प्रशासनमध्यप्रदेश

उमरिया पान चंदौल जलाशय की नहर दो साल से क्षतिग्रस्त, सैकड़ों किसान परेशान  खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा पानी, सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप,

कलयुग की कलम से राकेश यादव

उमरिया पान चंदौल जलाशय की नहर दो साल से क्षतिग्रस्त, सैकड़ों किसान परेशान  खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा पानी, सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप,किसानों का कहना है  “जलाशय तो भरा है, लेकिन हमारे खेत प्यासे हैं।”

कलयुग की कलम उमरिया पान – ग्रामीण अंचल के किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली चंदौल जलाशय की मुख्य नहर पिछले दो वर्षों से जर्जर अवस्था में पड़ी है। नहर की मरम्मत कार्य शुरू न होने के कारण सैकड़ों किसानों की फसलें लगातार प्रभावित हो रही हैं। खेतों तक सिंचाई का पानी न पहुंच पाने से किसान मजबूरन बारिश के भरोसे ही खेती कर रहे हैं। दो साल से विभागीय स्तर पर शिकायतें करने के बावजूद अब तक नहर की मरम्मत शुरू नहीं हो पाई है, जिससे क्षेत्र के किसानों में गहरी नाराजगी है।

दो स्थानों पर टूटी नहर, बह जाता है पानी

किसानों के अनुसार चंदौल जलाशय से उमरियापान होते हुए कुदवारी की ओर जाने वाली मुख्य नहर मुराही के पास दो स्थानों पर टूट चुकी है। नहर की दीवारों में दरारें और टूट-फूट के कारण जलाशय का पानी बीच रास्ते में ही बहकर निकल जाता है। खेतों तक पानी पहुंचने से पहले ही नहर सूख जाती है। इससे सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बंजर होती जा रही है। जिन किसानों ने कभी सिंचाई के भरोसे धान और गेहूं की खेती की थी, वे अब वर्षा पर निर्भर हो गए हैं।

प्रभावित हो रहा फसल चक्र

धान की कटाई के बाद अब दलहनी और तिलहनी फसलों की बुवाई का समय शुरू हो चुका है, लेकिन नहर के क्षतिग्रस्त होने से किसानों को गंभीर सिंचाई संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसान बताते हैं कि दो वर्षों से नहर की मरम्मत की मांग लगातार की जा रही है। कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों को मौखिक और लिखित रूप से शिकायतें दी गईं, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते अब तक किसी स्तर पर कार्यवाही नहीं की गई।

खेतों तक पानी न पहुंच पाने से खरीफ और रबी दोनों सीजन की फसलें प्रभावित हुई हैं। धान, गेहूं, चना, सरसों, मसूर और तिल जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले दो वर्षों से किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है।

किसानों की मेहनत पर पानी फिरा

ग्राम मुराही, कुदवारी, उमरियापान और चंदौल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि वे हर साल नहर की सफाई और देखभाल के लिए श्रमदान भी करते हैं, लेकिन टूटे हुए हिस्से की मरम्मत विभाग के स्तर पर ही संभव है। यदि नहर का सुधार कार्य समय पर नहीं कराया गया, तो आगामी रबी सीजन में फसल बोना भी मुश्किल हो जाएगा। किसान बताते हैं कि खेत तैयार हैं, बीज और खाद का इंतजाम हो चुका है, लेकिन पानी न होने से बुवाई रुक गई है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा असर

लगातार दो वर्षों से सिंचाई प्रभावित होने के कारण किसानों को न केवल फसल नुकसान झेलना पड़ रहा है, बल्कि पूरे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर दिख रहा है। जिन किसानों ने कृषि ऋण लेकर खेती की थी, वे अब उसे चुकाने में असमर्थ हैं। कई किसान मजदूरी या अन्य कामों की तलाश में बाहर जाने को मजबूर हैं।

प्रशासन और विभाग पर उठे सवाल

किसानों का कहना है कि नहर की स्थिति से सिंचाई विभाग और प्रशासन दोनों को अवगत कराया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अधिकारी स्थल निरीक्षण तक नहीं कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि हर वर्ष लाखों रुपए की सिंचाई योजनाओं की घोषणा होती है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा।स्थानीय किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही नहर की मरम्मत नहीं कराई गई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

आगामी फसल चक्र पर संकट

किसानों का कहना है कि यदि नहर की मरम्मत कार्य जल्द शुरू नहीं किया गया, तो आगामी फसल चक्र पर भी संकट गहराएगा। बिना सिंचाई के फसल बुवाई संभव नहीं है। आने वाले महीनों में गेहूं, चना और तिलहन जैसी फसलों की बुवाई का समय है, जो पानी की पर्याप्त उपलब्धता पर निर्भर करता है।ग्रामीणों ने प्रशासन और सिंचाई विभाग से तत्काल मरम्मत कर जल प्रवाह बहाल करने की मांग की है, ताकि आगामी सीजन की खेती प्रभावित न हो।

किसानों की एक स्वर में मांग

चंदौल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अब स्थिति असहनीय हो चुकी है। दो साल से अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। क्षेत्र में जलाशय तो है, लेकिन उसकी नहरों के क्षतिग्रस्त होने से किसान उसकी एक बूंद तक का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। किसान चाहते हैं कि प्रशासन तत्काल तकनीकी टीम भेजकर नहर का सर्वे कराए और मरम्मत का कार्य शीघ्र प्रारंभ करे, ताकि किसानों की मेहनत पर पानी न फिर जाए।

किसानों का कहना है  “जलाशय तो भरा है, लेकिन हमारे खेत प्यासे हैं।”

यदि समय रहते नहर की मरम्मत नहीं हुई तो आने वाले महीनों में न केवल किसानों की फसलें बल्कि पूरे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था पर गहरा संकट छा जाएगा। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से नहर की शीघ्र मरम्मत, जल प्रवाह पुनः प्रारंभ करने और भविष्य में नियमित रखरखाव की व्यवस्था की मांग की है, ताकि ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो।

Related Articles

Back to top button