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टोला बरेली सड़क का डामर फिर उधड़ा , एक वर्ष में दूसरी बार सड़क हुई जर्जर, ग्रामीण परेशान निर्माण के समय ही छाई रहीं अनियमितताएं

कलयुग की कलम से राकेश यादव

टोला बरेली सड़क का डामर फिर उधड़ा , एक वर्ष में दूसरी बार सड़क हुई जर्जर, ग्रामीण परेशान निर्माण के समय ही छाई रहीं अनियमितताएं

कलयुग की कलम उमरिया पान – ग्राम टोला से बरेली गांव तक लगभग दो किलोमीटर लंबाई वाली सड़क का डामरीकरण वर्ष 2024 में बड़े दावों और वादों के साथ किया गया था । जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह सड़क ग्रामीणों के लिए सहूलियत और बेहतर आवागमन का जरिया बनकर उभरनी थी, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट सामने आ रही है। सड़क का डामर महज़ एक वर्ष के भीतर दूसरी बार जगह-जगह से उखड़ गया है, जिससे न केवल निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि विभागीय लापरवाही भी खुलकर सामने आ रही है।

*पहले भी हुआ था सुधार, फिर भी दोबारा उखड़ा डामर*

सड़क निर्माण के कुछ ही महीनों बाद पहली बार डामर उधड़ने की शिकायतें सामने आई थीं। उस समय संबंधित विभाग ने खानापूरी करते हुए औपचारिक तौर पर गड्ढों को भरकर सुधार कार्य तो कर दिया था, लेकिन समस्याओं की जड़ तक नहीं पहुँचा गया। नतीजा यह है कि अब एक वर्ष पूरा होने से पहले ही सड़क पर फिर से कई स्थानों पर गिट्टी और उधड़ा डामर साफ दिखाई देने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब पहली बार डामर उखड़ा था, तब भी उन्होंने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया था, लेकिन सुधार कार्य गंभीरता के बजाय औपचारिकताओं के नाम पर किया गया। यही वजह है कि हल्की बारिश, वाहनों की आवाजाही और निर्माण मानकों की अनदेखी के चलते सड़क अब पुनः उखड़कर खस्ताहाल हो चुकी है।

*निर्माण के समय ही छाई रहीं अनियमितताएं*

स्थानीय लोगों का स्पष्ट आरोप है कि सड़क निर्माण के दौरान ही कई अनियमितताएं सामने आई थीं। सड़क किनारों की सही तरीके से सघनता नहीं की गई।डामर की मोटाई और गुणवत्ता को लेकर संदेह जताया गया।मेंटेनेंस और निगरानी में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही साफ नजर आई।स्थानीय निवासियों का कहना है कि एक करोड़ रुपये जैसी भारी राशि खर्च होने के बावजूद सड़क एक वर्ष भी ठीक नहीं रह सकी, यह सीधा संकेत है कि निर्माण मानकों को दरकिनार कर किया गया है।

*अधिकारियों की चुप्पी बढ़ा रही नाराज़गी*

सबसे चिंताजनक बात यह है कि सड़क दोबारा उखड़ने के बाद भी संबंधित अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न तो साइट निरीक्षण किया गया, न ही ठेकेदार या कार्य एजेंसी से जवाब-तलब हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायतें देने के बावजूद मामले को नजरअंदाज किया जा रहा है, मानो ग्रामीणों की परेशानियां किसी की प्राथमिकता में ही नहीं हैं। डामर उखड़ने के कारण सड़क पर कई जगह खतरे की स्थिति बन गई है। गिट्टियां बिखरने से बाइक चालकों को फिसलने का डर रहता है। बरसात के मौसम में यह समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है।

*श्रद्धालुओं के लिए भी बना बड़ा अवरोध*

यह सड़क केवल ग्रामीणों के दैनिक आवागमन तक सीमित नहीं है। उमरियापान सहित आसपास के क्षेत्रों से सिद्ध स्थल भरभरा आश्रम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का मुख्य मार्ग भी यही सड़क है। श्रद्धालुओं की लगातार आवाजाही होने के बावजूद सड़क की उपेक्षा समझ से परे है। त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों के समय इस मार्ग पर वाहनों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है, ऐसे में सड़क की यह स्थिति दुर्घटनाओं को दावत देती है।

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