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बड़ी खबर: बालाघाट जिले में पूर्व विधायक का नामांकन हुआ निरस्त, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, नामांकन को लेकर कांग्रेस नेता और जनपद उपाध्यक्ष ने लगाई थी आपत्ति

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

भोपाल/बालाघाट- मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 से जुड़ी एक बड़ी खबर बालाघाट जिले से सामने आ रही है। बालाघाट जिले में एक पूर्व विधायक का नामांकन निरस्त कर दिया गया है जिसके बाद अब पूर्व विधायक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। पूर्व विधायक के नामांकन को लेकर कांग्रेस नेता और जनपद उपाध्यक्ष ने आपत्ति लगाई थी जिसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने पूर्व विधायक से जवाब मांगा था और जवाब मिलने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने उनका नामांकन निरस्त करने का फैसला लिया है।

पूर्व विधायक का नामांकन निरस्त, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे संयुक्त क्रांति पार्टी के प्रत्याशी पूर्व विधायक किशोर समरिते का नामांकन निरस्त कर दिया गया है। जिसके बाद अब किशोर समरिते साल 2023 में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। समरिते के नामांकन को लेकर कांग्रेस नेता और जनपद उपाध्यक्ष अजय अवसरे ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद किशोर समरिते से जवाब मांगा गया था, जवाब की समीक्षा में जवाब संतोषजनक नहीं होने पर रिर्टनिंग अधिकारी ने समरिते का नामांकन निरस्त कर दिया है।

रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया क्यों निरस्त हुआ नामांकन

रिर्टर्निंग अधिकारी ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) में स्पष्ट है कि कोई भी अभ्यार्थी जिसे कम से कम 02 वर्ष की सजा एवं उससे अधिक अवधि से दंडित किया गया है, तो विधानसभा और संसदीय निर्वाचन के लिए अयोग्य होगा, यदि उसके द्वारा यह सजा भुगत ली गई तो रिहाई की तारीख से आगामी 06 वर्ष तक के लिए नियंत्रता बनी रहेगी। मामले में साफ था कि अभ्यर्थी किशोर समरिते की सजा माफ नहीं की गई है केवल सजा के निष्पादन पर रोक है।

नामांकन निरस्त होने पर ये बोले समरिते

बता दें कि लांजी विधानसभा सीट पर किशोर समरिते बड़ा नाम है। वे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक भी बने थे। नामांकन निरस्त होने पर उन्होंने कहा कि उन्हें 22 दिसंबर 2009 को 6 साल की सजा हुई थी। जिसकी अपील, अभी लंबित है। चूंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर भी माननीय न्यायालय का निर्णय आया है लेकिन उसमें अभी स्टे है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि पांच साल की सजा का पीरियड यदि पूरा हो गया है तो उसे अयोग्य करने का कोई नियम नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा ही था तो मुझे 2019 में लोकसभा का चुनाव क्यों लड़ने दिया गया। उस वक्त संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। समरिते ने कहा कि इस मामले में वह इलेक्शन कमेटी से बात करेंगे। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है और यह मेरे अधिकारों के खिलाफ है।

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