प्रशासनमध्यप्रदेश

मुख्यमंत्री लेगे संज्ञान और फूड इंस्पेक्टर बृजेश जाटव के रिश्वत की करवाएंगे जांच , फूड इंस्पेक्टर पर विक्रेताओं ने लगाए रिश्वत मांगने के आरोप, कहा- प्रताड़ना की वजह से आत्महत्या करने को मजबूर, फूड इंस्पेक्टर मनमानी के तहत कर रहा जांच अपने आपको समझ बैठा न्यायकर्ता

कलयुग की कलम से सोनू त्रिपाठी की रिपोर्ट

उमरियापान- ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र में राशन वितरण से जुड़े विक्रेताओं ने आरोप लगाया है कि फूड इंस्पेक्टर बृजेश जाटव रिश्वत मांगते हैं और उनकी प्रताड़ना से विक्रेताओं की मानसिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। विक्रेताओं का आरोप है कि बृजेश जाटव ने बिना किसी वैध कारण के विक्रेताओं पर अनावश्यक कार्रवाई की है, जिसमें उनसे 20,000 रुपये की मांग की गई थी, और जब यह राशि नहीं दी गई, तो उनके खिलाफ फर्जी शिकायतें दर्ज कराई गईं। इस प्रकार की घटनाओं ने विक्रेताओं के बीच एक भय और तनाव का माहौल बना दिया है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और जीवन की शांति प्रभावित हुई है।

इस्तीफे और आत्महत्या की धमकियाँ

बरही और पोंडी खुर्द ग्राम के विक्रेता सनिल पटेल ने तो प्रताड़ना से तंग आकर इस्तीफा तक दे दिया था। हालांकि, विभाग ने इस इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया। विक्रेताओं का कहना है कि फूड इंस्पेक्टर के दबाव के कारण उनकी मानसिक स्थिति बहुत खराब हो गई है, और उन्हें आत्महत्या करने तक की धमकियां दी जा रही हैं। विक्रेताओं की इन शिकायतों ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया है और विभाग के भीतर तनाव बढ़ गया है। विक्रेताओं का कहना है कि इंस्पेक्टर की प्रताड़ना और रिश्वतखोरी के कारण वे आर्थिक और मानसिक संकट का सामना कर रहे हैं, जिससे उनकी जीविका पर भी असर पड़ा है।

आरोपों की प्रतिक्रिया में फूड इंस्पेक्टर की सफाई

इन गंभीर आरोपों के जवाब में फूड इंस्पेक्टर बृजेश जाटव ने विक्रेताओं के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका 11 साल का करियर बिल्कुल साफ-सुथरा रहा है, और इस दौरान उन पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि जो भी कार्रवाई की गई है, वह पूरी तरह से नियमों के अनुसार की गई है और इसका उद्देश्य गरीबों को मिलने वाले राशन वितरण में हो रही गड़बड़ियों को सुधारना है। बृजेश जाटव ने यह भी कहा कि जो भी कदम उठाए गए हैं, वे राशन वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए उठाए गए हैं। उनका कहना है कि विक्रेताओं द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और वे मानहानि का दावा करने की सोच रहे हैं।

भ्रष्टाचार और मिलीभगत के आरोप

विक्रेताओं के इन आरोपों ने जिला प्रशासन और खाद्य विभाग के अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। विक्रेताओं का कहना है कि नीचे से ऊपर तक के अधिकारी बिना लेनदेन के कोई काम नहीं कर रहे हैं। इस प्रकार का भ्रष्टाचार न केवल राशन वितरण प्रणाली को कमजोर कर रहा है, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों तक उचित समय पर खाद्यान्न पहुंचाने में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है। इन आरोपों से स्पष्ट होता है कि फूड इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों के बीच एक गहरी मिलीभगत हो सकती है, जोकि पूरी खाद्य वितरण प्रणाली को प्रभावित कर रही है।

विक्रेताओं की मांग और कलेक्टर से शिकायत

ढीमरखेड़ा तहसील के राशन दुकानों के विक्रेताओं ने सितंबर माह में कलेक्टर, एसडीएम और खाद्य विभाग के अधिकारियों से इस मामले की शिकायत की थी। विक्रेताओं ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके खिलाफ की जा रही अनावश्यक कार्रवाई से बचने के लिए उन पर रिश्वत देने का दबाव डाला जा रहा है। इस मामले में विशेष रूप से विक्रेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि फूड इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और विक्रेताओं के आरोपों की गहन जांच की जानी चाहिए। जिला अध्यक्ष ने कलेक्टर से यह मांग की है कि फूड इंस्पेक्टर द्वारा किए गए सभी आरोपों की विक्रेताओं की उपस्थिति में दोबारा जांच की जाए। विक्रेताओं का कहना है कि उनकी अनुपस्थिति में किए गए फैसले और लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं और इन्हें सही तरीके से दोबारा जांचा जाना चाहिए।

जातिगत भेदभाव और कार्यशैली पर सवाल

विक्रेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि फूड इंस्पेक्टर बृजेश जाटव अपनी कार्यवाही में केवल ब्राह्मण जाति के लोगों को टारगेट करते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं। इस प्रकार के आरोप फूड इंस्पेक्टर की कार्यशैली और उनकी नैतिकता पर सवाल खड़े करते हैं। अधिकारियों ने भी इस बात पर चिंता जताई है कि बृजेश जाटव की कार्यवाही प्रतिष्ठित लोगों की छवि को धूमिल कर रही है और यह उनके करियर के लिए भी एक गंभीर खतरा बन सकता है।

फूड इंस्पेक्टर पर लगाए गए आरोपों का असर

विक्रेताओं द्वारा लगाए गए इन आरोपों का न केवल फूड इंस्पेक्टर के करियर पर, बल्कि पूरी खाद्य वितरण प्रणाली पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस मामले की गहराई से जांच करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गरीबों तक खाद्यान्न सही समय पर पहुंचे और किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी इस प्रक्रिया को बाधित न कर सके।

Related Articles

Back to top button