Blog

मंडला व डिंडोरी रुट से अवैध सागौन की तस्करी जोरों पर, कुम्भकर्ण की नींद सो रहा वन विभाग

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

बाजार में मिलती है अधिक कीमत

जबलपुर वन वृत मंडला, डिंडोरी और सिवनी की सीमाओं से लगा हुआ है। इन जिलों में घना जंगल है। वहां सागौन के उच्च गुणवत्ता के पेड़ हैं। मंडला के जंगलों में पाए जाने सागौन के पेड़ों की गोलाई (व्यास) 100-120 इंच तक होने से बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। जबकि जबलपुर के कुंडम, बरगी बेल्ट में सागौन के पेड़ों का व्यास 50 से 70 इंच होता है। इसलिए वन माफिया मंडला-डिंडोरी से अवैध रूप से सागौन की लकडिय़ों की तस्करी करते हैं।

यहां नहीं होती निगरानी

नेशनल हाईवे से लगे नाकों को हटा दिए जाने से कई क्षेत्रों से वाहन बेरोकटोक शहर में प्रवेश कर रहे हैं। कटंगी और पाटन बायपास पर नाका नहीं है। मंडला, सिवनी, बरगी को जोडऩे वाला बिलहरी बेल्ट पूरी तरह खुला हुआ है। यहां न तो वाहनों की जांच होती है और न ही वन विभाग का अमला पेट्रोलिंग करता है। अंधमूक बायपास, शाहनाला, बरगी हिल्स की ओर निगरानी नहीं होने से वनोपज से भरे वाहन शहर में प्रवेश कर जाते हैं।

एक माह पहले सगड़ा रोड से सागौन की लकडिय़ों से भरे ट्रक जब्त कर तीन लाख रुपए कीमत के सागौन के लट्ठे जब्त किए थे। लेकिन वाहन मालिक का पता नहीं चल सका।

वन विभाग की टीम ने डेढ़ माह पहले धनवंतरि नगर स्थित अवनि विहार से बड़ी मात्रा में सागौन की लकडिय़ां जब्त की थी। जांच में पता चला कि फर्नीचर बनाने के लिए लकडिय़ां लाई गई थीं।

वन विभाग की टीम ने तीन माह पहले कुंडम में एक दुकान में छापा मारकर सागौन के पटरे जब्त किए गए थे। इन्हें आसपास के जंगल से काटकर लाया गया था। इससे फर्नीचर बनाए जाने थे।

जांच के नाम पर खानापूर्ति

वन उपज की जांच करने के लिए महाराजपुर बायपास, माढ़ोताल, धनवंतरि नगर, खजरी खिरिया बायपास के पास वन नाके स्थापित किए गए हैं। यहां वाहनों की जांच करने के लिए एक वन रक्षक और एक स्थायी कर्मचारी की तैनाती की गई है। जबकि तीन वन रक्षक होने चाहिए। वन नाकों में जिम्मेदार अधिकारी की तैनाती नहीं होने से जांच के नाम पर महज खानापूर्ति होती है।
वन अपराधों और पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने के लिए गश्त बढ़ाई गई है। सभी रेंज प्रभारियों को भी सूचना पर त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। पिछले तीन माह में तीन स्थानों से सागौन की लकडिय़ां जब्त की गई हैं। ऐसे स्थानों को भी चिह्नित किया जाएगा, जहां निगरानी व्यवस्था कमजोर है।

ऋषि मिश्रा, वनमंडल अधिकारी

Related Articles

Back to top button