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जो बात कहते डरते हैं सब, तू वो बात लिख, इतनी अंधेरी थी न कभी पहले, वो रात लिख, कलम का काम है इंसाफ की तलवार हो जाना, जमाना पढ सके जिसको वही अखबार हो जाना- “दैनिक ताजा खबर” के प्रधान संपादक श्री राहुल पाण्डेय

कलयुग की कलम से सोनू त्रिपाठी

कटनी/ढीमरखेड़ा- संपादकीय दृष्टिकोण और विचारधारा को स्पष्ट करते हुए यह कथन किया है “जो बात कहते डरते हैं सब, तू वो बात लिख, इतनी अंधेरी थी न कभी पहले, वो रात लिख, कलम का काम है इंसाफ की तलवार हो जाना, जमाना पढ़ सके जिसको वही अखबार हो जाना।” इस कथन में न केवल उनकी पत्रकारिता के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है, बल्कि उनके शब्दों में एक गहरी प्रेरणा और नैतिकता भी परिलक्षित होती है। पत्रकारिता को अक्सर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, और इस संदर्भ में राहुल पाण्डेय का यह कथन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी बातों में यह स्पष्ट होता है कि पत्रकार का मुख्य कर्तव्य सत्य की खोज करना, समाज में हो रही गलतियों को उजागर करना और उन्हें सुधारने की दिशा में प्रयास करना है। उनका मानना है कि जब सभी लोग किसी मुद्दे पर बात करने से डरते हैं, तब पत्रकार का कर्तव्य है कि वह उस बात को बिना किसी डर के लिखे। यह एक ऐसी जिम्मेदारी है जो समाज को सचेत करने और जागरूक करने में सहायक होती है।

भय और दबाव के खिलाफ खड़ा होना

आज के समय में पत्रकारिता पर अनेक प्रकार के दबाव होते हैं। राजनीतिक दबाव, आर्थिक प्रभाव, और अन्य सामाजिक दबाव के कारण अक्सर सच्चाई को सामने लाने में पत्रकारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। राहुल पाण्डेय का कथन इस बात पर जोर देता है कि एक सच्चे पत्रकार को इन दबावों से प्रभावित हुए बिना सच्चाई को उजागर करना चाहिए। उनका मानना है कि पत्रकार को अपने कलम को इंसाफ की तलवार की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, जो समाज में अन्याय के खिलाफ एक हथियार बने।

इतनी अंधेरी थी न कभी पहले, वो रात लिख

इस पंक्ति में एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश छिपा हुआ है। यह पंक्ति उस अंधकार का प्रतीक है जो समाज में फैल रहा है, चाहे वह भ्रष्टाचार हो, अन्याय हो, या फिर सामाजिक असमानता। राहुल पाण्डेय के अनुसार, पत्रकार का कर्तव्य है कि वह इस अंधकार को उजागर करे, ताकि समाज इस अंधकार से बाहर निकल सके। इस अंधेरी रात को लिखने का मतलब है कि समाज के सामने उन मुद्दों को लाना जो लोगों की नज़रों से दूर हैं या जिनके बारे में लोग बात करने से डरते हैं।

कलम का काम है इंसाफ की तलवार हो जाना

इस कथन में पत्रकारिता की ताकत और उसकी भूमिका को रेखांकित किया गया है। राहुल पाण्डेय इस बात पर जोर देते हैं कि एक पत्रकार का कलम सिर्फ शब्दों को कागज पर उकेरने का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज में इंसाफ और न्याय की लड़ाई लड़ने का एक महत्वपूर्ण हथियार है। यह तलवार उस समय सबसे अधिक प्रभावी होती है जब इसे सच्चाई और निष्पक्षता के साथ इस्तेमाल किया जाता है।

जमाना पढ़ सके जिसको वही अखबार हो जाना

यह पंक्ति पत्रकारिता की दिशा और दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है। एक पत्रकार का लक्ष्य सिर्फ खबर लिखना नहीं होता, बल्कि उसे इस प्रकार लिखना होता है कि वह समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचे और उसे पढ़ने के बाद व्यक्ति में एक जागरूकता आए। राहुल पाण्डेय का मानना है कि एक अच्छा अखबार वह है जिसे समाज के हर वर्ग के लोग पढ़ सकें, समझ सकें, और उससे कुछ सीख सकें। राहुल पाण्डेय का यह कथन पत्रकारिता की सच्ची भावना को दर्शाता है। इसमें न केवल पत्रकारिता के कर्तव्यों की ओर इशारा किया गया है, बल्कि उसमें एक सच्चे पत्रकार के लिए मार्गदर्शन भी निहित है। आज के समय में जब पत्रकारिता पर विभिन्न प्रकार के दबाव और चुनौतियां हैं, यह कथन पत्रकारों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। यह उन सभी पत्रकारों के लिए एक संदेश है जो समाज में सच्चाई और न्याय की स्थापना के लिए कार्य कर रहे हैं। राहुल पाण्डेय की यह सोच और उनका दृष्टिकोण केवल उनके व्यक्तिगत विचार नहीं हैं, बल्कि यह पूरे पत्रकारिता जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है। उनकी बातों में जो साहस और नैतिकता झलकती है, वह हर पत्रकार के लिए एक प्रेरणा हो सकती है। जब पत्रकार अपनी जिम्मेदारी को इस दृष्टिकोण से निभाएंगे, तो न केवल समाज में जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव भी आएगा। राहुल पाण्डेय का यह कथन पत्रकारिता की सच्ची आत्मा को उजागर करता है। पत्रकारिता केवल खबरों का संकलन नहीं है, बल्कि यह समाज में सच्चाई, न्याय और नैतिकता की स्थापना का एक महत्वपूर्ण साधन है। उनके इस कथन में जो विचारधारा प्रकट होती है, वह न केवल उनके लिए बल्कि पूरे पत्रकारिता जगत के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत हो सकता है।

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