कटनी में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया छठ महापर्व डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने मांगी सुख, समृद्धि और परिवार की मंगलकामना – गूंजे छठी मइया के गीत और भक्ति की स्वर लहरियां
कलयुग की कलम से राकेश यादव

कटनी में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया छठ महापर्व डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने मांगी सुख, समृद्धि और परिवार की मंगलकामना – गूंजे छठी मइया के गीत और भक्ति की स्वर लहरियां
कलयुग की कलम कटनी – छठ महापर्व का पावन अवसर इस वर्ष जिलेभर में श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया। नगर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक छठ घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोगों ने भगवान भास्कर और छठी मइया की उपासना की। महिलाएं उपवास रखकर परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और घर-परिवार की मंगलकामना करती नजर आईं। इस अवसर पर घाटों पर गूंजते रहे भक्ति गीत— “केलवा जस पात पे उगेलन सूरज देव”, “छठी मईया आयीं अंगना में” जैसे मंगल गीतों ने वातावरण को पूर्णतः आध्यात्मिक बना दिया।

शहर के कटनी नदी तट, स्लीमनाबाद, बरगवां, उमरियापान, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, विजयराघवगढ़ सहित विभिन्न क्षेत्रों में छठ पूजा के लिए विशेष तैयारियां की गई थीं। नगर निगम और ग्राम पंचायतों द्वारा घाटों की साफ-सफाई, लाइटिंग, सुरक्षा व्यवस्था एवं बैरिकेडिंग का कार्य कराया गया था। स्थानीय सामाजिक संगठनों और युवाओं ने भी घाटों पर सहयोग करते हुए श्रद्धालुओं के लिए जलपान व व्यवस्था बनाए रखी।
चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई, जिसमें व्रती महिलाएं स्नान कर पवित्र भोजन ग्रहण करती हैं। दूसरे दिन खरना में शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर छठी मइया को अर्पित किया गया। तीसरे दिन मुख्य पर्व पर महिलाएं निर्जला उपवास रखकर शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। चौथे दिन प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न होता है।
कटनी शहर के घाटों पर महिलाओं ने साज-सज्जा के साथ पारंपरिक वेशभूषा धारण की और सिर पर टोकरी में फल, ठेकुआ, नारियल, दीपक, गन्ना और प्रसाद सजाकर नदी तट की ओर रुख किया। इस दौरान भक्ति गीतों की गूंज और मंगल ध्वनियों से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। महिलाएं नदी तट पर जल में खड़ी होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दे रही थीं, तो वहीं पुरुष वर्ग सहयोगी भूमिका निभाते हुए प्रसाद और पूजन सामग्री की व्यवस्था में लगे थे।
छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि लोक जीवन की आत्मा का पर्व है। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण, जल स्वच्छता और सूर्य के प्रति कृतज्ञता का संदेश देता है। घाटों पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे जल स्रोतों की स्वच्छता और प्रकृति संरक्षण के प्रति सजग रहेंगे।
अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रती महिलाओं ने अपने व्रत का समापन किया। जैसे ही क्षितिज पर सूर्य की पहली किरणें पड़ीं, श्रद्धालुओं ने जल में खड़े होकर सूर्य भगवान की आराधना की और मंगल गीतों के बीच “जय छठी मइया” के जयकारे लगाए। इसके बाद प्रसाद का वितरण कर सभी ने एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दीं।
पूरे जिले में छठ पर्व के दौरान शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहा। पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से विशेष व्यवस्था की गई थी। नगर में जगह-जगह यातायात व्यवस्था के लिए पुलिस बल तैनात रहा।
कटनी जिले में इस बार छठ पर्व पर रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी में इस पावन पर्व के प्रति उत्साह देखा गया। महिलाएं परंपरागत गीत गाती हुईं एक-दूसरे को मंगलकामनाएं देती नजर आईं। घाटों पर दीपों की रौशनी और भक्ति संगीत की मधुर धुनों से पूरा माहौल अलौकिक बन गया।




