आस्थामध्यप्रदेश

संत श्री बाल संत जी महाराज के सानिध्य में आयोजित श्रीराम कथा, अखंड संकीर्तन और रामयज्ञ का आध्यात्मिक आयोजन, सिद्धस्थली कटाव धाम की आस्था और अध्यात्म का महापर्व

कलयुग की कलम से राकेश यादव

संत श्री बाल संत जी महाराज के सानिध्य में आयोजित श्रीराम कथा, अखंड संकीर्तन और रामयज्ञ का आध्यात्मिक आयोजन, सिद्धस्थली कटाव धाम की आस्था और अध्यात्म का महापर्व

ढीमरखेड़ा | भारतवर्ष में संतों की परंपरा अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली रही है। यह भूमि ऋषि-मुनियों, तपस्वियों और संतों की कर्मभूमि रही है, जिन्होंने अपनी साधना और तपस्या से न केवल स्वयं का आत्मकल्याण किया, बल्कि समस्त मानवता को धर्म और सत्य की राह दिखाई। इसी परंपरा की एक तेजस्वी कड़ी हैं श्री सिद्धन धाम लोढ़ा पहाड़ आश्रम के संत बाल संतजी महाराज, जिनके पावन सानिध्य में मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले की मझौली तहसील स्थित कटाव धाम में भव्य श्रीराम यज्ञ, श्रीराम कथा, और सीताराम अखंड संकीर्तन का आयोजन किया गया। यह आयोजन रामनवमी से हनुमान जन्मोत्सव तक, यानी 6 अप्रैल से 13 अप्रैल 2025 तक चलेगा। यह धार्मिक आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि जनमानस को धर्म, सेवा, भक्ति और आत्मिक शांति का संदेश देने वाला एक ऐतिहासिक अवसर है।
*कटाव धाम आस्था का केंद्र और संतों की तपोभूमि*
कटाव धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, यह एक सिद्ध स्थली है। विंध्य पर्वत श्रृंखला के अंतिम छोर पर बसा यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यहां के चारों ओर फैले विशाल पहाड़, कल-कल करती नदियां, दुर्गम रास्ते और घने जंगल इसे अद्वितीय बनाते हैं। कटाव धाम की मान्यता है कि यह क्षेत्र सनातन काल से तपस्वियों, योगियों और महान संतों की तपोभूमि रहा है। इसी भूमि पर बाल संतजी महाराज ने अपने तप और साधना से इस स्थान की न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत किया, बल्कि यहां के निर्माण कार्यों और जनसेवा के माध्यम से इसे एक जीवंत तीर्थ बना दिया।

धार्मिक आयोजन का शुभारंभ रामनवमी पर पूजन, कलश यात्रा और चुनरी यात्रा

6 अप्रैल को रामनवमी के पावन अवसर पर पूरे क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल था। बाल संतजी महाराज के पावन सानिध्य में पूजा-अर्चना की गई। फिर कलश यात्रा और विशाल चुनरी यात्रा का आयोजन किया गया, जो लाल मंदिर से प्रारंभ होकर कटाव धाम स्थित सभी मंदिरों में भ्रमण करती हुई सम्पन्न हुई। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु श्रद्धा से झूमते, नाचते और जयकारे लगाते हुए शोभा यात्रा में सम्मिलित हुए। सीताराम अखंड संकीर्तन का शुभारंभ बाल संतजी महाराज के सीताराम गायन से हुआ, जिसने भक्तों को गहन भक्ति और आत्मिक आनंद की अवस्था में पहुँचा दिया।

श्रीराम कथा का आयोजन और महंत सीता राम शरण जी महाराज का वाचन

धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में सबसे प्रमुख आयोजन रहा श्रीराम कथा का। इस पावन कथा का वाचन महंत श्री सीता राम शरण जी महाराज के द्वारा किया जा रहा है, जिनका वाणी में मधुरता, अनुभव में गहराई और जीवन में संतत्व है। श्रीराम कथा में भगवान राम के जन्म, बाल लीलाओं, वनवास, राक्षसों के वध, माता सीता का हरण, हनुमानजी की भक्ति, लंका विजय और अंततः अयोध्या वापसी के प्रसंगों का वर्णन अत्यंत भावविभोर कर देने वाला रहा। श्रद्धालुओं ने कथा सुनते-सुनते अपनी आंखों से अश्रुधारा बहाई और प्रभु के नाम में लीन हो गए।

संत श्री बाल संतजी महाराज और कटाव धाम का विशेष संबंध

बाल संतजी महाराज का कटाव धाम से अत्यंत गहरा आत्मिक लगाव है। यह स्थल उनकी तपस्थली रही है। संत श्री के चरण जब इस स्थान पर पड़े, तब यह केवल एक बीहड़ और दुर्गम स्थान था। परंतु उनके सानिध्य और दिशा-निर्देश में यहां अनेक मंदिरों, यज्ञशाला और घाटों का निर्माण हुआ। विशेष बात यह है कि पहाड़ की चोटी पर निर्मित यज्ञशाला, जो दूर-दूर से भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करती है, संत श्री की दूरदर्शिता और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है। जो लोग यहां आते हैं, वे देखकर हैरान रह जाते हैं कि इतनी दुर्गम जगह में इतना सुंदर, व्यवस्थित और आध्यात्मिक वातावरण कैसे निर्मित हुआ।

भक्तों की आस्था और श्रद्धा का सैलाब

कटाव धाम में आयोजित इस आयोजन की जानकारी मिलते ही केवल जबलपुर नहीं, बल्कि दमोह, नरसिंहपुर, सीधी, सतना, रीवा, छिंदवाड़ा, बालाघाट जैसे विभिन्न जिलों से भक्तों का तांता लग गया।भक्तों ने आयोजन स्थल पर रात भर डेरा डाल लिया और श्रीराम संकीर्तन, प्रवचन, आरती और भजन में भाग लिया। इतनी भीड़ और श्रद्धा भरे वातावरण में भक्तजन एक-दूसरे की सेवा करते देखे गए। सेवा कार्यों में युवाओं से लेकर वृद्धों तक ने तन-मन-धन से योगदान दिया।

प्राकृतिक सौंदर्य और तीर्थाटन का केंद्र, वर्ष भर बना रहता है आकर्षण

कटाव धाम न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। विशेषकर वर्षा ऋतु में जब पर्वत श्रृंखलाएं हरियाली की चादर ओढ़ लेती हैं, और नदियों में जलधारा प्रवाहित होती है, तब यह स्थल अत्यंत मनोहारी प्रतीत होता है। सनातन मंदिरों, शिवलिंग, घाटों, और संतों की गुफाओं से युक्त यह क्षेत्र तीर्थाटन के साथ-साथ आत्मिक शांति पाने के लिए उपयुक्त स्थान है। कटाव धाम में आयोजित यह श्रीराम कथा, अखंड संकीर्तन, और यज्ञ न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक ऐसा प्रयास है, जो समाज को पुनः धर्म, भक्ति, सेवा और अध्यात्म के मार्ग पर ले जाने की पहल है। बाल संतजी महाराज जैसे संतों के सानिध्य में यह आयोजन सिद्ध करता है कि जब सच्ची श्रद्धा, दृढ़ संकल्प, और ईश्वरीय प्रेरणा एक साथ होती है, तब कोई भी स्थान चाहे वह कितना भी दुर्गम क्यों न हो एक पवित्र तीर्थ बन जाता है। कटाव धाम की यह महागाथा आज के भौतिक युग में अध्यात्म की लौ को प्रज्वलित करने वाला एक दीप बन गई है, जो आने वाले समय में हजारों-लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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