शरद पूर्णिमा महोत्सव बड़वारा विकासखंड के भदौरा में आस्था व उल्लास पूर्वक मनाया गया गगन से हुई चांद की अमृतमय वर्षा
कलयुग की कलम से राकेश यादव
शरद पूर्णिमा महोत्सव बड़वारा विकासखंड के भदौरा में आस्था व उल्लास पूर्वक मनाया गया गगन से हुई चांद की अमृतमय वर्षा
कलयुग की कलम कटनी-सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। शरद पूर्णिमा व्रत को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा महोत्सव बड़वारा विकासखंड के भदौरा नंबर एक आस्था व उल्लास के साथ मनाया गया।

मंदिरों में सुबह से लेकर देर शाम तक विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित रहे। वहीं घरों व मंदिरों में भी महिलाओं के द्वारा पूजा अर्चना की गई। पंडित विभाष दुबे ने बताया कि इस दिन चांद अपनी पूरी 16 कलाऔं से युक्त होता है। साथ ही चंद्रमा की चांदनी अमृत से युक्त होती है। इस दिन माता लक्ष्मी रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है। जो जाग रहा होता है, उसे वे सुख – समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है। इस साल शरद पूर्णिमा पर धुव्र योग में चंद्रमा से अमृत वर्षा होगी।
धुव्र योग में चन्द्रमा से हुई अमृत वर्षा
पंडित सुरेश त्रिपाठी ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर धुव्र योग के साथ उत्तराभाद्र और रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे। इस दिन रात में गाय के दूध की खीर बनाकर अर्द्ध रात्रि को भगवान को भोग लगाकर खीर को चांदनी रात में रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत प्राप्त होता है। आधी रात में चंद्रमा को भी अर्घ्य देना चाहिए। पूर्णिमा की चांदनी औषधि गुणों से युक्त होती है। इसमें रखी खीर का सेवन करने से चंद्र ग्रह संबंधी दोष जैसे कफ सर्दी छाती के रोग मानसिक कष्ट या डिप्रेशन की समस्या और हार्मोनल संबंधी बीमारी में लाभकारी है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने रास लीला की, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस मौके पर पुष्पलता दुबे, तृप्ति दुबे,मीना दुबे, राधा पटेल, लकी तोमर, प्रीति तोमर, आदि मौजूद रही।




