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नवयुवक आदर्श रामलीला मंडल पोड़ी खुर्द में चालू हैं रामलीला सन 1989 से 2025 तक का सफर तय करता हुआ रामलीला जिसमें मंच का संचालन अटल बिहारी बाजपेई के द्वारा किया जाता हैं, ग्राम पोड़ी खुर्द में भव्य रामलीला का आयोजन लोगो के दिलो में राज करने वाले उमरियापान थाना प्रभारी दिनेश तिवारी पहुंचे और किया पूजन, थाना प्रभारी दिनेश तिवारी का कार्य बहुत ही सराहनीय है महाआरती का नज़ारा देखते ही बन रहा था, नवयुवक आदर्श रामलीला मंडल पोड़ी खुर्द 1989 से 2025 तक का गौरवशाली सफर

राहुल पाण्डेय की कलम

नवयुवक आदर्श रामलीला मंडल पोड़ी खुर्द में चालू हैं रामलीला सन 1989 से 2025 तक का सफर तय करता हुआ रामलीला जिसमें मंच का संचालन अटल बिहारी बाजपेई के द्वारा किया जाता हैं, ग्राम पोड़ी खुर्द में भव्य रामलीला का आयोजन लोगो के दिलो में राज करने वाले उमरियापान थाना प्रभारी दिनेश तिवारी पहुंचे और किया पूजन, थाना प्रभारी दिनेश तिवारी का कार्य बहुत ही सराहनीय है महाआरती का नज़ारा देखते ही बन रहा था, नवयुवक आदर्श रामलीला मंडल पोड़ी खुर्द 1989 से 2025 तक का गौरवशाली सफर

