आस्थामध्यप्रदेश

सिलौंडी में धूमधाम से निकला दुर्गा प्रतिमाओं का चल समारोह, भक्तों ने दी मां को भावभीनी विदाई, चल समारोह के दौरान पुलिस प्रशासन रहा चौकन्ना

कलयुग की कलम से राकेश यादव

सिलौंडी में धूमधाम से निकला दुर्गा प्रतिमाओं का चल समारोह, भक्तों ने दी मां को भावभीनी विदाई, चल समारोह के दौरान पुलिस प्रशासन रहा चौकन्ना

कलयुग की कलम सिलौंडी – नवरात्रि समापन और दशहरा पर्व के अवसर पर सिलौंडी क्षेत्र में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का भव्य चल समारोह बड़ी ही श्रद्धा और उत्साह के साथ निकाला गया। देवी भक्तों ने “अब विदा होने की बेला आई है मां” जैसे भावनात्मक गीतों और जयकारों के साथ मां दुर्गा को अश्रुपूरित विदाई दी। पूरे नगर में वातावरण भक्तिमय और उल्लासपूर्ण बना रहा।

सुबह से ही श्रद्धालु देवी मां की पूजा-अर्चना, हवन और कन्या पूजन में जुटे रहे। विभिन्न पूजा पंडालों में धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न किए गए और विश्व शांति एवं कल्याण की कामना के साथ आहुति दी गई। कन्या भोज और विशाल भंडारों का भी आयोजन हुआ, जिनमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

शाम होते ही देवी प्रतिमाओं का चल समारोह शुरू हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। पूरा नगर ‘जय माता दी’ और ‘मां अम्बे के जयकारों’ से गूंज उठा। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने प्रतिमाओं का फूल-मालाओं से स्वागत किया। चल समारोह में पारंपरिक संस्कृति की झलक भी देखने को मिली। काली माता के रूप में सजे कलाकार नृत्य करते हुए आगे बढ़ रहे थे, वहीं पंडा खप्पर लेकर परंपरागत नृत्य करते नजर आए। इन झांकियों और प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।

डीजे की भक्ति धुनों पर युवा, बच्चे और बुजुर्ग मां की झांकी के साथ झूमते हुए नगर भ्रमण करते रहे। चल समारोह के मार्ग में जगह-जगह भंडारों की व्यवस्था की गई थी, जहां भक्तजन प्रसाद ग्रहण कर देवी मां को नमन करते हुए आगे बढ़ते रहे। श्रद्धा और उमंग से भरा यह माहौल देर रात तक बना रहा।

पूरे विसर्जन कार्यक्रम में पुलिस और प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था सराहनीय रही। तहसीलदार आकांक्षा चौरसिया, थाना प्रभारी अभिषेक चोबे, चौकी प्रभारी विष्णु शंकर जायसवाल सहित राजस्व विभाग और पुलिस बल के अधिकारियों ने पूरे मार्ग पर पैदल भ्रमण कर शांति व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके दिशा-निर्देश और सतर्कता के कारण कार्यक्रम बिना किसी अव्यवस्था के संपन्न हुआ।

चल समारोह नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए विभिन्न पूजा पंडालों तक पहुंचा। श्रद्धालुओं की भीड़ जगह-जगह पर इकट्ठा होकर देवी मां के दर्शन करती रही। उत्सव में न केवल स्थानीय नागरिक बल्कि आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। देवी मां को विदाई देते समय भक्तों की आंखें नम थीं, लेकिन अगले वर्ष पुनः मां के आगमन की आशा से उनके चेहरों पर खुशी भी झलक रही थी।

कलात्मक प्रस्तुतियों ने भी चल समारोह की शोभा बढ़ाई। बच्चों और युवाओं ने पारंपरिक नृत्य एवं नाट्य प्रस्तुतियां दीं, वहीं बुजुर्गों ने भी भक्ति गीतों से माहौल को और अधिक पावन बना दिया। कई स्थानों पर आकर्षक झांकियां सजाई गईं जो धार्मिक और सामाजिक संदेश भी देती नजर आईं।रात देर तक विसर्जन का क्रम चलता रहा। श्रद्धालुओं ने नदी और कुंडों में विधिविधान से देवी प्रतिमाओं का विसर्जन किया। इस दौरान ‘मां फिर जल्दी आना’ के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा।

सिलौंडी में हर वर्ष की तरह इस बार भी दुर्गा विसर्जन उत्सव ने धार्मिक आस्था, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का संदेश दिया। चल समारोह के माध्यम से न केवल मां दुर्गा को विदाई दी गई, बल्कि समाज में एकता, सहयोग और संस्कारों के संरक्षण की भावना को भी पुनः जागृत किया गया। श्रद्धा, भक्ति और उत्साह से ओतप्रोत यह आयोजन लंबे समय तक लोगों की स्मृतियों में अंकित रहेगा।

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