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तीन संतान वाले शिक्षकों पर विभाग की नरमी, नोटिस के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई ढीमरखेड़ा ब्लॉक के दो शिक्षकों पर गंभीर आरोप, जांच ठंडे बस्ते में

कलयुग की कलम से राकेश यादव

तीन संतान वाले शिक्षकों पर विभाग की नरमी, नोटिस के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई ढीमरखेड़ा ब्लॉक के दो शिक्षकों पर गंभीर आरोप, जांच ठंडे बस्ते में

कलयुग की कलम उमरिया पान – तीन संतान नीति का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के मामले में शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर हुई है। ढीमरखेड़ा विकासखंड के दो शिक्षकों को 23 मई 2025 को तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी पी.पी. सिंह द्वारा तीन दिवस के भीतर स्पष्टीकरण देने के निर्देश जारी किए गए थे, किंतु आज तक किसी के विरुद्ध ठोस कदम नहीं उठाया गया।

श्याम सुंदर पटेल पर दो गंभीर आरोप

शासकीय माध्यमिक विद्यालय परसेल (संकुल—मुरवारी) के प्राथमिक शिक्षक श्याम सुंदर पटेल पर न केवल दो से अधिक संतान होने का आरोप है, बल्कि फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने का मामला भी सामने आया है।
विभागीय जांच प्रतिवेदन में यह स्पष्ट हुआ कि शिक्षक पटेल ने अपनी तीसरी संतान को 50 रुपये के स्टाम्प पेपर पर “गोद देने” का दावा किया था। परंतु दत्तक ग्रहण अधिनियम 1956 के अनुसार ऐसी प्रक्रिया केवल जिला रजिस्ट्रार के समक्ष दोनों पक्षों की उपस्थिति व गवाहों के साथ ही मान्य होती है। इस प्रकार पटेल द्वारा किया गया गोदनामा विधिक रूप से अमान्य पाया गया।

विभागीय जांच अधिकारी की रिपोर्ट में शिक्षक पटेल को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना गया है। म.प्र. राजपत्र असाधारण (25 मई 2018) के अनुसार, किसी शासकीय सेवक के दो से अधिक बच्चे होना “अवाचार” की श्रेणी में आता है, यदि किसी बच्चे का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ हो।

फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र की जांच अब तक अधूरी

शिकायतकर्ता रमेश पटेल ने शिक्षक पटेल पर फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाने का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की थी कि प्रमाण पत्र की जांच जिला मेडिकल बोर्ड, कटनी से कराई जाए। तत्कालीन कलेक्टर अवि प्रसाद ने जांच के निर्देश दिए भी थे, मगर उनके स्थानांतरण के बाद मामला ठंडा पड़ गया। विभागीय स्तर पर केवल नोटिस जारी कर “औपचारिक कार्रवाई” की जाती रही है, जबकि वास्तविक जांच आज तक शुरू नहीं हुई।

अशोक चौधरी का मामला भी अटका

इसी तरह, प्राथमिक विद्यालय सगौना के शिक्षक अशोक कुमार चौधरी को भी तीन से अधिक संतान होने पर नोटिस जारी हुआ था। जांच में यह पुष्टि हुई कि उनकी तीन संतानें — राहुल (ज. 10.07.1999), आशीष (ज. 03.08.2002) और विकास (ज. 15.07.2005) हैं। यह स्पष्ट रूप से म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन है, जिसे कदाचरण की श्रेणी में रखा गया है। बावजूद इसके, विभाग ने अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की है।

केवल नोटिसों तक सीमित विभागीय अनुशासन

विभागीय दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि अधिकारी केवल नोटिस जारी कर औपचारिकता निभा रहे हैं। न तो दोषियों पर कार्रवाई की गई और न ही जांच प्रतिवेदन के आधार पर आगे की कोई प्रशासनिक कार्यवाही।ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या शिक्षा विभाग के नियम केवल कागज़ों तक सीमित रह गए हैं?

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