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सूचना का अधिकार बना कमाई का जरिया ढीमरखेड़ा जनपद क्षेत्र के जनपद सदस्य पर गंभीर आरोप, सरपंच-सचिव परेशान

कलयुग की कलम से गोकुल दीक्षित

सूचना का अधिकार बना कमाई का जरिया ढीमरखेड़ा जनपद क्षेत्र के जनपद सदस्य पर गंभीर आरोप, सरपंच-सचिव परेशान

कलयुग की कलम ढीमरखेड़ा उमरिया पान -लोकतंत्र की आत्मा कहे जाने वाले सूचना का अधिकार (आरटीआई) का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, लेकिन कई बार यही अधिकार जनप्रतिनिधियों के लिए आय का जरिया बनता दिखाई दे रहा है। ढीमरखेड़ा जनपद क्षेत्र में ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक निर्वाचित जनपद सदस्य पर सरपंच-सचिव से दबाव बनाकर रुपये ऐंठने के आरोप लगे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ढीमरखेड़ा जनपद क्षेत्र क्रमांक 8 से निर्वाचित जनपद सदस्य नारायण कोल ने हरदी ग्राम पंचायत में बीते तीन वर्षों में किए गए विकास कार्यों की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी। 16 जून 2025 को जनपद सदस्य ने डाक विभाग के माध्यम से आवेदन प्रेषित किया। किन्तु यह आवेदन समय पर पंचायत सचिव तक नहीं पहुंच सका। इसके बाद 23 जुलाई 2025 को जनपद सदस्य ने जनपद सीईओ से शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

सीईओ ने लिया संज्ञान

शिकायत प्राप्त होते ही ढीमरखेड़ा जनपद सीईओ यजुर्वेद कोरी ने तत्परता दिखाते हुए पंचायत सचिव को नोटिस जारी किया और आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। नोटिस मिलते ही पंचायत सचिव ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर जनपद सदस्य को विकास कार्यों की पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी।

जानकारी देने के बाद भी जारी दबाव

पंचायत सचिव और सरपंच का आरोप है कि मांगी गई समस्त जानकारी प्रदान करने के बावजूद जनपद सदस्य द्वारा अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि पहले भी उनसे रुपये ऐंठे गए और अब पुनः धनराशि की मांग की जा रही है। रुपये नहीं देने पर जनपद सदस्य बार-बार नई शिकायतें कर रहे हैं, जिससे पंचायत प्रतिनिधि और कर्मचारी निरंतर तनाव में हैं।

पंचायत पदाधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि आरटीआई के अंतर्गत मांगी गई सारी जानकारी न केवल जनपद सदस्य को दी गई, बल्कि इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को भी उपलब्ध कराई गई। इसके बावजूद जनपद सदस्य का रवैया दबाव बनाने वाला है, जो प्रशासनिक कामकाज में बाधा डाल रहा है।

जिम्मेदारों की पीड़ा

ग्राम पंचायत हरदी के जिम्मेदारों का कहना है कि वे पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य कर रहे हैं और विकास योजनाओं की जानकारी देने में कभी कोताही नहीं बरतते। लेकिन जनपद सदस्य द्वारा बार-बार झूठी शिकायतें करना और धनराशि की मांग करना, कार्यसंस्कृति को प्रभावित कर रहा है।

सीईओ का पक्ष

ढीमरखेड़ा जनपद सीईओ यजुर्वेद कोरी ने बताया कि – “जनपद सदस्य की शिकायत के आधार पर पंचायत सचिव को नोटिस जारी कर आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। सचिव ने निर्धारित समय में पूरी जानकारी जनपद सदस्य को दे दी है। प्रशासन की ओर से अब तक की कार्यवाही पूरी कर ली गई है।”

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि आरटीआई जैसे महत्वपूर्ण और पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाले अधिकार का इस्तेमाल यदि दबाव और निजी स्वार्थ के लिए किया जाएगा, तो इसका मूल उद्देश्य कैसे पूरा होगा? पंचायत प्रतिनिधि जहां इस अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं, वहीं ईमानदारी से कार्य करने वाले सचिव और सरपंच लगातार अनावश्यक शिकायतों के कारण दबाव में रहते हैं।

ग्राम पंचायत हरदी का यह मामला प्रशासन के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। यदि ऐसी प्रवृत्तियों पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में आरटीआई जैसे सशक्त अधिकार का वास्तविक उद्देश्य खो सकता है और यह केवल भय और दबाव का साधन बनकर रह जाएगा।

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