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एमपी के जबलपुर जिले में आग ने मचाया तांडव, 500 एकड़ में फैली लपटें, 200 किसानों की करोड़ों की फसल जलकर खाक

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

जबलपुर- जिले में 4 अलग-अलग जगह पर आग लगने से लगभग 500 एकड़ में तैयार गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई है। इनमें से 3 घटनाएं तहसील सिहोरा के पास की हैं और एक घटना मझौली के पास की है। किसानों को सरकार की ओर से थोड़ी राहत राशि तो मिलेगी लेकिन फसल बीमा का पूरा फायदा मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। मजदूर नहीं मिलने की वजह से फसल कट नहीं पा रही है और तेज गर्मी की वजह से आग का खतरा बना हुआ है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।

2 करोड़ से अधिक की फसल स्वाहा

सिहोरा तहसील में मोहतरा से बंधा गांव के बीच गेहूं की खड़ी फसल में आग लग गई। यहां पर ज्यादातर खेत एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आग सबसे पहले मोहतरा में लगी और तेज हवा की वजह से यह बंधा की तरफ बढ़ गई। आग जैसे ही एक खेत में लगी वह लगातार फैलती चली गई और देखते ही देखते लगभग 500 एकड़ में लगी गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई। यह फसल लगभग 200 किसानों की थी। अनुमान के अनुसार जली हुई फसल की कीमत लगभग 2 करोड़ रूपये बताई जा रही है। ऐसी ही घटना मझौली के मोहनिया में भी हुई, जहां 35 एकड़ की गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई।

फायर ब्रिगेड भी नहीं बुझा पाई आग

आग बुझाने के लिए गांव वालों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी। लेकिन आग इतनी तेज थी और इतने बड़े इलाके में थी कि फायर ब्रिगेड कुछ भी नहीं कर पाई। देखते ही देखते किसानों की फसल जलकर खाक हो गई। आग किस वजह से लगी इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। लेकिन प्रशासन इसकी जांच कर रहा है कि यह किसी की गलती है या फिर यह हादसा प्राकृतिक है।

नुकसान के आकलन का दिया आदेश

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने तहसीलदार और पटवारी को नुकसान के आकलन करने का आदेश दिया है। हालांकि किसी खेत की फसल जल जाने पर सरकार जो राहत देती है उससे किसान की लागत नहीं निकल पाती है। जानकारी के अनुसार यह राशि अधिकतम 15 हजार प्रति हेक्टेयर होती है।

घटना प्राकृतिक हुई तो मिलेगा फसल बीमा का लाभ

जबलपुर के पाटन की कृषि अधिकारी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी ने बताया कि “किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत भी राहत मिल सकती है। लेकिन इसके लिए पहले यह पता लगाना होगा कि इन किसानों का फसल बीमा का प्रीमियम जमा हुआ है या नहीं। क्योंकि यह प्रीमियम बैंक के जरिए जमा होता है और बैंक जिन किसानों को लोन देती है उनका प्रीमियम जमा करती है। लेकिन फसल बीमा में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दुर्घटना किस वजह से हुई। यदि किसी ने जानबूझकर आग लगाई है तो फिर किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा और यदि घटना प्राकृतिक हुई है तब किसानों को फसल बीमा का फायदा मिलेगा”।

फसल काटने को नहीं मिल रहे मजदूर

दूसरी तरफ कुछ किसान मूंग की फसल की बोनी करने के लिए खेत में पड़ी गेहूं की पराली को जला रहे हैं। कई बार ये आग अनियंत्रित होकर दूसरे किसानों के खेत तक पहुंच रही है। हालांकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन इन दिनों गेहूं की फसल में ऐसी दुर्घटनाएं लगातार घट रही हैं। क्योंकि अचानक मौसम बहुत अधिक गर्म हो गया है और फसल भी पूरी तरह पककर तैयार हो गई है। वहीं, किसान के सामने समस्या है कि फसल काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं और पर्याप्त मात्रा में कंबाइन हार्वेस्टर न होने की वजह से किसानों की फसल कट नहीं पा रही है।

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