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10 से 25 फरवरी 2025 तक चलेगा राष्ट्रीय फाइलेरिया कार्यक्रम हाथी पांव जैसे भयंकर रोग का आसान बचाव फाइलेरिया (हाथी पांव) को भगाना है एलबेंडाजोल गोली चबा-चबा कर खाना है

कलम की कलम से राकेश यादव

10 से 25 फरवरी 2025 तक चलेगा राष्ट्रीय फाइलेरिया कार्यक्रम हाथी पांव जैसे भयंकर रोग का आसान बचाव फाइलेरिया (हाथी पांव) को भगाना है एलबेंडाजोल गोली चबा-चबा कर खाना है

कलयुग की कलम कटनी -जिले में राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस 10 से 25 फरवरी 2025 तक फाइलेरिया कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें 02 वर्ष के ऊपर के लोगों को डी.ई.सी. एवं एल्बेंडाजोल गोली एवं आईवरमेक्टिन दवा का सेवन आयु के अनुसार कराया जाएगा। जिससे की जिले को फाइलेरिया रोग (हाथी पांव) की बीमारी से मुक्त किया जा सके।

*दवा का सेवन*

जिले में 2 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी एवं एलबेंडाजोल की 1-1 गोली, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को डीईसी की 2 गोली तथा एलबेंडाजोल की 1 गोली व 15 से या इससे अधिक वर्ष के लोगों को डीईसी की 3 एवं एलबेंडाजोल की 1 गोली इस अभियान में खिलाई जाना है। एलबेंडाजोल गोली कीटाणुनाशक है इसे चबा चबा कर खाना है। इस गोली को सेवन 0 से 2, गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों, गर्भवती माताओं को नहीं करना है। फाइलेरिया अधिकारी ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को दवा सेवन के बाद बुखार, उल्टी, सिर, बदन दर्द, होता है तो वो घबराएं नहीं, यह क्षणिक होता है और स्वतः ही ठीक हो जाता है। यह उन्हीं व्यक्तियों को होता है जिनके अंदर फाइलेरिया के कीटाणु होते है। जो दवा खाने पर मर जाते है।

*आइवरमेक्टिन गोली की ऊंचाई के अनुसार कैसे करें सेवन*

90-120 से.मी. लम्बाई के व्यक्ति को पीले रंग की 1 गोली, 120-140 से.मी. वाले को नीले रंग की 2 गोली, 141-158 से.मी. वाले को हरे रंग की 3 गोली तथा 158 से.मी. लम्बाई के ऊपर के व्यक्ति को बैगनी रंग की 4 गोलियों का सेवन खाना खाने के पश्चात् ही करना है। एमडीए के दौरान पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आइवरमेक्टिन गोली का सेवन नहीं करना है।

*बीमारी की पहचान*

अभियान के दौरान नियुक्त दल दवा के सेवन करने के साथ बीमारी होने की जानकारी देंगे तथा दलों के द्वारा घर-घर जाकर परिवार के सदस्यों से मिलना, फाइलेरिया रोग से होने वाली परेशानी उसके बचाव के तरीके बताना, एम.डी.ए. के महत्व व उसके फायदे को समझाना एवं दवा खिलाने के बारे में जानकारी दी जाएगी। आपके घर के आसपास अथवा ग्राम में किसी व्यक्ति के हाथ, पैर अथवा शरीर के अन्य भाग में सूजन का होना, पुरुष के अंडकोष में सूजन का होना, शरीर के सूजन वाले हिस्से में बार-बार लालपन का होना, दर्द होकर बुखार आना तथा व्यक्ति की जांघो अथवा बगल की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन का होना हाथी पांव बीमारी के लक्षण में आते हैं। 

*आवश्यक बचाव एवं सावधानियां*

फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है और मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है तो आसपास स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन का छिड़काव करना, सोने के समय मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।

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