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जबलपुर जिले के मझौली स्थित मां रेवा वेयरहाउस में कमाई के लालच में वजन बढ़ाने गेहूं में मिलाई जा रही थी मिट्टी, सहकारी खरीदी केन्द्र में बेचने की थी तैयारी, एसडीएम सहित पुलिस अधिकारीयों ने पहुंचकर बनाया पंचनामा

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

जबलपुर/मझौली- सरकारी उपार्जन में जारी अनियमितिताओं के बीच एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। पैसे कमाने के लालच में मझौली के मां रेवा वेयरहाउस में साफ-सुथरे गेहूं में मिट्टी मिलाई जा रही थी। मिलावटी गेहूं को खरीदी केंद्र ले जाकर समर्थन मूल्य पर बेचने की तैयारी थी। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा तो करीब 300 क्विंटल गेहूं में मिलों से निकली छानन को मिलाकर वजन बढ़ाने के खेल का पर्दाफाश हुआ। एसडीएम सिहोरा ने गेहूं को जब्त कर लिया है। नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। वेयर हाउस संचालक के खिलाफ अपराध दर्ज कराया जा रहा है।

वेयरहाउस से 5 किमी दूर है खरीदी केंद्र

जहां वेयरहाउस है, उससे गेहूं खरीदी केंद्र की दूरी 5 किमी है। मिलावट के लिए खरीदी केंद्र से सरकारी बारदाने लाए गए। उन्हीं में गेहूं और मिट्टी को मिश्रित कर भरा जा रहा था। सूचना पर एसडीएम सिहोरा रूपेश सिंघई पुलिस अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने बोरियों में भरे और खुले में रखे गेहूं को जब्त किया। इसी प्रकार जिस वाहन में मिट्टी भरकर लाई गई थी, उसे भी जब्त कर थाना मझौली के सुपुर्द किया गया है। मौके पर कोई कर्मचारी नहीं मिला। केवल गेहूं के ढेर पर मिट्टी की परत चढ़ी मिली। उसे वहीं मिक्स करने के उपरांत सरकारी बारदाने में भरकर रखा गया था। इसी प्रकार बड़ी संख्या में मिट्टी से भरी बोरियां बरामद हुई हैं। मौके पर मिट्टी और गेहूं से मिक्स 145 बोरियां मिली। प्रकरण में पंचनामा बनवाया गया।

जेल जा चुका है संचालक, अभी जमानत पर

धनाड़ी के वेयरहाउस का संचालक नितेश पटेल है। एसडीएम सिहोरा सिंघई ने बताया कि धान के समय यह वेयरहाउस खरीदी केंद्र बनाया गया था। शिकायत पर जब इसकी जांच की गई तो जितनी मात्रा पोर्टल में दर्ज थी, उससे कम धान वेयरहाउस और बाहर मिला था। इस मामले में नितेश के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। वह जेल में था। अभी जमानत पर है।

पहले भी मिल चुकी है धांधली

इस वेयरहाउस में पिछले साल धान और मूंग में धांधली पाई गई थी। ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज मात्रा की तुलना में कम धान मिला था। वहीं मूंग में मिलावट पकड़ी गई थी। आज भी किसान भुगतान के लिए परेशान हैं।

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