प्रशासनमध्यप्रदेश

शॉर्ट सर्किट से खेत में लगी आग बिहरिया ग्राम की तीन एकड़ फसल जलकर खाक ढीमरखेड़ा में आगजनी की घटना होने पर अग्निशमन सेवाओ के लिए 60 किलोमीटर दूर से आती है गाड़ी जब तक जलकर राख हो जाते हैं खेत खलिहान 

कलयुग की कलम से राकेश यादव

शॉर्ट सर्किट से खेत में लगी आग बिहरिया ग्राम की तीन एकड़ फसल जलकर खाक ढीमरखेड़ा में आगजनी की घटना होने पर अग्निशमन सेवाओ के लिए 60 किलोमीटर दूर से आती है गाड़ी जब तक जलकर राख हो जाते हैं खेत खलिहान 

कलयुग की कलम ढीमरखेड़ा -कटनी जिले के ढीमरखेड़ा जनपद अंतर्गत स्थित बिहरिया ग्राम में हाल ही में घटित एक दर्दनाक घटना ने क्षेत्र के किसानों के जीवन में कहर बरपा दिया। बिजली के शॉर्ट सर्किट से खेत में भड़की आग ने पलक झपकते ही तीन एकड़ फसल को जलाकर खाक कर दिया। यह घटना केवल एक किसान की मेहनत को ही नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता और प्रशासन की उपेक्षा को भी उजागर करती है। दिन का समय दोपहर का था। खेतों में धूप तेज थी और वातावरण गर्म। अचानक बिजली के तारों में चिंगारी उठी और शॉर्ट सर्किट से निकली चिंगारी ने सूखे खेत में आग पकड़ ली। थोड़ी ही देर में आग इतनी विकराल हो गई कि तीन एकड़ में फैली पूरी खड़ी फसल जलकर राख हो गई। किसान दौड़ते-भागते खेत पहुँचे, बाल्टियों में पानी और झाड़ियों की मदद से आग बुझाने का प्रयास किया गया, परंतु आग की तीव्रता के सामने ये उपाय नाकाफी साबित हुए।

किसानों की व्यथा

इस घटना ने कई किसानों की सालभर की मेहनत, खून-पसीने से सींची गई फसल और उनके परिवारों की आशाओं को स्वाहा कर दिया। एक किसान ने रोते हुए कहा – “पूरा साल मेहनत की थी। खाद, बीज, पानी सब उधारी में लिया था। अब क्या बच्चों को खिलाएंगे?”

ढीमरखेड़ा में अग्निशमन सेवाओ के लिए 60 किलोमीटर दूर से जरूरत पड़ने पर बुलवाना पड़ता है

यह घटना मात्र एक प्राकृतिक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। ढीमरखेड़ा में न तो कोई अग्निशामक यंत्र उपलब्ध है और न ही कोई स्थायी अग्निशमन दल है। आसपास के थानों में भी आग बुझाने के लिए कोई सुविधा नहीं है। सबसे नजदीकी अग्निशमन वाहन कटनी या रीठी से बुलवाना पड़ता है, जो समय पर पहुँच ही नहीं पाता।

क्यों नहीं हैं सुविधाएं?

ढीमरखेड़ा जनपद में करीब 150 से अधिक ग्राम हैं, हजारों एकड़ खेत हैं, परंतु अग्निशमन व्यवस्था नाम मात्र की भी नहीं है। न ग्राम पंचायत स्तर पर आग बुझाने के यंत्र हैं, न जनपद कार्यालय में कोई फायर टीम। प्रशासन केवल कागजों में योजनाएँ बनाता है, जमीन पर कुछ नहीं उतरता।

स्थानीय प्रशासन की उदासीनता

कई बार ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगाई कि ढीमरखेड़ा में एक स्थायी अग्निशमन केंद्र खोला जाए, परंतु हर बार फाइलों में बात दबी रह गई। बजट के अभाव का बहाना बनाया जाता है। परंतु सवाल यह है कि जब किसानों की फसल जलती है, जब किसी की झोपड़ी आग में राख होती है, तब प्रशासन क्यों नहीं जागता? इसी तारतम्य में साकुन बाई/ किशन लाल, सुरेश/ पंचम, रामसुजान/ प्रेमलाल , रामलाल/ दशरथ, परसराम, रामदत्त, कौशल किशोर, अजय, सनिल, गनपत, रामलखन की फसल जलकर हों गई खाक प्रशासन से किसानों ने मांग की है कि उन्हें शासन द्वारा उचित मुआवजा दिया जाए ताकि  तात्कालिक राहत मिल सके।

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