*दशलक्षण महापर्व के छठे दिन मनाया गया उत्तम संयम धर्म का पर्व संयम ही आत्मा का सच्चा आभूषण*
कलयुग की कलम से राकेश यादव

दशलक्षण महापर्व के छठे दिन मनाया गया उत्तम संयम धर्म का पर्व संयम ही आत्मा का सच्चा आभूषण
कलयुग की कलम सिहोरा – श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर, खितौला में चल रहे दशलक्षण महापर्व का छठा दिन रविवार को बड़े ही श्रद्धा, उल्लास के साथ मनाया गया। इस दिन को उत्तम संयम धर्म के रूप में मनाया जाता है। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा और पूरा वातावरण धर्म एवं आस्था से ओतप्रोत रहा।प्रातःकालीन मंगलाभिषेक, शांतिधारा और विधान के पश्चात मंदिर प्रांगण में प्रवचनमाला का आयोजन हुआ, जिसमें जबलपुर से विशेष रूप से पधारे भैया जी राजेश गढ़ावाले ने अपने उद्बोधन में कहा कि संयम ही आत्मा का वास्तविक आभूषण है और यही साधन व्यक्ति को पाप से दूर रखकर मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर करता है। उन्होंने कहा कि संयम केवल आचरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचार, वाणी और व्यवहार तीनों स्तरों पर आवश्यक है। संयमित जीवन ही मनुष्य को स्थिरता और शांति प्रदान करता है।उन्होंने यह भी बताया कि आज की भागदौड़ भरी और भोगवादी प्रवृत्ति में संयम का महत्व और बढ़ जाता है। यदि व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर संयम रख सके तो वह आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त कर सकता है। संयम धर्म केवल तपस्या या त्याग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक उत्तम पद्धति है जिसमें आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का मार्ग निहित है।दिनभर मंदिर परिसर में धार्मिक गतिविधियों का सिलसिला चलता रहा। भक्ति गीतों और स्तुतियों से वातावरण गूंजायमान रहा। समाज की महिलाएँ, युवक-युवतियाँ और बच्चे सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और संयम धर्म के पालन का संकल्प लिया। मंदिर समिति द्वारा बच्चों के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जिनमें संयम धर्म की महत्ता को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया।कार्यक्रम के दौरान समाज के वरिष्ठजनों ने बताया कि दशलक्षण महापर्व आत्मशुद्धि और आत्मसंयम का पर्व है, जिसमें प्रत्येक दिन एक विशेष धर्म पर चिंतन और मनन किया जाता है। छठे दिन का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि संयम ही वह शक्ति है जो जीवन के उतार-चढ़ाव में संतुलन बनाए रखने में सहायक है।उल्लेखनीय है कि दशलक्षण महापर्व के अंतर्गत प्रतिदिन एक धर्म का पर्व मनाया जा रहा है। पहले दिन उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे दिन उत्तम शौच, पांचवें दिन उत्तम सत्य और आज छठे दिन उत्तम संयम धर्म का पर्व मनाया गया। कल सातवें दिन उत्तम तप धर्म का पर्व मनाया जाएगा, जिसके लिए मंदिर समिति ने विशेष तैयारियाँ की हैं। समाजजनों ने अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इस महापर्व को सफल बनाने का आह्वान किया है।




