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शीर्षक पढ़कर दंग मत होना जब नजरों के सामने दृश्य होता है तो कलम चलने में परहेज नहीं करती उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत चिंताजनक नर्स रश्मि पटैल का आम नागरिकों से अभद्र व्यवहार, रात्रिकालीन डॉक्टरों की अनुपस्थिति से बढ़ी परेशानी लोकल पान उमरिया के नागरिकों का यह हाल है, तो सोचिए दूरदराज़ के ग्रामीणों को कैसी स्वास्थ्य सेवाएं मिलती होंगी?

कलयुग की कलम से राकेश यादव

उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत चिंताजनक नर्स रश्मि पटैल का आम नागरिकों से अभद्र व्यवहार, रात्रिकालीन डॉक्टरों की अनुपस्थिति से बढ़ी परेशानी लोकल पान उमरिया के नागरिकों का यह हाल है, तो सोचिए दूरदराज़ के ग्रामीणों को कैसी स्वास्थ्य सेवाएं मिलती होंगी?

कलयुग की कलम उमरिया पान– उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जो आसपास के सैकड़ों गांवों के लिए जीवनरेखा माना जाता है, आज प्रशासनिक लापरवाही और कर्मचारियों के अनुशासनहीन रवैये का प्रतीक बनता जा रहा है।नागरिकों की शिकायत है कि यहाँ की नर्स रश्मि पटैल आम मरीजों से बात करने का तरीका भूल गई हैं। कई बार उनके द्वारा नागरिकों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। दूसरी ओर, रात्रिकालीन समय में डॉक्टरों की अनुपस्थिति आम हो चुकी है, जिससे मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है।

अभद्र व्यवहार और नागरिक अधिकारों का प्रश्न

सरकारी अस्पतालों में कार्यरत प्रत्येक कर्मचारी को जनता से शालीनता और विनम्रता के साथ पेश आने का दायित्व होता है। सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स 1964 के नियम 3(1) के अनुसार हर सरकारी सेवक को अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी, निष्ठा और विनम्रता से करना चाहिए। वहीं नियम 3(2)(iii) में कहा गया है कि किसी नागरिक से अभद्र या अपमानजनक भाषा में बात करना “अनुशासनहीनता” की श्रेणी में आता है।

यदि कोई नर्स या स्वास्थ्यकर्मी मरीजों या उनके परिजनों से अपमानजनक व्यवहार करता है, तो यह केवल सेवा नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि नागरिक अधिकारों का हनन भी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक मरीज को सम्मानपूर्वक व्यवहार और सुरक्षित चिकित्सा सेवा पाने का अधिकार है। ऐसी स्थिति में नागरिक जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO), स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों या राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह जिम्मेदारी केवल नागरिकों की नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की भी है कि वह ऐसे मामलों में शीघ्र जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित करे।

रात्रि के समय डॉक्टरों की अनुपस्थिति – प्रशासनिक लापरवाही

रात्रिकालीन समय में डॉक्टरों की अनुपस्थिति का मुद्दा भी गंभीर बन चुका है। कई बार आपातकालीन स्थिति में मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा या निजी क्लीनिकों की शरण लेनी पड़ी। इंडियन मेडिकल काउंसिल (प्रोफेशनल कंडक्ट, एथिक्स एंड एटिकेट) रेगुलेशन 2002 के अनुसार, हर डॉक्टर को अपने कार्यस्थल पर समयानुसार उपस्थित रहना अनिवार्य है।यदि कोई चिकित्सक अपनी ड्यूटी के दौरान अनुपस्थित पाया जाता है, तो यह “Negligence of Duty” यानी कर्तव्य की उपेक्षा कहलाता है। इसके लिए विभागीय जांच, निलंबन या सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई संभव है।अगर लापरवाही के कारण किसी मरीज की मृत्यु या स्वास्थ्य को गंभीर हानि होती है, तो यह मामला धारा 304A भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत आपराधिक अपराध की श्रेणी में आता है।

कानूनी दृष्टि से अभद्र व्यवहार के परिणाम

कानून नागरिकों को अपमानजनक भाषा या व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करता है।धारा 294 IPC: सार्वजनिक स्थान पर अपमानजनक या अश्लील भाषा का प्रयोग करने पर तीन माह तक की सज़ा या जुर्माना।धारा 504 IPC: किसी व्यक्ति को उकसाने के उद्देश्य से अपमानित करने पर दो वर्ष तक की कैद या जुर्माना।धारा 509 IPC: किसी महिला की मर्यादा का अपमान करने पर तीन वर्ष तक की कैद और जुर्माना।

यदि किसी स्वास्थ्यकर्मी द्वारा महिला मरीजों के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है, तो धारा 509 विशेष रूप से लागू होती है। इसके अतिरिक्त, म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के तहत ऐसे कर्मचारी पर चेतावनी, वेतनवृद्धि रोकना, निलंबन या सेवा समाप्ति जैसी कार्रवाई की जा सकती है।

सकारात्मक उदाहरण भी बने प्रेरणा

हालांकि, इसी अस्पताल में कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो “सेवा भावना” की मिसाल पेश कर रहे हैं। हाल ही में एक आपात स्थिति में जब बी.एम.ओ.बीके प्रसाद जी को फोन पर सूचना दी गई, तो डॉ. विकास सिसोदिया और डॉ. अजय सोनी ने रात्रिकालीन समय पर तुरंत मौके पर पहुंचकर मरीजों की जांच की और आवश्यक उपचार दिया। उनकी तत्परता से मरीज की स्थिति में सुधार आया।इन डॉक्टरों की कार्यशैली यह संदेश देती है कि जब सरकारी सेवक अपने दायित्व को समर्पण के साथ निभाते हैं, तब सीमित संसाधनों में भी ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हो सकती है।

जरूरत है जवाबदेही की, न कि औपचारिकता की

उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो रही शिकायतें यह दर्शाती हैं कि प्रशासनिक निगरानी कमजोर है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह ऐसे मामलों को केवल “नोटिस जारी” करने तक सीमित न रखे, बल्कि ठोस कार्यवाही करे।नागरिकों का यह अधिकार है कि वे सम्मानपूर्वक, सुरक्षित और समय पर स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करें। वहीं कर्मचारियों का यह कर्तव्य है कि वे अपनी ड्यूटी को सेवा भावना के साथ निभाएं। और यदि मरीज भी डॉक्टर या नर्स स्टाफ से अभद्रता करता है तो उसके लिए भी नियम कानून के तहत कार्रवाई सुनिश्चित होना चाहिए यदि दोनों पक्ष अपने दायित्वों को समझें और पालन करें, तो उमरियापान जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य व्यवस्था में नया विश्वास पैदा किया जा सकता है।

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