विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह’जिला चिकित्सालय ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर दी चेतावनी : ‘मनमाना उपयोग रोकें’ सिविल सर्जन
कलयुग की कलम से राकेश यादव

विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह’जिला चिकित्सालय ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर दी चेतावनी : ‘मनमाना उपयोग रोकें’ सिविल सर्जन
कलयुग की कलम कटनी – ‘विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह’ के अवसर पर जिला चिकित्सालय कटनी के सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, डॉ. यशवंत वर्मा ने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमणों (Healthcare-Associated Infections – HAI) और एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बढ़ते स्तर पर एक गंभीर चेतावनी दी हैअनुमानों के अनुसार 7 से 18 प्रतिशत रोगी जो या तो अस्पताल में भर्ती होते है या कोई प्रक्रिया करवाते हैं, ऐसे संक्रमण में ग्रस्त हो सकते है।
इसके कारण रोगियों को न केवल जान का जोखिम उत्पन्न हो सकता है परंतु लंबी बीमारी, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में कमी, अन्य संक्रमण जनित शारीरिक जटिलताएं भी उसे लम्बे समय सक्रिय जीवन जीने में अक्षम बना सकती है। रोगी के परिवारजनो पर भी परिचर्या का अतिरिक्त दबाव, अनचाही आर्थिक जटिलताएं, अपने परिजन को कष्ट में देखने की पीड़ा जैसे अनचाहे कारकों से भौतिक, मानसिक व सामाजिक दशा में कमी का अनुभव करना पड़ता है। चिकित्सालय के लिये यह एक आर्थिक हानि के अतिरिक्त प्रतिष्ठा में कमी भी लाता है। राष्ट्र के लिये यह एक सक्रिय सदस्य की कमी के कारण उत्पादकता में भी कमी होती है।
ऐसे समय पर संक्रमण से लड़ने एंटीबायोटिक एक मात्र हथियार उपलब्ध होता है और यदि उसमें भी असर का प्रतिरोध हो जावे तो हानि के अवसर बहुगुणित हो जाते हैं लगभग 15 प्रतिशत प्रकरण इस तरह के प्रतिवेदित किए गए हैं।
यह स्थिति और विकराल रूप तब धारण करती है जब हम यह महसूस करते हैं कि वर्ष 2000 के बाद एक या दो एंटीबायोटिक ही नए अविष्कृत हुए हैं। अन्यथा हमें पूर्व में उपलब्ध दवाओं का ही सहारा लेना पड़ रहा है। कोविड के बाद इस स्थिति में लगभग तीन गुना रफ्तार से वृद्धि हो रही है। चिकित्साकीय जनित संक्रमण में ऑपरेशन के उपरान्त या शरीर में यूरिनरी अन्य कोई केन्यूला डालने या वेन्टीलेटर के उपरान्त संक्रमण शामिल है।
इस तथ्य से अवगत होना ही इस प्रतिरोध को घटाने की ओर पहला कदम है। यदि हम एंटीबायोटिक का अंधाधुंध मनमाना अनियंत्रित प्रयोग रोक दें तो कई एंटीबायोटिक निष्क्रिय होने से बचाई जा सकती है।हाथ धोने के वैज्ञानिक तरीके, विसंक्रमण के सिद्धांतों का पालन, जैव रासायनिक कचरे के सुरक्षित निष्पादन, वह अन्य कदमों में हम यह निर्भरता कम कर सकते हैं।
सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक ने अनुरोध किया है कि वे इस महत्वपूर्ण विषय पर व्यापक जागरूकता फैलाएं ताकि एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संकट को टाला जा सके। इस दौरान शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष मिश्रा और आरएमओ सहित अन्य डॉक्टर्स की मौजूदगी रही।




