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आफत यादव पर नई आफत, जूता मारूंगा, देखना क्या करता हूं, सलैया फाटक सरपंच ने महिला तहसीलदार को दी धमकी, स्लीमनाबाद तहसील न्यायालय का मामला, एफआईआर दर्ज..

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी

कटनी- मध्य प्रदेश के कटनी जिले में सरकारी अधिकारीयों के सम्मान और सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्लीमनाबाद तहसील न्यायालय में ग्राम पंचायत सलैयाफाटक के सरपंच बसोरीलाल यादव द्वारा महिला तहसीलदार सारिका रावत के साथ की गई अभद्रता और धमकी ने प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है। “जूता मारूंगा… देखना क्या करता हूं” जैसी अपमानजनक और धमकी पूर्ण भाषा किसी भी जनप्रतिनिधि के आचरण और जिम्मेदारी के स्तर पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। इस घटना के बाद पुलिस ने सरपंच के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया है, मगर मामला यहीं खत्म नहीं होता यह घटना पूरे सिस्टम में फैली दादागिरी, प्रशासनिक दबाव, और महिलाओं के प्रति असम्मान पर भी गहरी चोट करती है।तहसीलदार सारिका रावत द्वारा पुलिस को दिए आवेदन के अनुसार, मामला ग्राम सलैयाफाटक में स्थित श्मशान भूमि के सीमांकन से जुड़ा था। 14 तारीख को सरपंच द्वारा प्रस्तुत एक आवेदन के आधार पर राजस्व विभाग की ओर से एक टीम गठित की गई थी, जिसे मौके पर जाकर सीमांकन का कार्य करना था। राजस्व टीम निर्देशानुसार स्थल पर पहुंची, लेकिन वहां परिस्थितियाँ अचानक बिगड़ गईं। सीमांकन का विरोध कर रहे पक्ष की पत्नी हाथ में जहर लेकर पहुंच गई और उसने जहर खाने की धमकी दे दी। इस तरह आत्महत्या का खतरा उत्पन्न होने से प्रशासनिक दल अपना कार्य पूरा नहीं कर सका। घटनास्थल पर पुलिस का भी अभाव था, जिसके कारण स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई। तय प्रक्रिया में बाधा आने के बाद टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा।

तहसील कार्यालय में धमकी और अभद्रता

घटना का दूसरा और सबसे गंभीर चरण दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुआ, जब सरपंच बसोरीलाल यादव तहसील कार्यालय पहुंचा। जनप्रतिनिधि होने की जिम्मेदारी और अनुशासन को पीछे छोड़ते हुए उसने महिला तहसीलदार सारिका रावत के साथ न केवल बदसलूकी की, बल्कि खुलकर धमकियाँ भी दीं। तहसीलदार के बयान के अनुसार, सरपंच ने उनके सामने आक्रामक व्यवहार करते हुए कहा तुम्हारा राज चल रहा है मैं राजस्व विभाग का पुतला बनाकर जूता जूता मारूंगा अब देखना तुम्हारा क्या करता हूं। यह बयान न सिर्फ धमकी था बल्कि प्रशासनिक कार्यवाही को प्रभावित करने और राजस्व विभाग को डराने-धमकाने का भी प्रयास था। सरपंच बार-बार उत्तेजित होकर अपशब्दों और धमकियों का प्रयोग करता रहा। एक महिला अधिकारी के प्रति यह आचरण न केवल असंवैधानिक है, बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत निंदनीय है।

पुलिस ने दर्ज किया केस

तहसीलदार सारिका रावत की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए थाना प्रभारी सुदेश कुमार सुवन ने सरपंच बसोरीलाल उर्फ आफतलाल यादव के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है, जिनमें सरकारी कार्य में बाधा, धमकी देना, अभद्रता तथा अशोभनीय व्यवहार शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि अधिकारी की सुरक्षा और सम्मान सर्वोपरि है, इसलिए आरोप गंभीर हैं और साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

पहले भी कर चुका है अभद्रता एक और मामला प्रकाश में

यह पहली बार नहीं है जब बसोरीलाल यादव पर अभद्रता का आरोप लगा है। इससे पूर्व दिसंबर 2023 में तत्कालीन नायब तहसीलदार मौसमी केवट के साथ भी इसी तरह की बदसलूकी की गई थी। तब भी सरपंच ने सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की थी और असभ्य भाषा का प्रयोग किया था। मौसमी केवट ने भी सरपंच के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने उस समय भी मामला दर्ज किया था। लगातार दो बार सरकारी अधिकारियों, विशेषकर महिला अधिकारियों के प्रति ऐसा आचरण यह दर्शाता है कि सरपंच पर प्रशासनिक अनुशासन और कानून का कोई भय नहीं है। यह भी सवाल उठता है कि आखिर ऐसी प्रवृत्तियों पर लगाम क्यों नहीं लगाई गई? क्या स्थानीय राजनीति या दबदबा इस तरह के लोगों को निरंकुश बना देता है?

क्या ऐसे जनप्रतिनिधि वास्तव में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं या अपनी मनमर्जी थोप रहे हैं?

महिला अधिकारियों के सम्मान और सुरक्षा पर गंभीर चिंता

इस घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक सेवाओं में काम कर रही महिला अधिकारियों की सुरक्षा पर सवाल उठा दिए हैं।

महिला तहसीलदार के साथ धमकी और अभद्रता न केवल व्यक्तिगत आघात है, बल्कि यह सरकारी व्यवस्था पर भी गहरा हमला है। महिलाएँ जब महत्वपूर्ण पदों पर आती हैं तो अक्सर उन्हें इस तरह की मानसिक प्रताड़ना, धमकियों और दबाव का सामना करना पड़ता है। यह माहौल उनके लिए कार्य करना और भी चुनौतीपूर्ण बना देता है। सरपंच का यह व्यवहार दर्शाता है कि कई बार जनप्रतिनिधि अपनी शक्ति को गलत दिशा में इस्तेमाल करते हैं, जबकि उन्हें संविधान और कानून ने जिम्मेदारी दी है कि वे जनता, प्रशासन और विकास के बीच सेतु का काम करें न कि व्यवस्था को धमकाने का।

प्रशासनिक गरिमा और कानून व्यवस्था की चुनौती

एक सरपंच द्वारा तहसीलदार को खुलेआम जूता मारने की धमकी देना केवल एक व्यक्ति का अपराध नहीं, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक ढांचे को चुनौती देने जैसा है। राजस्व विभाग का सीमांकन कार्य कानून के तहत होता है। यदि किसी निर्णय या प्रक्रिया से कोई असहमत है, तो इसके लिए कानूनी प्रक्रिया उपलब्ध है। लेकिन आजकल बढ़ती ऐसी घटनाएँ बताती हैं कि कानून के रास्ते पर चलने के बजाय कई जनप्रतिनिधि दबाव, धमकी और दादागिरी के रास्ते को चुनते हैं।

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