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उमरियापान ग्राम पंचायत में चारों तरफ दिख रहा गंदगी आ अमबार, नालियां भी जाम से अटी, ठंड में अलाव व्यवस्था का अभाव
कलयुग के कलम से सोनू त्रिपाठी की रिपोर्ट

उमरियापान- कड़ाके की सर्दी ने पूरे क्षेत्र में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। तापमान लगातार गिर रहा है, सुबह और रात के समय गलन इतनी बढ़ चुकी है कि बिना गर्म कपड़ों और आग के पास बैठे रहना मुश्किल हो गया है। ऐसे समय में जरूरत होती है कि ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर अलाव (अलगाव) की उचित व्यवस्था करें, ताकि आमजन, मजदूर, बुजुर्ग, महिलाएँ और विद्यार्थी ठंड से राहत पा सकें। लेकिन ग्राम पंचायत उमरियापान की स्थिति इसके बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। यहाँ पर अलाव व्यवस्था पूरी तरह नदारद है, जिसके चलते ग्रामीणों में बेहद आक्रोश पनप रहा है।
कागजों में खर्च, जमीन पर व्यवस्था नहीं
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत से हर वर्ष अलावों के लिए राशि स्वीकृत होती है। कई बार तो अलगाव व्यवस्था के नाम पर हज़ारों–लाखों रुपये खर्च दिखा दिए जाते हैं। लेकिन धरातल पर वास्तविकता यह है कि न तो अलाव दिखाई देते हैं, न ही कोई लकड़ी, न कोई सामग्री और न ही व्यवस्था बनाने वाला कर्मचारी। कागजों में योजनाएं बन जाती हैं, खर्च भी दिखा दिया जाता है, लेकिन नतीजा शून्य । यह वाक्य स्वयं ग्रामीणों के बीच चर्चा का मुख्य विषय बन चुका है। ठंड से काँपते लोग पंचायत के इस रवैये से बेहद नाराज़ हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पैसे मशीन की तरह निकल जाते हैं, लेकिन उसका असर कहीं नहीं दिखता। नालियाँ गंदी हैं, सड़कें बदहाल हैं, और अब अलाव का इंतजाम भी शून्य। उमरियापान एक ऐसी पंचायत क्षेत्र है जहाँ रोज़ाना आसपास के कई गाँवों के लोग आते – जाते हैं। बाज़ार क्षेत्र में सुबह से रात तक अच्छी–खासी भीड़ रहती है। ऐसे में यहाँ अलाव व्यवस्था का होना अत्यंत आवश्यक है। बाज़ार में दुकान लगाने वाले छोटे व्यापारी, फल – सब्ज़ी विक्रेता, रिक्शा चालक, रोज़ कमाने वाले मजदूर और सुबह–सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे सब इस कड़ाके की ठंड से परेशान हैं। लेकिन पंचायत की ओर से कहीं भी लकड़ी के अलाव या आग जलाने की व्यवस्था दिखाई नहीं देती।





