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जबलपुर पुलिस के दावे हुए फेल, कागजों में हो रही स्थाई वारंटीयों की तलाश, 7500 स्थायी वारंटी अभी भी चल रहें फरार

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

जबलपुर- जिले व देहात थाना क्षेत्रों की पुलिस लम्बे समय से फरार स्थायी वारंटियों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही है। हाल ही में पुलिस विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सात हजार 454 वारंटी अब भी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं। ये आंकड़े उन अपराधियों के हैं, जिनके खिलाफ न्यायालय ने स्थाई वारंट जारी किए हैं। जानकारों के अनुसार कुछ अपराधियों ने जमानत पर रिहा होने के बाद नाम और हुलिया बदल लिया है। कोई शहर से बाहर चला गया तो किसी ने दूसरे प्रदेश में अपना ठिकाना बना लिया।

यह भी है कारण

कई अपराधी जमानत पर रिहा होने के बाद शहर से बाहर चले जाते हैं। कुछ मजदूरी करने के नाम पर दूसरे प्रदेशों में छिप जाते हैं। कुछ दिन की तलाश के बाद वारंट फाइल में बंद कर दिया जाता है।

स्थायी वारंट लम्बित

थाना लम्बित वारंट
हनुमानताल 999
गोाहलपुर 935
रांझी 473
गढ़ा 419
घमापुर 418
अधारताल 391
गोरखपुर 363

सबसे कम वारंट लम्बित

अजाक 02
चरगवां 08
कटंगी 20
मझौली 22
मझगवां 23
खितौला 26
महिला थाना 29

कॉम्बिंग गश्त पर सवाल

पिछले कुछ महीनों से पुलिस स्थायी वारंटियों की गिरफ्तारी के लिए शनिवार रात कॉम्बिंग गश्त कर रही है। दावा किया जाता है कि हर कॉम्बिंग गश्त में सैकड़ों वारंटियों को पकड़ा गया, लेकिन इनमें स्थयी वारंटियों की संख्या काफी कम होती है। इससे कॉम्बिंग गश्त पर भी सवाल उठ रहे हैं।

यह होता है स्थायी वारंट

अधिवक्ता योगेन्द्र सिंह राजपूत ने बताया कि यदि कोई आरोपी जमानत पर रिहा होने के बाद पेशी पर नहीं आता तो न्यायालय पहले समंस, फिर जमानती और गिरफ्तारी वारंट जारी करती है। इसके बावजूद यदि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाती तो उसके खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया जाता है।

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