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जंगली सूअर के शिकार का खुलासा, आरोपी गिरफ्तार, वन विकास निगम रामपुर की टीम ने मचाया तहलका, शिकार करने वालो के लिए जेल का सफर

राहुल पाण्डेय की कलम

जंगली सूअर के शिकार का खुलासा, आरोपी गिरफ्तार, वन विकास निगम रामपुर की टीम ने मचाया तहलका, शिकार करने वालो के लिए जेल का सफर

 

ढीमरखेड़ा | दिनांक 28 सितम्बर 2025 को वन विकास निगम को एक अहम सूचना प्राप्त हुई। मुखबिर से मिली सूचना के अनुसार ग्राम झिन्ना पिपरिया के आसपास अवैध रूप से जंगली जानवर का शिकार किए जाने की खबर थी। सूचना मिलते ही वन विकास निगम के अधिकारी सक्रिय हो गए और त्वरित कार्यवाही प्रारंभ की गई। सूचना की गंभीरता को देखते हुए मौके पर संबंधित कर्मचारियों को भेजा गया ताकि स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया जा सके। वन विकास निगम की टीम ने जब ग्राम झिन्ना पिपरिया में गहन जांच की तो यह तथ्य सामने आया कि एक वन्यप्राणी (जंगली सूअर) का शिकार किया गया है। यह शिकार सामान्य तरीके से नहीं बल्कि आधुनिक और खतरनाक तरीके से किया गया था। आरोपी ने अपने खेत की बाड़ी में जीआई तार में करंट प्रवाहित कर शिकार को अंजाम दिया। इस तरह का तरीका वन्यजीव संरक्षण कानून के गंभीर उल्लंघन के साथ-साथ ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है।
*आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी*
जांच के उपरांत यह स्पष्ट हुआ कि इस अवैध कृत्य को अंजाम देने वाला व्यक्ति ग्राम झिन्ना पिपरिया निवासी शिवकुमार पिता बंशीलाल पटेल, उम्र 46 वर्ष है। वन कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को पूछताछ के लिए परियोजना परिक्षेत्र कार्यालय, रामपुर लाया। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने गोलमोल जवाब दिए, किन्तु वन अधिकारियों द्वारा ठोस सबूत एवं तथ्य प्रस्तुत करने के बाद उसने अपना अपराध स्वीकार किया।अपराध की पुष्टि होने पर आरोपी शिवकुमार पटेल को विधिवत गिरफ्तार किया गया और गिरफ्तारी की सूचना तत्काल उसके परिजनों को दी गई।
*कानूनी कार्यवाही और प्रकरण पंजीकरण*
इस मामले में आरोपी के विरुद्ध वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 एवं यथासंशोधित 2022 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की गई। प्रकरण क्रमांक 232/09, दिनांक 28.09.2025 को विधिवत पंजीबद्ध किया गया। यह अधिनियम वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाया गया है, जिसके तहत किसी भी संरक्षित या जंगली प्राणी के शिकार, व्यापार अथवा शोषण पर कड़ी सजा का प्रावधान है। प्रकरण पंजीबद्ध करने के बाद आरोपी को न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, ढीमरखेड़ा की अदालत में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय द्वारा मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया और बाद में उसे जिला जेल, कटनी स्थानांतरित कर दिया गया।
*जांच और कार्रवाई में सम्मिलित अधिकारी*
इस पूरी कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम देने में वन विभाग के कई अधिकारी एवं कर्मचारी सक्रिय रूप से सम्मिलित रहे। देवेश खराड़ी – परियोजना परिक्षेत्र अधिकारी, सरोज सिंह – परिक्षेत्र सहायक, शिवम चक्रवर्ती – क्षेत्ररक्षक, राहुल सेन – क्षेत्ररक्षक अभिषेक शुक्ला – वनरक्षक विकास शर्मा – वनरक्षक दीपक सिंह ठाकुर – वनरक्षक इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने समन्वित रूप से कार्य करते हुए न केवल आरोपी की पहचान सुनिश्चित की बल्कि उसे गिरफ्त में लेकर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने तक की समस्त प्रक्रिया को पूर्ण किया।
*वन्यजीव संरक्षण का महत्व*
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वन्यजीव संरक्षण केवल कानून का विषय नहीं बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है। जंगली सूअर जैसे प्राणी कृषि क्षेत्र और जंगल दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि इनके शिकार को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो यह प्राकृतिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को समय-समय पर संशोधित किया गया है ताकि नए खतरों और चुनौतियों का सामना किया जा सके। संशोधित प्रावधानों में ऐसे अपराधों पर कठोर दंड का उल्लेख है, जिससे संभावित अपराधियों में भय उत्पन्न हो और वे ऐसे कृत्यों से दूर रहें।

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