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सफलता की कहानी’ विकासखंड ढीमरखेड़ शुक्ल पिपरिया किसान गोलू विश्वकर्मा ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़ाया कदम सुपर सीडर’ से कम हुई कृषि की लागत, समय और श्रम की भी हुई बचत और किसानों को कर रहे प्रेरित,

कलयुग की कलम से राकेश यादव

सफलता की कहानी’

विकासखंड ढीमरखेड़ शुक्ल पिपरिया किसान गोलू विश्वकर्मा ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़ाया कदम सुपर सीडर’ से कम हुई कृषि की लागत, समय और श्रम की भी हुई बचत और किसानों को कर रहे प्रेरित,

कलयुग की कलम उमरिया पान– कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा अनुदान पर प्रदत्त ‘सुपर सीडर’ यंत्र का उपयोग करके कटनी जिले के विकासखंड ढीमरखेड़ा के  शुक्ल पिपरिया निवासी गोलू वश्वकर्मा ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए न केवल अपनी खेती की लागत घटाई बल्कि अन्य किसानों को भी इस यन्त्र के उपयोग के लिए प्रेरित कर रहें हैं।

पिछले वर्ष तक किसान श्री विश्वकर्मा भी अन्य किसानों की तरह धान या अन्य फसलों की कटाई के बाद खेत में बचे हुए अवशेष (नरवाई) को जलाते थे। जिससे प्रदूषण होता था और मिट्टी के महत्वपूर्ण पोषक तत्व नष्ट हो जाते थे। लेकिन कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा उन्हें अनुदान पर ‘सुपर सीडर’ यंत्र उपलब्ध हुआ, जिसने उनकी खेती का तरीका ही बदल दिया।

गोलू विश्वकर्मा बताते हैं कि सुपर सीडर मिलने से अब हमें नरवाई (पराली) जलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह यंत्र पिछली फसल के अवशेषों को बड़े आसानी से काटकर सीधे मिट्टी में मिला देता है, जिससे नरवाई का प्रबंधन खेत में ही हो जाता है। यह एक तरह से मिट्टी के लिए खाद का काम करता है। इस यंत्र का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह बिना खेत की जुताई किए, नरवाई के बीच ही सीधे गेहूँ की बुवाई कर देता है। इससे समय की बचत होती है। सही गहराई और दूरी पर बुवाई से बीज की बर्बादी कम होती है और लागत घटती है और अंकुरण बेहतर होता है। साथ ही नरवाई के मिट्टी में मिलने से पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे अधिक पैदावार प्राप्त होती है।

श्री विश्वकर्मा अब इस यंत्र के लिए शासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह यंत्र छोटे और बड़े सभी किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

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