महादेवी मंदिर दशरमन में श्रद्धालुओं का माता के दर्शन करने को लगा रहता है तांता सभी भक्त की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण पहले हर साल बढ़ता था पत्थर की शिला का आकार,द्वितीया तिथि पर हर साल बोए जाते है जवारें,
कलयुग की कलम से राकेश यादव

महादेवी मंदिर दशरमन में श्रद्धालुओं का माता के दर्शन करने को लगा रहता है तांता सभी भक्त की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण पहले हर साल बढ़ता था पत्थर की शिला का आकार,द्वितीया तिथि पर हर साल बोए जाते है जवारें,
कलयुग की कलम उमरिया पान – ढीमरखेड़ा के समीप दशरमन के महादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं का लगता है तांता महादेवी के दर्शन करने यहाँ दूर दूर से आते है भक्त। दशरमन दतला नदी के किनारे ऊंचे पहाड़ पर माता को श्रद्धालु शिला के रूप में पूजते हैं। यहाँ कि खासियत यह है कि माता की शिला का आकार हर साल बढ़ता जा रहा था।

कई दशकों पहले पंडा,पुजारियों और श्रद्धालुओं की विनती और प्रार्थना के बाद शिला का आकार स्थिर हुआ। जिसके बाद सामने से मंदिर का निर्माण कार्य कराया गया। पीछे से अब भी माता की शिला खुली हुई है। पहले शिला 5-6 फिट की थीं। अब शिला का आकार 25 फिट से अधिक है। मंदिर की शिला पर आज भी शेर और गाय के पैरों के निशान स्पष्ट नजर आ रहे है।प्राचीनकाल में जब शिला को तोड़कर मढ़िया की बड़ेरी रखना चाही तब शिला से खून और दूध की धारा बहने लगी, उसी समय से काम बंद किया गया। शिला अब भी छप्पर से ऊंची दिख रही है। आज भी खून और दूध की बहती धार के निशान दिखाई दे रहे है। महादेवी माता के मंदिर का इतिहास अंग्रेजी शासन काल से जुड़ा हुआ है। यहाँ नवरात्र की बैठकी के दूसरे दिन जवारें बोए जाने की परंपरा आज भी बनी हैं। महादेवी मंदिर समिति के अध्यक्ष रमेश गर्ग ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए सागौन की लकड़ी काटने पर पंडा को अंग्रेजी शासन के अधिकारियों ने जेल भेज दिया। उस समय भी नवरात्र का समय चल रहा था। मढ़िया में जवारें बोए जाने थे, समय पर पंडा जेल से वापस नहीं लौटा तो मातारानी ने जेल में ही हलचल मचा दिया।अंग्रेजी शासन के अधिकारी परेशान हो गए। जिस पर जेल के अधिकारी पंडा को रिहा कर महादेवी मंदिर लेकर पहुँचे।तभी से नवरात्र की बैठकी को छोड़कर दूसरे दिन द्वितीया तिथि पर जवारें बोए जाते है।इस बार चैत्र नवरात्रि में 700 कलश बोए गए हैं। इसके अलावा 35 अखंड ज्योति भी जल रही है। रामनवमीं पर सोमवार को जवारों का विसर्जन होगा। महादेवी मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु अलग अलग मंन्नते लेकर पहुँचते हैं।
मातारानी की कृपा से अनेकों भक्तों को संतान की प्राप्ति हुई।कई पागलों को माता ने अच्छा किया तो अनेकों को रोजगार मिला। उन्होंने बताया कि मातारानी के दरबार में जो भी सच्ची श्रद्धा से अर्जी लगाता है, उसकी हर मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण।



