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पद्मश्री से सम्मानित 128 साल के प्रख्यात योग गुरु बाबा शिवानंद वृद्धावस्था में भी कर लेते थे कठिन से कठिन आसन

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

पद्मश्री से सम्मानित 128 साल के प्रख्यात योग गुरु बाबा शिवानंद का शनिवार रात निधन हो गया। अस्वस्थ होने पर उन्हें 30 अप्रेल को काशी हिंदू विश्वविद्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं उन्होंने आखिरी सांस ली। बांग्लादेश के श्रीहट्ट जिले में आठ अगस्त, 1896 को जन्मे बाबा शिवानंद जब छह साल के थे, उनके भिक्षुक माता-पिता की भूख के कारण मौत हो गई थी। तब से वह आधा पेट भोजन करते थे, चटाई पर सोते थे, लेकिन वृद्धावस्था में भी कठिन से कठिन आसन कर लेते थे। वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर रविवार शाम उनका अंतिम संस्कार किया गया।

बाबा शिवानंद की दिनचर्या और खानपान उनकी लंबी उम्र का राज था। वह नियमित रूप से तड़के तीन बजे उठ जाते थे और योग करते थे। अपना सारा काम खुद करते थे। सादा जीवन जीते थे। उन्होंने ताउम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया। चावल का सेवन नहीं करते थे। वह कहते थे कि ईश्वर की कृपा से उन्हें किसी चीज से लगाव और तनाव नहीं है।

उम्रभर आधा…

इच्छाओं के कारण ही इंसान की दिक्कतें बढ़ती हैं। बाबा शिवानंद कभी स्कूल नहीं गए। अपने गुरु ओंकारनंद से आध्यात्म की शिक्षा ली। वह काफी अच्छी अंग्रेजी बोल लेते थे। बाबा शिवानंद कहीं भी रहे, चुनाव के दिन वाराणसी आकर मताधिकार का प्रयोग करना नहीं भूलते थे। उन्होंने इस साल की शुरुआत में प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की डुबकी भी लगाई थी।

तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 21 मार्च, 2022 को दिल्ली में जिन 128 विभूतियों को पद्म सम्मान से विभूषित किया, उनमें सबसे ज्यादा चर्चा बाबा शिवानंद की रही। वह पद्मश्री ग्रहण करने नंगे पांव राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। सम्मानित होने के बाद उन्होंने घुटनों के बल बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया तो मोदी भी कुर्सी छोड़कर उनके सम्मान में झुक गए थे।

हर पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्मश्री से सम्मानित होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति शिवानंद बाबा के निधन पर शोक जताते हुए एक्स पर लिखा, योग व साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। शिवानंद बाबा का प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। बाबा शिवानंद वाराणसी के कबीर नगर में रहते थे। यहीं उनका आश्रम है।

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