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एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कारनामा, 5 साल में वसूला 20 करोड़ जुर्माना, पर्यावरण पर धेला भी खर्च नहीं, खुली पोल तो अफसर बनाने लगे बहाने

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की खास रिपोर्ट

पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदार मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बड़ी लापरवाही सामने आई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सेंट्रल जोन बेंच भोपाल ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर कई प्रकरणों में 5 साल में 20.77 करोड़ रुपए जुर्माना वसूला। एन्वायरमेंट कंपनसेशन (ईसी) की यह राशि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पर्यावरण पर खर्च करना थी। लेकिन बोर्ड ने नहीं किया। हद यह कि 5 साल में इस राशि से सिर्फ 18 लाख (1%) खर्च किए। यह भी पर्यावरण पर नहीं, लीगल काम में किया। इसी अवधि में छत्तीसगढ़ ने 12% और राजस्थान ने 83% राशि पर्यावरण संबंधी काम में खर्च किए।

पोल खुली तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर बहाने बना रहे हैं। उनका कहना है, ईसी फंड तो है, लेकिन खर्च करने के स्पष्ट नियम नहीं हैं। इसलिए खर्च नहीं हुए। जबकि हकीकत यह है कि एनजीटी आदेश में संबंधित क्षेत्र के पर्यावरण सुधार के लिए खर्च करने के निर्देश देती है।

तीनों राज्यों में क्या हुआ ईसी फंड का उपयोग

मध्यप्रदेश- ईसी फंड से एनजीटी की गठित समिति सदस्यों को वेतन और मानदेय दिए। लीगल फीस और अधिवक्ताओं की फीस चुकाई। आकस्मिक काम पर खर्च।
छत्तीसगढ़- कबीरधाम जिले की पोंडी में ऑक्सीजोन, कॉलेजों में 100 इको क्लब, नाला विकास व 4 तालाबों का गहरीकरण, सफाई में ईसी फंड का उपयोग।
राजस्थान- स्टेट हाईवे-25 के दोनों ओर पौधरोपण और धूल जमाव को नियंत्रित किया। सांगानेर में सीवर पाइपलाइन, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण की कार्ययोजना, हवा की गुणवत्ता सुधारने के प्रयास, पर्यावरण की निगरानी के लिए वाहन खरीद, ओजोन दिवस का आयोजन, नवनियुक्त पर्यावरण और विधि अफसरों को ट्रेनिंग।

एनजीटी ने मांगा हिसाब तब खुला राज

एन्वायरमेंट कंपनसेशन (ईसी) के उपयोग में एनजीटी सेंट्रल जोन में आने वाले तीनों राज्यों में राजस्थान सबसे आगे है। यहां पांच साल में 25.79 करोड़ रुपए ईसी वसूला। इसमें से 21.34 करोड़ (83%) का उपयोग किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में भी ईसी फंड का 12% उपयोग किया गया। लेकिन मप्र इसमें फिसड्डी रहा। एनजीटी ने जब एक प्रकरण में इसका लेखाजो खा मांगा, तब खुलासा हुआ। बता दें, एनजीटी ईसी वसूली और इसे खर्च करने की जिम्मेदारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपता है। लेकिन बोर्ड ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

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