मध्यप्रदेश

अधारताल तहसीलदार के खिलाफ FIR के विरोध में जबलपुर जिले के समस्त तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने बंद किया काम, अवकाश पर गए

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

जबलपुर- अधारताल तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे के खिलाफ नामांतरण के प्रकरण में दर्ज एफआइआर और गिरफ्तारी के विरोध में जबलपुर सहित प्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदार लामबंद हो गए हैं। उन्होंने कार्यवाही को खारिज करने की मांग को लेकर बुधवार को संबंधित तहसीलों के एसडीएम को ज्ञापन दिया। इसके बाद जिले के राजस्व अधिकारी अनिश्चितकाल के लिए अवकाश पर चले गए।

धुर्वे पर कलेक्टर के निर्देश पर एफआइआर दर्ज कराई गई थी। इसमें बताया गया था कि तहसीलदार धुर्वे ने 54 साल पहले की फर्जी वसीयत के जरिए रैगवां की ढाई एकड़ जमीन का नामांतरण कर दिया था। यह काम पटवारी जागेंद्र पिपरे, कार्यालय में पदस्थ कप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे के साथ मिलकर किया गया। इस मामले में अधारताल एसडीएम शिवाली सिंह ने तहसीलदार, पटवारी, ऑपरेटर के साथ जमीन खरीदारों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने और साजिश रचने की धाराओं में थानें में प्रकरण दर्ज कराया था।

मध्यप्रदेश पटवारी संघ ने इस कार्रवाई को अनुचित करार दिया है। इसके लिए जबलपुर सहित प्रदेशभर के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने एसडीएम को राजस्व मंत्री के नाम ज्ञापन दिया। उनका कहना था कि वे राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी के रूप में काम करते हैं। इस तरह उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करना और गिरफ्तारी नियमों के विपरीत है। उनका आरोप है कि जबलपुर कलेक्टर की तरफ से शासन के परिपत्र, न्यायालयों के निर्णय एवं न्यायिक संरक्षण अधिनियम, सिविल सेवा आचरण अधिनियम को दरकिनार किया गया है। उन्होंने इस कार्यवाही के निरस्त होने तक अनिश्चितकालीन अवकाश रहने की बात कहते हुए बुधवार से काम बंद कर दिया।

पटवारियों ने भी दिया ज्ञापन

इधर मध्यप्रदेश पटवारी संघ की तरफ से भी एक ज्ञापन कलेक्टर के नाम दिया गया। इसमें कहा गया कि पटवारी जागेंद्र पिपरी के खिलाफ विभागीय जांच के बगैर दर्ज कराई गई एफआइआर नियमों के विपरीत है। जिला इकाई की ओर से दिए गए ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि वर्तमान में जिले में उच्च अधिकारियों की ओर से न्यायालयीन कार्यों को शिविर मोड में परिवर्तित किया जा रहा है। जांच प्रतिवेदन व अन्य कार्य में जल्दबाजी कराई जा रही है। यह न्यायालयीन प्रक्रिया का दमन है।

हम सभी गलत के साथ नहीं हैं लेकिन जबलपुर जिला प्रशासन की ओर से इस कार्यवाही में अपनाई गई प्रक्रिया के खिलाफ हैं। एसडीएम और तहसीलदार क्लास-2 अधिकारी हैं। तो एक अधिकारी दूसरे पर एफआइआर कैसे दर्ज करवा सकता है। इसके लिए भी राजस्व मंत्री का अनुमोदन जरूरी है। इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर प्रदेश के सभी 55 जिलों में तहसीलदार-नायब तहसीलदार अनिश्चितकाल के लिए अवकाश पर चले गए हैं।

गुलाब सिंह बघेल, प्रांताध्यक्ष, मप्र राजस्व अधिकारी संघ

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