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नाग पंचमी के शुभ अवसर पर जगह-जगह मंदिर शिवालयों पर भक्तों ने नागदेवताओं को दूध अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की।

कलयुग की कलम से राकेश यादव

नाग पंचमी के शुभ अवसर पर जगह-जगह मंदिर शिवालयों पर भक्तों ने नागदेवताओं को दूध अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की।

कलयुग की कलम उमरिया पान -नाग पंचमी के पावन अवसर पर कटनी उमरिया, पान बम्हनी, महनेर, ढीमरखेड़ा दशरमन और सिलौंडी सहित विभिन्न मंदिरों पर भक्तों ने सुबह से ही शिवालयों में दूध अर्पित कर पूजा दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की। यह पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 29 जुलाई आज 2025 को पड़ा।

Oplus_16908288*नाग पंचमी का महत्व*

नाग पंचमी का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह पर्व नागों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। हिंदू धर्म में नागों को देवता माना गया है और उन्हें शिवजी के गले का हार, विष्णुजी की शैया और कई अन्य देवी-देवताओं से जोड़ा गया है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, सर्प भय दूर होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

*नाग पंचमी की कथा*

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है, इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागों से अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए एक सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में सभी नाग जलने लगे, तब ऋषि आस्तिक ने यज्ञ को रोककर नागों की रक्षा की। जिस दिन यह हुआ, वह सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। तभी से यह पर्व मनाया जाता है।

*पूजा विधि*

नाग पंचमी की पूजा विधि का पालन करने से विशेष लाभ होता है। सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। गाय के गोबर से नाग का आकार बनाकर उसकी पूजा करें। नाग देवता को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाएं। इस दिन नागों को दूध पिलाने और उनकी पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और सर्प भय दूर होता है।

*नाग पंचमी पर विशेष उपाय*

नाग पंचमी पर कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है। जैसे कि:

– *कालसर्प दोष निवारण*: नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।

– *सर्प भय से मुक्ति*: नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से सर्पदंश या सर्प भय से मुक्ति पाई जा सकती है।

– *प्रकृति से जुड़ाव*: नाग पंचमी प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाती है। नाग पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और वे किसानों के मित्र माने जाते हैं सभी किसान अपने-अपने खेत पहुंचकर पूजा-अर्चना कर दूध अर्पित करते हैं।

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