानों को खाद बीज गेहूं की बुवाई के लिए बिचौलियों से मजबूरी में सौदा कर कर्ज लेकर या अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है 

कलयुग की कलम से राकेश यादव

धान परिवहन में तेजी लाने जनपद सदस्य शैलेंद्र पौराणिक एवं वरिष्ठ नेता सिद्धार्थ दीक्षित ने एसडीएम को सौंपा पत्र विकास खंड ढीमरखेड़ा के 15 केंद्रों मे से कई केन्द्रों में धान की तुलाई हुई बंद, भुगतान एवं परिवहन नहीं होने से किसान परेशान किसानों को खाद बीज गेहूं की बुवाई के लिए बिचौलियों से मजबूरी में सौदा कर कर्ज लेकर या अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है 

कलयुग की कलम ढीमरखेड़ा-प्रशासनिक अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण किसानों को अपनी उपज बचने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है भारत में कृषि न केवल अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह लाखों किसानों और उनके परिवारों की आजीविका का मुख्य स्रोत भी है। देश की अधिकांश जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। ऐसे में धान जैसी प्रमुख फसल के परिवहन में हो रही देरी किसानों के लिए एक चुनौती बन गई हैं इसके साथ ही धान का परिवहन नहीं होने से कई केन्द्रों में धान की तुलाई बंद कर दी गई है। इस गंभीर समस्या को लेकर विगत दिवस उमरियापान जनपद सदस्य शैलेन्द्र पौराणिक एवं सिद्धार्थ दीक्षित द्वारा एसडीएम ढीमरखेड़ा विंकी सिंहमारे को पत्र सौंपा गया 

जनपद सदस्य शैलेन्द्र पौराणिक द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में मुख्य मुद्दा यह बताया गया है कि समय पर धान का परिवहन न होने के कारण किसानों को उनकी फसल का भुगतान नहीं मिल रहा है। यह भुगतान उनकी दैनिक आवश्यकताओं, ऋण की अदायगी, और आगामी फसल के लिए निवेश का मुख्य स्रोत है। धान के बाद गेहूं की बुवाई का समय आता है। यदि किसानों को समय पर धान का भुगतान नहीं मिलता, तो उनके लिए खाद, बीज, और अन्य कृषि सामग्रियों की खरीद मुश्किल हो जाती है। यह आगामी फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किसान, जिनकी पहले से ही सीमित आय होती है, परिवहन में देरी के कारण अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साहूकारों या बैंकों से कर्ज लेने पर मजबूर हो जाते हैं। यह उनकी ऋणग्रस्तता को और बढ़ा देता है। यदि धान का परिवहन देरी से होता है, तो उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है, जिससे बाजार में मूल्य कम हो जाता है। इससे किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य से वंचित रहना पड़ता है। कृषि पर निर्भर परिवारों के लिए यह देरी आजीविका का संकट बन जाती है। बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और अन्य आवश्यकताओं पर असर पड़ता है। समय पर भुगतान न होने और आर्थिक तंगी के कारण किसान मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में, यह तनाव आत्महत्या जैसे गंभीर कदमों तक ले जा सकता है। जनपद सदस्य शैलेन्द्र पौराणिक एवं कांग्रेस नेता सिद्धार्थ दीक्षित के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा को पत्र सौँपकर तत्काल इस समस्या के निराकरण की मांग की गई है यदि समस्या का समाधान नहीं होता तो आगे मजबूरी में किसानों को सड़क पर आना पड़ेगा फिर सभी जिम्मेदारियां प्रशासन की होगी।

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