मध्यप्रदेश

होली पर यहां है अजब परंपरा, होलिका दहन करके उसी के अंगारों पर चलते हैं इस गांव के लोग, ये आस्था या अंधविश्वास, देखें वीडियो

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

रायसेन- देशभर में आज रंगों के इस पर्व होली को बड़े होर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। खा बात ये है कि होली एक ऐसा त्योहार है, जिसे देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग मान्यताओं और परंपराओं के तहत भी मनाया जाता है। यही नहीं कहीं ये होली फूलों से तो कहीं रंगों से खेली जाती है। लेकिन आज हम आपको होली की एक ऐसी अजीब परंपरा के बारे में बता रहे हैं, जिसे देख आप हैरान रह जाएंगे।
क्या आपने कभी किसी को होलिका दहन करके उसी के अंगारों पर चलकर होली खेलने के बारे में सुना है। आप कहेंगे, भला ऐसे भी होली खेली जा सकती है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सिलवानी में अनोखे तरीके से होली मनाई जाती है। यहां होलिका दहन के बाद स्थानीय लोग आग के शोलों को जमीन पर फैला देते हैं। फिर उन्हीं अंगारों पर वो नंगे पांव चलते हैं। ये अनोखी परंपरा कई सालों से यहां चली आ रही है। इस परंपरा के लोगों का मानना है कि, होलिका के अंगारों पर नंगे पांव चलने से प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियां टल जाती हैं।

धधकते अंगारों पर ऐसे चलते हैं यहां के लोग, देखें वीडियो-

जिले के सिलवानी तहसील में स्थित ग्राम चंद्रपुरा और महगवां में अनोखे ढंग से होली मनाई जाती है। आग के शोलों में नंगे पैर चलने की परंपरा चंद्रपुरा में करीब 15 सालों से चली आ रही है, जबकि मेंहगवा में यही परंपरा लोग बीते 500 सालों से मना रहे हैं। होली का त्योहार परंपराओं का समागम है। लोगों का मानना है कि इससे ग्रामीण प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियों से दूर रहते हैं। आस्था और श्रद्धा के कारण ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर चलते हैं।

एक हजार की आबादी, मानती है परंपरा

आस्था और श्रद्धा के कारण ग्रामीण धड़कते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर चलने पर इन लोगों को कोई डर भी नहीं लगता। ग्रामीणों की आस्था का आलम ये है कि बच्चों से लेकर महिलाएं, बुजुर्ग तक अंगारों पर नंगे पैर चलती नजर आ जाती हैं। एक और विशेष धारण ये भी है कि इन अंगारों पर चलने से संबंधित शख्स के पैर जलते तक नहीं हैं। सभी ग्रामीण बारी-बारी से आग पर चलते हैं। ग्राम महगवा में 100 से अधिक मकान है और मौजूदा आबादी करीब 1 हजार है। वहां हर साल होलिका दहन के बाद सभी ग्रामीण धड़कते अंगारों के बीच से नंगे पैर निकलते हैं।

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