बिजली विभाग की तानाशाही चरम पर सड़ी केबल लगी हैं पोड़ी कला बी में किसी भी समय हों सकता हैं हादसा मेटिनेंस के नाम पर बिजली विभाग केवल करता हैं खानापूर्ति, जल्द ही केबल नही बदली गई तो उच्च स्तर में की जाएगी शिकायत, बिजली विभाग की तानाशाही और लापरवाही, पोड़ी कला बी में हादसे का खतरा
राहुल पाण्डेय की कलम

बिजली विभाग की तानाशाही चरम पर सड़ी केबल लगी हैं पोड़ी कला बी में किसी भी समय हों सकता हैं हादसा मेटिनेंस के नाम पर बिजली विभाग केवल करता हैं खानापूर्ति, जल्द ही केबल नही बदली गई तो उच्च स्तर में की जाएगी शिकायत, बिजली विभाग की तानाशाही और लापरवाही, पोड़ी कला बी में हादसे का खतरा
कटनी | देश के विकास और आम जनजीवन की सहजता के लिए बिजली को मूलभूत आवश्यकताओं में गिना जाता है। आज के समय में शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, खेती से लेकर घरेलू कार्य तक हर जगह बिजली की भूमिका अहम है। लेकिन दुख की बात यह है कि जहाँ एक ओर सरकारें 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का दावा करती हैं, वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर बिजली विभाग की लापरवाही और तानाशाही के कारण लोग असुरक्षा और परेशानी का सामना कर रहे हैं। पोड़ी कला बी क्षेत्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है, जहाँ लंबे समय से जर्जर और सड़े हुए बिजली के तार मौत बनकर झूल रहे हैं।
*जर्जर तारों से मंडराता खतरा*
पोड़ी कला बी में लगे अधिकांश बिजली के तार अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। नमी, बारिश और मौसम की मार से ये तार पूरी तरह सड़ चुके हैं। कई जगह तो तारों की परत उधड़ चुकी है और नंगी तांबे की तारें खुले में झूल रही हैं। नतीजतन, कभी भी करंट फैलने और बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह तार किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकते हैं। खेतों और गलियों से होकर गुजरने वाले ये तार हादसे को न्यौता दे रहे हैं।
*विभाग की खानापूर्ति वाली मेटिनेंस*
ग्रामीणों का आरोप है कि जब-जब शिकायत की जाती है, तब-तब बिजली विभाग के कर्मचारी केवल खानापूर्ति करने पहुँचते हैं। वे तारों की असलियत देख कर भी अनदेखा कर देते हैं। कई बार सिर्फ खंभों पर हल्का-फुल्का पैबंद लगाकर वापस लौट जाते हैं। न तो पुराने तार बदले जाते हैं और न ही ट्रांसफॉर्मरों की समय पर सर्विस की जाती है। इस लापरवाही के चलते कभी ट्रांसफॉर्मर जल जाता है, कभी घंटों तक सप्लाई बाधित रहती है।
*हर वक्त हादसे का डर*
लोगों का कहना है कि बरसात के मौसम में हालात और भी भयावह हो जाते हैं। बारिश के दौरान सड़े हुए तारों से चिंगारियाँ निकलती हैं। कई बार करंट जमीन में फैल जाता है, जिससे इंसान और मवेशी तक सुरक्षित नहीं रह पाते। अभी तक किसी बड़ी दुर्घटना की खबर नहीं आई है, लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि यदि तुरंत सुधार नहीं किया गया तो कोई बड़ा हादसा टलना मुश्किल है।




