पिपरिया शुक्ल में अब नया दल करेंगे सर्वे का निरीक्षण पटवारी ने जोड़ दिये थे अपात्रों के नाम पटवारी बरत रहा था घोर लापरवाही
कलयुग की कलम से राकेश यादव
पिपरिया शुक्ल में अब नया दल करेंगे सर्वे का निरीक्षण पटवारी ने जोड़ दिये थे अपात्रों के नाम पटवारी बरत रहा था घोर लापरवाही
कलयुग की कलम ढीमरखेड़ा-तहसील अंतर्गत कई गांव जहां एक ओर बाढ़ की आपदा से अभी तक निकाल नहीं पाये हैं वहीं दूसरी ओर पटवारियों के लिये यह बाढ़ आपदा कमाई का जरिया सूझ रहा है। बाढ़ की विभिषिका से जूझे ग्रामीणों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है। वहीं कई बाढ़ग्रस्त गांवों के प्रकरण तैयार कर दिये गये है लेकिन पटवारियों की लापरवाही के कारण आज दिनांक तक ग्रामीणों को आर्थिक सहायता नहीं मिल सकी है। लिहाजा विगत दिवस रेवांचल टाईम्स के द्वारा प्रमुखता के साथ इस मुद्दे को उठाया गया था जिसमें संज्ञान लेते हुये तहसीलदार ढीमरखेड़ा के द्वारा नये जांच दल का गठन किया गया है।
जांच दल में इन्हें किया गया शामिल
तहसीलदार द्वारा ग्राम पिपरिया शुक्ल में सर्वे के लिये नवीन जांच दल का गठन किया गया जिसमें प्रेम कुमार कोरी, बीआरसी ढीमरखेड़ा, रमेश श्याम मरावी कृ षि विस्तार अधिकारी ढीमरखेड़ा, मोहन लाल साहू राजस्व निरीक्षण ढीमरखेड़ा, दान सिंह पटवारी, जितेन्द्र खरे सचिव ग्राम पंचायत पिपरिया शुक्ल, अजय तनतवाह, रोजगार सहायक , श्रीमती रेखा शुक्ला श्रीमती सवित्री विश्वकर्मा रोजगार सहायक पिपरिया शुक्ल को शामिल किया गया है।
पटवारी बरत रहा था घोर लापरवाही
स्मरण रहे कि बाढ़ग्रस्त गांव पिपरिया शुक्ल में व्यापक पैमाने पर हल्का पटवारी के द्वारा फर्जी सर्वे कर पैसा लेकर मुआवजा के प्रकरण तैयार किये जा रहे है। इस मामले में राजस्व अधिकारियों के द्वारा भी पंचायत सचिव पर जबरन हस्ताक्षर के लिये दबाव बनाया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि 30 से 40 लोग ऐसे है जिनके पक्के मकान बने हुये है बावजूद इसके हल्का पटवारी महेन्द्र थूल, प.ह.नं.44 के द्वारा नियमों को ताक पर रखकर सर्वे सूची में इन लोगों के कच्चे मकान दिखाकर शासन से आर्थिक सहायता दिलवाई जा रही है। वहीं जिनके मकान कच्चे थे और सही मायने में वे ही शासन की आर्थिक सहायता के हकदार थे उनके पक्के मकान दिखाकर पटवारी के द्वारा सर्वे किया गया है।
तहसीलदार सहित दो नायब तहसीलदारों को नोटिस जारी
ढीमरखेड़ा, नायब तहसीलदार उमरियापान एवं नायब तहसीलदार सिलौड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाकर स्पष्टीकरण तलब किया गया है। सनद रहे कि तहसील अंतर्गत आई बाढ़ से कई गांव प्रभावित हुये है बावजूद इसके सर्वे के कारण में लापरवाही बरती जा रही थी जिस कारण से अब तक प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिल सका है।
बाढ़ आई 16 गांव में मुआवजा बंट रहा सब जगह
ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत बाढ़ की चपेट में मात्र 16 की गांव आये है लेकिन राजस्व अमले के द्वारा ऐसे गांवों के मुआवजा प्रकरण पहले तैयार कर दिये गये है जहां पर बाढ़ आई ही नहीं है। यहां पर मजे की बात यह है कि जब 16 गांव में बाढ़ की चपेट में आये है तो तहसील के अन्य गांवों में मुआवजा क्यों बांटा जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि पटवारियों के द्वारा रिश्वत लेकर सर्वे के फर्जी प्रकरण तैयार किये जा रहे है। वहीं जितने भी गांव में बाढ़ आई है वहां के कोटवारों के प्रकरण जरूर बनाये गये है और हर बार उनके नाम जोड़ दिये जाते है जो भी राशि मिलती है उसका बंदरबांट कर लिया जाता है। सूत्रों ने बताया कि यदि कोटवारों के नाम नहीं जोड़े जाते तो उनकी पत्नी के नाम से प्रकरण तैयार कर मुआवजा ले लिया जाता है।
 
				 
					
 
					
 
						