ढीमरखेड़ा | भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में रामलीला का एक विशेष स्थान है। यह केवल भगवान श्रीराम की लीला का मंचन भर नहीं, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों, मर्यादा, भक्ति और आदर्श जीवन पद्धति का संदेश भी है। जब-जब रामलीला का आयोजन होता है, तब-तब समाज के छोटे-बड़े, बुजुर्ग और युवा सभी इसमें भाग लेकर न केवल अपने मनोरंजन का साधन पाते हैं बल्कि धर्म और संस्कृति से भी गहरे जुड़ते हैं। ग्राम पोड़ी खुर्द में भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नवयुवक आदर्श रामलीला मंडल की स्थापना वर्ष 1989 में की गई। यह मंडल अपने आरंभ से ही गांव-समाज को धार्मिक और सांस्कृतिक मार्ग पर अग्रसर करने का कार्य करता आया है। 1989 से लेकर 2025 तक यानी लगभग 36 वर्षों का यह सफर अनेक उपलब्धियों और स्मरणीय क्षणों से भरा हुआ है।
*रामलीला मंडल की स्थापना और उद्देश्य*
जब 1989 में इस रामलीला मंडल का गठन हुआ, तब इसका उद्देश्य केवल एक था गांव और आसपास के क्षेत्रों में भक्ति, सद्भाव और सामाजिक एकता का वातावरण बनाना। उस दौर में मनोरंजन के साधन बहुत सीमित थे। लोगों को धार्मिक आयोजन ही आपसी मेलजोल, संस्कृति और ज्ञान का माध्यम प्रदान करते थे। नवयुवक आदर्श रामलीला मंडल ने प्रारंभ से ही यह निश्चय किया कि वह हर वर्ष दशहरा के अवसर पर भव्य रामलीला का आयोजन करेगा, जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पूरी जीवनगाथा का मंचन होगा।
*मंच संचालन अटल बिहारी बाजपेयी की शैली में*
रामलीला का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसका मंच संचालन होता है। दर्शकों तक कथा और संवाद को रोचक और प्रेरणादायी ढंग से पहुँचाना मंच संचालक की कला पर निर्भर करता है। पोड़ी खुर्द की रामलीला में मंच संचालन का कार्य अटल बिहारी बाजपेई की शैली से प्रेरित होकर किया जाता है। उनकी ओजस्वी वाणी, प्रभावशाली उच्चारण और काव्यात्मक प्रस्तुति दर्शकों को भावविभोर कर देती है। मंच से निकलते उनके शब्द केवल संवाद नहीं, बल्कि जनमानस को जोड़ने वाली शक्ति बन जाते हैं। यही कारण है कि यहां की रामलीला हर वर्ष और अधिक लोकप्रिय होती चली गई।
*1989 से 2025 तक का सफर*
36 वर्षों का यह सफर आसान नहीं था। अनेक बार वित्तीय चुनौतियाँ आईं, कभी मंचन के लिए संसाधनों की कमी रही, तो कभी मौसम ने आयोजन पर प्रश्नचिह्न लगाए। लेकिन इन सब कठिनाइयों के बावजूद मंडल के सदस्यों और ग्रामीणों की आस्था ने कभी भी इस परंपरा को टूटने नहीं दिया। हर वर्ष के साथ मंचन की भव्यता और आकर्षण बढ़ता गया। आज पोड़ी खुर्द की रामलीला केवल एक गांव का आयोजन न होकर आसपास के क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध हो चुकी है। 1990 के दशक में यह आयोजन गांव की सीमाओं में सिमटा रहा। 2000 के बाद इसमें तकनीकी साधनों का समावेश हुआ—लाइटिंग, ध्वनि और परिधानों में नवीनता आई।2010 के दशक में मंचन की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। और अब 2025 तक पहुँचते-पहुँचते यह आयोजन ग्राम पोड़ी खुर्द की पहचान बन चुका है।
*उमरियापान थाना प्रभारी दिनेश तिवारी की उपस्थिति*
2025 के आयोजन में एक विशेष क्षण वह था जब उमरियापान थाना प्रभारी श्री दिनेश तिवारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वे केवल मुख्य अतिथि के रूप में नहीं, बल्कि एक भावनात्मक श्रद्धालु के रूप में पहुंचे।उनके आगमन पर ग्रामवासियों ने हर्षोल्लास से स्वागत किया। मंच पर पहुंचकर उन्होंने भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी की प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन किया। इस अवसर पर उनके भाव स्पष्ट थे कि धर्म और संस्कृति के बिना समाज का विकास अधूरा है।
*थाना प्रभारी का सराहनीय कार्य*
श्री दिनेश तिवारी अपने कार्य के प्रति ईमानदारी और निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा यह प्रयास किया है कि कानून-व्यवस्था केवल डर पर नहीं, बल्कि आपसी विश्वास और सहयोग पर आधारित हो। गांव में उनके आने से न केवल रामलीला के मंचन को गौरव मिला, बल्कि लोगों के दिलों में यह संदेश भी गया कि पुलिस प्रशासन केवल कानून का पालन कराने वाला नहीं, बल्कि समाज का सहभागी भी है। वे हमेशा आमजन से जुड़े रहते हैं, उनकी समस्याओं को सुनते हैं और समाधान करते हैं। इससे समाज और प्रशासन के बीच की दूरी कम होती है। उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली से युवा यह सीखते हैं कि अनुशासन और सेवा भाव से ही समाज में सम्मान मिलता है। आयोजन के दौरान उन्होंने पुलिस बल की उपस्थिति सुनिश्चित कराई, जिससे लोग निर्भय होकर आयोजन का आनंद ले सकें।
*रामलीला का सामाजिक महत्व*
रामलीला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज सुधार का माध्यम भी है। यह बच्चों और युवाओं को मर्यादा, आदर्श और कर्तव्य का पाठ पढ़ाती है। बुजुर्गों के लिए यह आध्यात्मिक शांति का स्रोत बनती है। महिलाओं की सहभागिता से परिवार और समाज में धार्मिक वातावरण का निर्माण होता है। ग्राम पोड़ी खुर्द की रामलीला विशेष इसलिए भी है क्योंकि यहाँ हर वर्ग और हर आयु वर्ग के लोग मिलकर इसे सफल बनाते हैं। यही कारण है कि यह आयोजन वर्षों से लोगों के दिलों पर राज कर रहा है।

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