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गरीबों के राशन का गबन करने वाले अनेकों सेल्समैन के ऊपर एफआईआर तक सीमित प्रशासन की कार्यवाई, खुलेआम घूम रहे आरोपियों पर बरस रही प्रशासन की कृपा, कटनी जिले के ढीमरखेड़ा विकासखंड का मामला..

कलयुग की कलम से सोनू त्रिपाठी की रिपोर्ट

उमरियापान- उमरियापान और ढीमरखेड़ा क्षेत्र में हाल के दिनों में कई सेल्समैनों पर एफआईआर दर्ज हुई है, जिसमें एक सेल्समैन जेल में है जबकि अन्य सेल्समैन खुलेआम घूम रहे हैं। इस मामले ने पुलिस प्रशासन, खासकर पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पूरे प्रकरण में फूड इंस्पेक्टर ब्रजेश जाटव का नाम भी संदेह के घेरे में है, क्योंकि यह आरोप लगाया जा रहा है कि वे केवल ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ कार्रवाई करवा रहे हैं। यह मामला न केवल प्रशासनिक विफलताओं को उजागर करता है बल्कि जातिगत भेदभाव और पक्षपातपूर्ण रवैये की भी ओर इशारा करता है।

एफआईआर के पीछे की वजह

सेल्समैनों पर एफ.आई.आर दर्ज करने की मुख्य वजह कथित तौर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ सेल्समैन राशन वितरण में गड़बड़ियां कर रहे थे। राशन का वजन कम देना। गरीबों को उनके हिस्से का राशन न देना कालाबाजारी के जरिए राशन को ब्लैक मार्केट में बेचना। इन गड़बड़ियों की शिकायतें मिलने के बाद प्रशासन ने कुछ सेल्समैनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। हालांकि, कार्रवाई का यह तरीका समान रूप से निष्पक्ष नहीं था, और ब्राह्मण समुदाय के सेल्समैनों को ही निशाना बनाने का आरोप फूड इंस्पेक्टर ब्रजेश जाटव पर लगाया गया है।

पुलिस की भूमिका और पक्षपात के आरोप

उमरियापान और ढीमरखेड़ा पुलिस की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध नजर आ रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन कुछ सेल्समैनों को पकड़ने में देरी कर रहा है, जबकि एक सेल्समैन को पहले ही जेल भेज दिया गया है। यह भी आरोप है कि बाकी सेल्समैन, जो दूसरे समुदायों से आते हैं, उन पर कार्रवाई करने में पुलिस ढील बरत रही है।पुलिस और फूड इंस्पेक्टर पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वे ब्राह्मण समुदाय के सेल्समैनों के खिलाफ सख्ती दिखा रहे हैं जबकि अन्य समुदायों के दोषी सेल्समैनों को अनदेखा किया जा रहा है। यह मामला प्रशासनिक न्याय और जातिगत संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन से उम्मीदें

पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन इस मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनकी ईमानदारी और सख्त प्रशासनिक कार्यशैली के लिए उन्हें जाना जाता है। सभी दोषी सेल्समैनों को समान रूप से न्याय के दायरे में लाएंगे। फूड इंस्पेक्टर ब्रजेश जाटव की भूमिका की निष्पक्ष जांच करवाएंगे। पुलिस प्रशासन में जातिगत भेदभाव के आरोपों को गंभीरता से लेंगे और निष्पक्षता सुनिश्चित करेंगे।

फूड इंस्पेक्टर ब्रजेश जाटव पर आरोप

फूड इंस्पेक्टर ब्रजेश जाटव पर मुख्य आरोप यह है कि वे केवल ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं। उनके खिलाफ यह भी आरोप है कि वे अन्य समुदायों के दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह माना जा रहा है कि ब्रजेश जाटव के ब्राह्मण समुदाय के प्रति व्यक्तिगत मतभेद हो सकते हैं। इस बात की संभावना है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण वे कुछ लोगों को बचा रहे हों। अगर अन्य दोषी सेल्समैनों से रिश्वत ली गई है, तो यह भी एक वजह हो सकती है। स्थानीय जनता में इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी है। पुलिस और फूड इंस्पेक्टर दोनों ही पक्षपात कर रहे हैं।प्रशासन दोषियों को पकड़ने के बजाय जातिगत आधार पर कार्रवाई कर रहा है। अगर जल्द ही निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की गई, तो जनता आंदोलन करने पर मजबूर हो सकती है। पुलिस अधीक्षक को एक निष्पक्ष जांच कमेटी बनानी चाहिए, जो सभी दोषियों की पहचान करे। ब्रजेश जाटव की भूमिका की जांच की जानी चाहिए ताकि पता लगाया जा सके कि क्या वे जातिगत आधार पर कार्रवाई कर रहे हैं। दोषी सेल्समैन चाहे किसी भी जाति या समुदाय से हों, उनके खिलाफ समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए। स्थानीय लोगों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए ताकि कार्रवाई पारदर्शी हो।उमरियापान और ढीमरखेड़ा क्षेत्र में सेल्समैनों पर एफआईआर का यह मामला प्रशासनिक प्रणाली की खामियों और जातिगत भेदभाव के आरोपों को उजागर करता है। पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन और अन्य संबंधित अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक सभी दोषियों को न्याय के दायरे में नहीं लाया जाता, तब तक जनता का गुस्सा शांत नहीं होगा। इस मामले का सही समाधान प्रशासन की ईमानदारी, पारदर्शिता, और निष्पक्षता पर निर्भर करता है।

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