मध्यप्रदेश

ग्राम पंचायत बरौदा में उप स्वास्थ्य केंद्र स्टॉफ के आभाव में नहीं खुल रहा ताला औचित्यहीन साबित हो रहा उप स्वास्थ्य केन्द्र का नवनिर्मित भवन 

कलयुग की कलम से राकेश यादव

ग्राम पंचायत बरौदा में उप स्वास्थ्य केंद्र स्टॉफ के आभाव में नहीं खुल रहा ताला औचित्यहीन साबित हो रहा उप स्वास्थ्य केन्द्र का नवनिर्मित भवन

कलयुग की कलम ढीमरखेड़ा-हर विभाग में निरंतर रूप से कर्मचारियों-अधिकारियों रिटायरमेंट हो रहे है लेकिन उस अनुपात में शासन के द्वारा भर्ती नहीं की जा रही है जिस कारण से हर विभाग में व्यवस्थाएं चरमराने लगी है। उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत ग्रामीणों को और अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिये प्रशासन द्वारा करोड़ों रूपये की लागत से ग्राम पंचायत बरौदा में उप स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण करवाया गया है। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद स्थानीय विधायक की मौजूदगी में नव निर्मित भवन का उद्घाटन भी कर दिया गया लेकिन चिकित्सकीय स्टॉफ के आभाव में आज दिनांक तक उस नव निर्मित भवन में ताला ही लगा है।
इस संबंध में उमरियापान बीएमओ बी.के. प्रसाद ने बताया कि शासन के द्वारा उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना बरौदा में की गई है लेकिन हमारे पास इतना स्टॉफ ही नहीं है कि वहां पर हम अपनी सेवाएं दे। वर्तमान में जितना भी स्टॉफ हमारे पास मौजूद है वह उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिये ही नाकाफी है।

डॉक्टर नहीं बैठै बब्बू

मौका स्थल पर पहुंचकर जब उप स्वास्थ्य केन्द्र के बारे में ग्रामीणों से पता किया गया तब उन्होंने बताया कि बब्बू यहां पर डॉक्टर नहीं आते है। शासन बिल्ंिडग बस बना दी है यहां पर ताला ही लगो रहत है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर यदि डॉक्टर नहीं भेजना तो हम लोगों को रहने के लिये ही प्रशासन दे दें। बारिश के समय कई ग्रामीणों के मकान क्षतिग्रस्त हो गये है, ऐसे में ग्रामीण बेघर हो गये है।
करोड़ों खर्च लेकिन ग्रामीणों को राहत नहीं
उप स्वास्थ्य केन्द्र बरौदा की बिल्ंिडग बनाने में प्रशासन के द्वारा करोड़ों रूपये खर्च कर दिये गये है लेकिन चिकित्सकीय स्टॉफ के आभाव में शासन की मंशा पूर्ण नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को आज भी उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या प्राईवेट डॉक्टरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। लगभग 1 वर्ष के अधिक समय से नवनिर्मित बिल्डिंग में ताला लगा हुआ है जिस कारण से बिल्डिंग की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है इससे बिल्ंिडग भी जर्जर होकर बेरंग हो रही है।
्रेक्षेत्र की राजनीति का भगवान ही मालिक
क्षेत्र की राजनीति वर्तमान परिदृष्य में कहां घूम रही है यह कहना मुश्किल है। चुनाव के समय जिस तरह से नेता घर-घर जाकर वोट मांगते है लेकिन जनहित के मुद्दे पर नेताओं के मोह पर दही जमना आम बात हो गई है, क्योंकि वर्तमान में जो राजनीतिक विचारधारा है वह सिर्फ और सिर्फ अपने पन तक ही सीमित रह गई है और नेता खुद अपने ही विकास तक सीमित रह गये है। आमजनों के दुख-दर से नेताओं का दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। जैसे-तैसे शासन के द्वारा उप स्वास्थ्य की स्थापना कर भवन तो बना दिया गया लेकिन उसके बाद भी ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिये पुराने ढर्रे पर चलना पड़े तो यह नेताओं के मुंह पर तमाचा मारने से कम नहीं है… यदि उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्टॉफ की कमी का रोना है तो इस बारे में नेताओं के द्वारा उच्च अधिकारियों या बड़े नेताओं को क्यों अवगत नहीं कराया जाता है? आज दिनांक तक किसी भी नेता के द्वारा इस संबंध में न ता पत्राचार किया गया और न ही कलेक्टर के समक्ष इस संबंध में बात उठाई गई। क्षेत्र की जनता के बारे में नेताओं और संबंधित जनप्रतिनिधियों की उदासीनता इस बात का प्रमाण है कि इन्हें क्षेत्र की जनता से किसी तरह का कोई सरोकार नहीं है और मात्र चुनाव के समय आकर जनता को गुमराह करके वोट प्राप्त करना रह गया है।

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