सिहोरा की आवाज बुलंद — जिला बनकर रहे! दूसरे दिन भी आंदोलन उफान पर, महिलाओं की भूख हड़ताल ने बढ़ाई तपिश शाम को निकली विशाल “स्वाभिमान रैली”, नगर एकजुट — संकल्प अडिग
कलयुग की कलम से राकेश यादव

सिहोरा की आवाज बुलंद — जिला बनकर रहे!
दूसरे दिन भी आंदोलन उफान पर, महिलाओं की भूख हड़ताल ने बढ़ाई तपिश
शाम को निकली विशाल “स्वाभिमान रैली”, नगर एकजुट — संकल्प अडिग
कलयुग की कलम सिहोरा – सिहोरा को जिला बनाने की मांग दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है। आंदोलन के दूसरे दिन शहर ने जिस एकजुटता, आक्रोश और दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया, उसने सत्ता गलियारों तक संदेश साफ पहुँचा दिया है कि अब सिहोरा किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं।
सुबह पुराने बस स्टैंड पर एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की, जिसने आंदोलन की धार को और तीखा कर दिया। पहली बार इतने बड़े मंच पर महिलाओं का ऐसा साहसिक नेतृत्व देखने को मिला, जो भूखे पेट बैठकर सिहोरा की पहचान की लड़ाई लड़ रही हैं। पूरा नगर इन महिलाओं के जज़्बे से प्रेरित और आंदोलित हुआ।

शाम होते-होते आंदोलन का स्वरूप और विशाल हो गया। “सिहोरा स्वाभिमान रैली” बाबाशाला से प्रारंभ होकर पूरे नगर व खितौला क्षेत्र से गुज़री और पुनः धरना स्थल पहुँचकर समाप्त हुई। रैली में आम नागरिक, व्यापारी, युवा, बुजुर्ग, विद्यार्थी हर वर्ग के लोग शामिल रहे। गाड़ियों के काफिले, बैनर, नारे — हर ओर एक ही संदेश गूँजता रहा:

“जिला दो, सम्मान दो — सिहोरा अब नहीं रुकेगा।”
भूख हड़ताल पर बैठी महिलाओं की आवाज़
🔹 रूपाली श्रॉफ
“सिहोरा कभी सबसे बड़ी तहसील था, फिर भी जिला नहीं बना। यह वादा बार-बार टला, लेकिन अब सिहोरा चुप नहीं रहेगा।”
🔹 सोनाली साहू
“सिहोरा भौगोलिक, जनसंख्या व हर पैमाने पर जिला योग्य है। वर्षों की उपेक्षा अब असहनीय है।”
🔹 सरोज कुररिया
“चुनाव के समय जिला बनाने के वादे किए गए, लेकिन सत्ता मिलते ही सब मौन हैं। जनता अब सड़कों पर है।”
बबीता त्रिपाठी
“यह संघर्ष जमीन का नहीं, स्वाभिमान का है। मुख्यमंत्री तुरंत जिला घोषित करें, अब और प्रतीक्षा नहीं।”
भूख हड़ताल पर बैठीं –
सरोज कुररिया, रूपाली श्रॉफ, बबीता त्रिपाठी, प्रतिभा मिश्रा, कविता सेठ, मधु प्यासी, रोशनी मिश्रा, रिचा पाठक, सोनाली साहू, शिवांगी साहू, तस्लीम बानो, संगीता विश्वकर्मा
रैली का ऐलान — “लड़ाई जारी रहेगी, जिला लेकर ही लौटेंगे”
रैली में शामिल सैकड़ों लोगों ने स्पष्ट कहा कि सिहोरा की पीढ़ियों का यह सपना किसी भी हाल में पूरा कराया जाएगा। जनता का ग़ुस्सा और धैर्य दोनों अब चरम पर हैं। आंदोलनकारियों ने चेताया कि सरकार अप्रिय स्थिति बनने से पहले सिहोरा जिला घोषित करे, क्योंकि जनसैलाब अब निर्णायक लड़ाई के मूड में है।
सिहोरा ने तय कर लिया है — अब सम्मान ही लक्ष्य, जिला ही समाधान आंदोलन जारी है… और यह तब तक चलेगा, जब तक सिहोरा जिला न बन जाए।




