आस्थामध्यप्रदेश

दशलक्षण महापर्व में ‘उत्तम त्याग धर्म’ का पर्व मनाया गया लोभ-मोह का त्याग ही आत्मिक शांति का मार्ग राजेश भैया ,

कलयुग की कलम से राकेश यादव

दशलक्षण महापर्व में ‘उत्तम त्याग धर्म’ का पर्व मनाया गया लोभ-मोह का त्याग ही आत्मिक शांति का मार्ग राजेश भैया ,

कलयुगकी कलम खितौला -दशलक्षण महापर्व के आठवें दिवस उत्तम त्याग धर्म का पर्व गुरुवार को श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर खितौला में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया। सुबह मंदिर परिसर गाजे-बाजे की मधुर ध्वनियों से गुंजायमान रहा। प्रातःकालीन धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत सामूहिक पूजा से हुई, जिसका संचालन नीरज जैन, राहुल सिंघाई और हर्षित जैन द्वारा कराया गया। इसके पश्चात मंदिर में पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न हुई, जिसमें शांतिधारा का सौभाग्य अंकुर जैन भैया को प्राप्त हुआ।धर्मसभा में विशेष प्रवचन के लिए जबलपुर गढ़ा से पधारे राजेश भैया जी ने उपस्थित समाजजनों को संबोधित करते हुए कहा कि त्याग धर्म का अर्थ केवल धन या वस्त्र त्याग करना नहीं है, बल्कि वास्तविक त्याग वह है जिसमें मनुष्य अपने भीतर के लोभ, मोह, क्रोध, ईर्ष्या और आसक्ति का परित्याग करता है। उन्होंने कहा कि त्याग की भावना अपनाने वाला व्यक्ति न केवल स्वयं के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए शांति और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। त्याग ही वह साधन है जो आत्मा को पवित्र करता है और उसे मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।इस अवसर पर महिला मंडल और युवा मंडल ने भक्ति-गीत, नृत्य-नाटिका एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से त्याग धर्म का महत्व उजागर किया। बच्चों ने धार्मिक प्रश्नोत्तरी और मंचन से यह संदेश दिया कि त्याग से ही जीवन में संतोष और सेवा की भावना उत्पन्न होती है। मंदिर समिति ने समाज के सामने यह संकल्प रखा कि त्याग धर्म की भावना से प्रेरणा लेकर वे आगामी दिनों में सेवा कार्यों और समाजहित के कार्यक्रमों को और आगे बढ़ाएँगे।प्रवचन के दौरान राजेश भैया जी ने कहा कि “त्याग वहीं सच्चा है जो आसक्ति को कम करे, परहित की भावना बढ़ाए और अहिंसा एवं संयम को जीवन का आधार बनाए।” उनके प्रेरक उद्बोधन से उपस्थित समाजजन गहन रूप से प्रभावित हुए और धर्मसभा देर तक चली।समापन अवसर पर सामूहिक मंगल पाठ हुआ और सभी श्रद्धालुओं ने उत्तम त्याग धर्म का संकल्प लेकर जीवन में सरलता, सादगी और परोपकार को अपनाने का संकल्प लिया।महापर्व का नवां दिवस शुक्रवार को उत्तम आकिन्चन्य (निःस्पृहता धर्म) के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन भी प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, पूजन एवं धर्मसभा का आयोजन होगा जिसमें साधर्मियों को निःस्पृहता की महत्ता बताई जाएगी।

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