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कटनी जिले के ढीमरखेड़ा विकासखंड में अतिथि शिक्षकों के बदौलत चल रहा घुघरी स्कूल, नही हैं शिक्षक बच्चों का भविष्य अंधकार में, शिक्षक बालकिशन पटैल की आईडी से संचालित हों रहा स्कूल, शिक्षक पचपेढी में है पदस्थ , नियमों को ताक में रखकर संचालित हों रहा घुघरी स्कूल

कलयुग की कलम से सोनू त्रिपाठी की रिपोर्ट

उमरियापान- शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाली शाला घुघरी अतिथि शिक्षको के बदौलत संचालित हों रही हैं लिहाज़ा घुघरी गांव का सरकारी स्कूल, जो शिक्षा का प्रमुख केंद्र होना चाहिए, वर्तमान में बदहाल स्थिति में है। यहां बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा एकमात्र अतिथि शिक्षक पर है, जबकि स्थायी शिक्षक बालकिशन पटैल की आईडी से स्कूल संचालित हो रहा है। दुर्भाग्यवश, बालकिशन पटैल खुद पचपेढ़ी में पदस्थ हैं और घुघरी स्कूल में उनकी केवल कागजी उपस्थिति है। यह स्थिति न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।घुघरी स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। सरकारी नियमों के अनुसार, प्रत्येक विद्यालय में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन घुघरी स्कूल इसका अपवाद है। स्थायी शिक्षक के अभाव में विद्यालय की पूरी जिम्मेदारी अतिथि शिक्षक पर है, जो सीमित संसाधनों और अनुभव के साथ काम कर रहे हैं।

स्थायी शिक्षक की गैरहाजिरी का प्रभाव

बालकिशन पटैल, जो इस स्कूल के स्थायी शिक्षक हैं, पचपेढ़ी में पदस्थ हैं और घुघरी स्कूल में उनकी केवल नाम मात्र की उपस्थिति है। उनके नाम से विद्यालय के प्रशासनिक कार्य और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। यह स्थिति शिक्षा विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करती है। बालकिशन पटैल की अनुपस्थिति से न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, बल्कि विद्यालय का सामान्य संचालन भी प्रभावित हो रहा है।

2 अतिथि शिक्षकों पर अत्यधिक निर्भरता

अतिथि शिक्षक जो अस्थायी रूप से नियुक्त किए जाते हैं, घुघरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का पूरा भार उठाए हुए हैं। हालांकि उनकी मेहनत और समर्पण सराहनीय है, लेकिन वे स्थायी शिक्षकों के बराबर अनुभव और प्रशिक्षण नहीं रखते। इसके अलावा, अतिथि शिक्षकों को मिलने वाला वेतन भी बहुत कम होता है, जिससे उनका मनोबल प्रभावित होता है। स्थायी शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है। मनोरंजन और सह-पाठ्यक्रम स्थायी शिक्षकों की अनुपस्थिति में बच्चों को न तो सही मार्गदर्शन मिल रहा है और न ही अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने का अवसर। अतिथि शिक्षकों पर पूर्ण रूप से निर्भरता के कारण बच्चों की पढ़ाई नियमित नहीं हो पाती है।

शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही

घुघरी स्कूल की स्थिति शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाती है। बालकिशन पटैल की आईडी का उपयोग कर विद्यालय का संचालन किया जाना नियमों का खुला उल्लंघन है। यह न केवल एक नैतिक समस्या है, बल्कि बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन भी है। स्थानीय प्रशासन को इस मुद्दे पर कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्कूल का निरीक्षण और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना आवश्यक है।

नियमों का उल्लंघन और भ्रष्टाचार

बालकिशन पटैल की घुघरी स्कूल में नाम मात्र की उपस्थिति दर्शाती है कि शिक्षा विभाग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। अस्थायी शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों का कार्यभार सौंपना नियमों का सीधा उल्लंघन है। स्कूल के संचालन के लिए मिले बजट का सही उपयोग नहीं हो रहा है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल में पर्याप्त संख्या में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। शिक्षा विभाग को स्कूल का नियमित निरीक्षण करना चाहिए ताकि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। बालकिशन पटैल जैसे शिक्षकों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए, जो अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। अतिथि शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण और वेतन दिया जाना चाहिए ताकि वे बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकें। स्थानीय समुदाय को स्कूल के संचालन में भागीदार बनाया जाना चाहिए ताकि वे प्रशासन पर निगरानी रख सकें।

बच्चों के भविष्य को अंधकार से निकालने की आवश्यकता

घुघरी स्कूल की मौजूदा स्थिति में बदलाव लाने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना समाज और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। बालकिशन पटैल की तरह नियमों का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, अतिथि शिक्षकों को प्रोत्साहित करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना भी आवश्यक है, उल्लेखनीय हैं कि, घुघरी स्कूल का यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की खामियों को उजागर करता है, बल्कि बच्चों के मौलिक अधिकारों पर भी सवाल खड़े करता है। स्थायी शिक्षकों की कमी, अतिथि शिक्षकों पर अत्यधिक निर्भरता, और प्रशासन की लापरवाही ने स्कूल की स्थिति को बदतर बना दिया है। यदि समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो बच्चों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया जाएगा। सरकार, शिक्षा विभाग, और स्थानीय प्रशासन को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा ताकि घुघरी स्कूल एक बार फिर शिक्षा का केंद्र बन सके।

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