मध्यप्रदेश

षड्यंत्र के शिकार हुए पीएमश्री गोपालपुर के पूर्व तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य गणेश यादव बिना दस्तावेज लिए जिम्मेदारों ने पूर्व तत्कालीन प्राचार्य के खिलाफ उच्च अधिकारियों को भेजा प्रतिवेदन, राजनैतिक दबाव का दिख रहा असर

कलयुग की कलम से राकेश यादव

षड्यंत्र के शिकार हुए पीएमश्री गोपालपुर के पूर्व तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य गणेश यादव बिना दस्तावेज लिए जिम्मेदारों ने पूर्व तत्कालीन प्राचार्य के खिलाफ उच्च अधिकारियों को भेजा प्रतिवेदन, राजनैतिक दबाव का दिख रहा असर

कलयुग की कलम उमरिया पान – शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों में यदि राजनीति, द्वेष और षड्यंत्र की परछाई पड़ जाए तो न केवल एक शिक्षक का आत्मसम्मान आहत होता है, बल्कि पूरी व्यवस्था की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के कटनी जिले के जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले पीएमश्री शासकीय हाई स्कूल गोपालपुर से सामने आया है, जहां के प्रभारी प्राचार्य गणेश यादव को कथित रूप से बिना दस्तावेज देखे गबन के आरोप में प्रताड़ित किया गया। यह मामला न केवल प्रशासनिक संवेदनाओं को झकझोरता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे कुछ जिम्मेदार अधिकारी निजी स्वार्थ या राजनीतिक प्रभाव में आकर एक कर्मठ शिक्षक की छवि को धूमिल करने में लग जाते हैं। पीएमश्री शासकीय हाई स्कूल गोपालपुर में वर्तमान में अटल टिकरिंग लैब एवं एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कार्य चल रहा था। इस निर्माण कार्य के लिए कुल 25 लाख 76 हजार रुपये स्वीकृत किए गए थे। जानकारी के अनुसार अब तक इसमें से लगभग 20 लाख रुपये की राशि आहरित की जा चुकी है, जबकि शेष 5 लाख 76 हजार की राशि अभी भुगतान नहीं की गई है। निर्माण कार्य को ठेकेदार द्वारा पूर्ण कर लिया गया है और भवन का फाइनल मूल्यांकन अभी लंबित है

तत्कालीन पूर्व प्रभारी प्राचार्य गणेश यादव ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता नहीं की है। बल्कि वे खुद इस बात के लिए प्रयासरत थे कि समय पर सभी वित्तीय अभिलेख प्रस्तुत कर दिए जाएं। अधिकारियों द्वारा उन्हें 25 अप्रैल 2025 तक अभिलेख प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 23 अप्रैल की शाम को ही उन्हें पत्र तमीली कर दिया गया और 24 अप्रैल को ही जांच दल प्राचार्य से वित्तीय दस्तावेज मांगने स्कूल पहुँच गया। यह संयोग नहीं बल्कि एक साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है। किसी भी जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता, समयबद्धता और निष्पक्षता अत्यंत आवश्यक होती है। लेकिन इस मामले में यह स्पष्ट रूप से देखने को मिला कि अधिकारियों ने पूर्व निर्धारित तिथि से पहले ही जांच आरंभ कर दी। 25 अप्रैल 2025 की तिथि तय होने के बावजूद 24 अप्रैल को ही अधिकारियों द्वारा दस्तावेज मांगे गए, बल्कि प्राचार्य से लिखित कथन भी लिया गया। यह कार्रवाई इसलिए भी संदेहास्पद है क्योंकि जब प्राचार्य ने स्पष्ट कहा कि दस्तावेज 25 अप्रैल को दिए जाएंगे, तब अधिकारियों ने एक दिन की भी मोहलत देना उचित नहीं समझा और जल्दबाजी में प्रतिवेदन बनाकर उच्च अधिकारियों को भेज दिया गया। यही नहीं, जब प्राचार्य 25 अप्रैल को दस्तावेज लेकर अधिकारियों के पास पहुंचे, तब उन्हें यह कहकर भगा दिया गया कि अब कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि जांच प्रतिवेदन पहले ही भेजा जा चुका है।

राजनीतिक साजिश के संकेत

पूर्व तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य गणेश यादव ने इस पूरे घटनाक्रम को एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। उनका कहना है कि निर्माण कार्य से संबंधित कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, बल्कि कार्य की गुणवत्ता सराहनीय रही है। इसके बावजूद उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे उनकी छवि को धूमिल किया जा सके। जब तक किसी शिक्षक का पक्ष सुना न जाए, उसके खिलाफ प्रतिवेदन भेजना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि सेवा शर्तों का भी उल्लंघन है। गणेश यादव का यह भी कहना है कि निर्माण कार्य के अभी अंतिम मूल्यांकन की प्रक्रिया लंबित है, और जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक राशि का पूर्ण उपयोग भी संभव नहीं है। ऐसे में गबन का आरोप लगाना अनुचित और तर्कहीन प्रतीत होता है।

शिक्षकों को मिलकर सौंपना चाहिए ज्ञापन साजिश रचने वालों पर हों कार्यवाही

शिक्षक समाज का वह आधार स्तंभ है जिस पर राष्ट्र निर्माण की नींव रखी जाती है। यदि उन्हीं शिक्षकों को राजनीति का शिकार बनाया जाए, तो यह केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि संस्थागत अपमान भी है। गणेश यादव जैसे शिक्षक, जो स्कूल के निर्माण कार्यों से लेकर अकादमिक गुणवत्ता तक में अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं, प्रभारी प्राचार्य ने बताया कि मै 2020 से प्रभारी प्राचार्य पद का निर्वहन कर रहा था मेरे विद्यालय गणित विषय का परिणाम 39% से 83% तक बढ़ाया है मैने जितनी मेहनत, छात्रहित और विद्यालय हित में की है जिले के अंदर किसी शिक्षक ने नहीं की होगी कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस लेकर घर-घर जाकर बच्चों को अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।

पीएम श्री स्कूल में वृक्षारोपण से लेकर साफ सफाई तक का कार्य में निः संकोच किया।

प्रभारी प्राचार्य का कहना है कि जिले के मुखिया स्वयंम आकर वास्तविक स्थिति को देख सकते हैं। शिक्षक के खिलाफ इस प्रकार का षड्यंत्र न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि प्रशासनिक अराजकता का भी प्रतीक है।

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