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मध्यप्रदेश में यहां पुलिस नहीं सुन रही पीडितों की फरियाद, 4500 शिकायतें अटकीं, जनसुनवाई में भी खानापूर्ति कर केस का निराकरण करना भूल गई पुलिस

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

जबलपुर- शहर के पुलिस थानों और जनसुनवाई में पहुंचने वाली शिकायतों को पुलिस गभीरता से नहीं ले रही है। आंकड़ों के अनुसार जनसुनवाई में आईं 817 शिकायतों की अभी भी जांच चल रही है। सीधे थाने या पुलिस अफसरों के माध्यम से पहुंचीं 4088 शिकायतों की जांच विवेचना अधिकारी अबतक पूरी नहीं कर पाए हैं। पीड़ितों को थाने के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जांच में हो रही इस देरी से पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि अफसर भी लबित शिकायतों के मामलों में गभीर नजर नहीं आते हैं।

बल की कमी

रिटायर्ड डीएसपी प्रफुल्ल श्रीवास्तव के अनुसार थाना प्रभारियों और विवेचना अधिकारियों के पास थाने में दर्ज होने वाली शिकायतों के अलावा अपराध की विवेचना उसकी प्रगति, चार्जशीट, अपराधी की गिरतारी, पेट्रोलिंग, रात्रि गश्त, कानून व्यवस्था की ड्यूटी समेत अन्य जिमेदारियां होती हैं। इस कारण शिकायतों का निराकरण करने में वक्त लगता है। कई शिकायतों में अन्य विभागों से दस्तावेज जुटाने होते हैं। उनके अनुसार पुलिस में बल की कमी है। जिस कारण एक-एक विवेचना अधिकारी के पास कई-कई जांच पड़ी हैं।

थाना लबित

अधारताल 301
रांझी 76
गोहलपुर 65
गढ़ा 30
हनुमानताल 28

सामान्य शिकायतें

थाना लबित

अधारताल 986
रांझी 389
घमापुर 248
ओमती 245
खमरिया 165

(सभी आंकड़े 5 मई 2025 तक)

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