कटनी के मनरेगा इंजीनियरों की व्यथा, अनेकों दिन से हड़ताल पर, लेकिन समाधान दूर सरकार की चुप्पी पर बढ़ा रोष, रोज़गार गारंटी योजनाओं पर पड़ा असर
राहुल पाण्डेय की कलम

कटनी के मनरेगा इंजीनियरों की व्यथा, अनेकों दिन से हड़ताल पर, लेकिन समाधान दूर
सरकार की चुप्पी पर बढ़ा रोष, रोज़गार गारंटी योजनाओं पर पड़ा असर
कटनी । प्रदेशभर के 1335 मनरेगा इंजीनियरों की तरह कटनी ज़िले के इंजीनियर भी अपनी लंबित माँगों को लेकर पिछले अनेकों दिनों से हड़ताल पर डटे हुए हैं। लेकिन अब तक शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है। इससे इंजीनियरों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। कटनी ज़िले में करीब दो दर्जन से अधिक मनरेगा इंजीनियर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों की रीढ़ माने जाते हैं। लेकिन लंबे समय से उन्हें नियमितीकरण, वेतनमान और सेवा स्थायित्व जैसी बुनियादी माँगों पर केवल आश्वासन ही मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में जो वादे किए गए थे, उन्हें वर्तमान सरकार ने अब तक पूरा नहीं किया है। कटनी मनरेगा इंजीनियर संघ के प्रतिनिधि का कहना है कि “हम प्रदेश निर्माण की जमीनी ताकत हैं, लेकिन हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। चुनावी घोषणाओं में हमारे मुद्दे उठाए गए थे, पर अब कोई सुनवाई नहीं हो रही।” हड़ताल के चलते जिले के कई पंचायत क्षेत्रों में चल रहे मनरेगा कार्य ठप पड़े हुए हैं। ग्रामीण मज़दूरों को भुगतान में भी देरी हो रही है, जिससे योजनाओं की गति पर सीधा असर पड़ा है। इंजीनियरों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द वार्ता कर समाधान निकाला जाए, ताकि ग्रामीण विकास की योजनाएँ फिर से पटरी पर लौट सकें।




