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कटनी जिले के उमरियापान थाना में पीड़ित महिला को न्याय कब मिलेगा? पुलिस प्रशासन की लापरवाही और पैसे के लेनदेन ने किया इंसाफ को शर्मसार, कार्यवाही के नाम पर दिखावा

कलयुग की कलम से सोनू त्रिपाठी की रिपोर्ट

कटनी/उमरियापान- जिले के थाना उमरियापान अंतर्गत आने वाले ग्राम घुघरी में एक अत्यंत गंभीर और पीड़ादायक घटना सामने आई है, जिसमें रेखा बाई लोधी नामक महिला के साथ उनके ही पड़ोसी जितेन्द्र पटेल ने अमर्यादित और आपत्तिजनक हरकतें कीं। इस घटना ने न केवल महिला की अस्मिता को आहत किया, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेखा बाई लोधी अपने घर में थीं जब पड़ोस में रहने वाला जितेन्द्र पटेल रात्रि के समय उनके घर में घुस आया। उसने न केवल महिला को गलत तरीके से हाथ लगाया बल्कि उनके शरीर को भी पकड़कर अश्लील हरकतें कीं। महिला के विरोध करने पर आरोपी मौके से भाग निकला लेकिन जल्दबाज़ी में वह अपनी टॉर्च (जिस पर उसके पिता राजेंद्र पटेल का नाम लिखा था), चप्पल और अन्य निजी सामान छोड़ गया। यह स्पष्ट प्रमाण था कि जितेन्द्र पटेल ही घटना का दोषी है।

थाना उमरियापान की भूमिका पर सवाल

पीड़िता रेखा बाई लोधी ने तुरंत इस घटना की सूचना थाना उमरियापान में दी और आरोपी के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की। लेकिन थाना प्रभारी दिनेश तिवारी ने न केवल पीड़िता की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि उसे यह कहकर टाल दिया कि केवल धारा 151 (सांप्रदायिक शांति भंग होने की आशंका) के तहत कार्रवाई हो सकती है। यह धारा उन मामलों के लिए लागू होती है जहाँ केवल संभावित विवाद या सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका होती है, जबकि रेखा बाई लोधी के मामले में यह स्पष्ट रूप से घातक घुसपैठ और शारीरिक छेड़छाड़ का मामला था, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला के शीलभंग का प्रयास), धारा 452 (घर में अवैध घुसपैठ), धारा 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले शब्द या हरकतें) जैसी धाराएं बनती हैं। लेकिन थाना प्रभारी ने कोई गंभीर धाराएं नहीं लगाईं।

महिला को थाने से भगाया

इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि जब रेखा बाई महिला थाना पहुंचीं तो उन्हें वहाँ से भी भगा दिया गया। एक गरीब, असहाय महिला, जो न्याय की उम्मीद लेकर थाने पहुंची थी, उसे इस तरह अपमानित करके वापस भेजना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि अमानवीय भी है।

181 महिला हेल्पलाइन की भी अनदेखी

रेखा बाई ने हिम्मत दिखाते हुए 181 महिला हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार द्वारा स्थापित ये हेल्पलाइन तब किस काम की हैं जब इन पर दर्ज शिकायतों को भी दरकिनार कर दिया जाता है।
*व्यवस्था में गहराई से व्याप्त भ्रष्टाचार*
इस पूरे प्रकरण में एक बात स्पष्ट है ग्राम स्तर से लेकर थाना स्तर तक भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि एक निर्दोष महिला को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है। दिनेश तिवारी जैसे अधिकारी न केवल अपने कर्तव्यों से विमुख हैं बल्कि न्याय व्यवस्था को भी कलंकित कर रहे हैं।

राजनीतिक और प्रशासनिक चुप्पी

अब तक न तो किसी प्रशासनिक अधिकारी ने संज्ञान लिया, न ही किसी जनप्रतिनिधि ने पीड़िता की पीड़ा को सुना। ग्राम पंचायत से लेकर तहसील और जिला स्तर तक की चुप्पी दर्शाती है कि गरीब औरतों की समस्याएं शायद चुनावी मुद्दा नहीं होतीं।

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