वैश्विक धरोहर की पहचान है उमरिया जिले का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश विदेश से यहां आते हैं पर्यटक हिंदू देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर सहित दुर्लभ वन्य जीवों की उपलब्धता जैसे बाघ, बायसन, जंगली हाथी के अलावा नील गाय, भालू, तेंदुआ, चीतल, सांभर, सियार, यहां के मुख्य वन्य प्राणी है
कलयुग की कलम से राकेश यादव
वैश्विक धरोहर की पहचान है उमरिया जिले का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश विदेश से यहां आते हैं पर्यटक हिंदू देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर सहित दुर्लभ वन्य जीवों की उपलब्धता जैसे बाघ, बायसन, जंगली हाथी के अलावा नील गाय, भालू, तेंदुआ, चीतल, सांभर, सियार, यहां के मुख्य वन्य प्राणी है
कलयुग की कलम उमरिया-उमरिया जिले का विश्व प्रसिध्द बांधवगढ टाईगर रिजर्व वैश्विक धरोहर के समान है। यहां की जैव विविधता, दुर्लभ वन्य जीवों की उपलब्धता , कल्चुरी कालीन किला, हिंदू देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर पूरी दुनिया में देख पाना दुर्लभ है। टाईगर रिजर्व की स्थापना के पूर्व यहां का जंगल एवं बांधवगढ पहाड़ियो के बीच निर्मित किला एवं अन्य सरंचनाएं रीवा रियासत के महराजा की निजी संपत्ति हुआ करती थी । किले में राजकीय कार्याे के अलावा राज परिवार का निवास होता था । नीचे का घनघोर जंगल राजा एवं महराजाओं का निजी शिकारगाह होता था, जहां देश विदेश के राजा समय समय पर आकर आखेट करते थे

कालांतर मे देश की आजादी के बाद तत्कालीन रीवा महाराजा मार्तण्ड सिंह ने सन 1967 मे किला सहित पूरा जंगल मप्र शासन को वन्य जीव संरक्षण हेतु नेशनल पार्क स्थापित करनें के लिए दान में दे दिया गया जिसके बाद मप्र शासन के व्दारा बांधवगढ़ नेशनल पार्क की स्थापना की गई और 1981 के बाद से यहां केंद्र की टाईगर परियोजना शुरू की गई। बांधवगढ टाईगर रिजर्व में मौजूद जल स्रोतो के कारण यहां की जैव विविधता देश दुनिया के अन्य जंगलों की अपेक्षा उत्कृष्ट बनी रही और जल स्रोतो की मौजूदगी का परिणाम है कि बांधवगढ टाईगर रिजर्व में कभी सूखे का मौसम नही आता है । हमेशा हरियाली आच्छिदित रहती है । पर्याप्त जल स्रोत , चारागाह , सघन वन और शाकाहारी एवं मांसाहारी वन्य जीवो के लिए आवश्यक आहार और रहवास की अनुकूलता होने के कारण यहां दुर्लभ से दुर्लभ वन्यि प्राणी एवं पक्षी अपना आश्रय स्थतल बनाएं हुए है ।

बाघों की सघन मौजूदगी पूरी दुनियां में बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व को एक अलग पहचान दिलाती है । 1526 वर्ग किलोमीटर के कोर एवं बफर क्षेत्र में फैले विशाल जंगल में वर्ष 2022 की गणना में 165 से भी ज्यादा बाघों की संख्या पाई गई थी , इसके अलावा कान्हा टाईगर रिजर्व से 49 बायसन लाकर वर्ष 2012 में बसाए गए थे, जो अनुकूल परिस्थितियों में बढ़कर वर्तमान में 200 की अनुमानित संख्या में बांधवगढ में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं ।


इसके साथ ही पूरी दुनिया में विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके विशेष प्रजाति के बारह सिंघा भी कान्हा टाईगर रिजर्व से आयातित कर बांधवगढ में बसाएं गए है । बांधवगढ टाईगर रिजर्व में इसके अलावा वर्ष 2018 से जंगली हाथियों ने भी अपना रहवास बनाया है । तकरीबन 70 से 80 जंगली हांथी टाईगर रिजर्व के अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग झुंडों में विचरण कर रहे है ।बाघ, बायसन, जंगली हाथी के अलावा नील गाय, भालू, तेंदुआ, चीतल, सांभर, सियार, यहां के मुख्य वन्या प्राणी है
जो पर्यटन के साथ साथ जैव विविधता का केंद्र है । टाईगर रिजर्व बांस एवं साल के सघन वृक्षों से घिरा हुआ है , यहां वन्य जीव दर्शन के अलावा हिन्दू मान्यताओं के कई प्राचीन धार्मिक केंद्र स्थापित है जिसमें बांधवगढ़ किले के समीप स्थित भगवान राम जानकी मंदिर आस्था का प्रमुखकेंद्र है जहां प्रति वर्ष जन्माष्टंमी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है और देश भर से हिंदू धर्मावलंबी पूजा दर्शन करने पहुंचते है इसके अलावा कबीर गुफा, कबीर पंथियों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बांधवगढ़ की पहाड़ियो पर स्थित है।


प्रति वर्ष अगहन पूर्णिमा के मौके पर यहां पर कबीर पंथियों का जमावड़ा होता है और कबीर गुफा में कबीर अनुयायी उनकी पूजा पाठ करते है। इसके अलावा संत शिरोमणि सेन की तपोस्थली भी बांधवगढ में ही रही है । मप्र शासन के व्दारा संत सेन का मंदिर एवं समाधि स्थध्ल बनाने के लिए टाईगर रिजर्व की सीमा से लगे हुए क्षेत्र मे भूमि आरक्षित की गई है जिसमें निर्माण कार्य की प्रक्रिया शुरू की गई है ।
बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पहली बार दो दिवसीय बटरफ्लाई सर्वे प्रबंधन ने कराया। टाइगर रिजर्व के 15 कैंपों में 61 सदस्यों ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगलों में पैदल सर्वे किया। सर्वे सीट पर तितलियों की जानकारी को अपडेट किया। दो दिवसीय सर्वे के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगलों में मिलने वाली तितलियों के अनुमानित प्रजातियां सामने आई। 61 सदस्यों ने बांधों का टाइगर रिजर्व के उन क्षेत्रों में तितलियों का सर्वे किया जहां पर की ग्रास लैंड नदी किनारा और नमी वाले स्थान थे। अनुमानित आंकड़े 100 से अधिक प्रजातियां बांधों का टाइगर रिजर्व में तितलियों की है इसमें 5 से अधिक तितलियां दुर्लभ प्रजाति की है।कॉमन रेड ऑय, ब्लैक राजा, फॉरगेट मे नोट,किंग क्रो,इंडियन डॉर्ट लेट तितली भी सर्वे में दिखाई दी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पहली बार बटरफ्लाई सर्वे हुआ सर्व इसलिए भी विशेष था। कि इस बार सर्वे में मोबाइल ऐप का उपयोग नहीं किया गया। हाथ से ही सर्वे सीटट में पेन से जानकारी को अपडेट किया गया। टाइगर रिजर्व के सूत्रों की माने तो इस प्रक्रिया से थोड़ा समय लगता है। लेकिन आंकड़े सटीक आते हैं।




