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नवोदय विद्यालय की परीक्षा में धांधली, बच्चों की परीक्षा में रिश्तेदारों की लगी ड्यूटी कन्याशाला उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उमरियापान में भाई भतीजावाद हावी, गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में

कलयुग की कलम से सोनू त्रिपाठी की रिपोर्ट

उमरियापान- नवोदय विद्यालय एक ऐसा संस्थान है जो ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और प्रतिभाशाली बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। यह विद्यालय प्रतिभा आधारित चयन परीक्षा के माध्यम से छात्रों को प्रवेश देता है, जो उनकी योग्यता के आधार पर होती है। लेकिन उमरियापान स्थित कन्याशाला उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित नवोदय विद्यालय की परीक्षा में जिस प्रकार से धांधली के मामले सामने आए हैं, उसने न केवल इस प्रतिष्ठित परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि गरीब बच्चों के भविष्य को भी खतरे में डाल दिया है।

भाई-भतीजावाद का हावी होना

नवोदय विद्यालय की परीक्षा के लिए उमरियापान में आयोजित परीक्षा केंद्र पर भाई-भतीजावाद और रिश्तेदारी के मामलों का सामने आना बेहद चिंताजनक है। परीक्षा में ड्यूटी पर लगे कर्मचारियों में से कई रिश्तेदार थे, जो इस प्रकार की धांधली में शामिल पाए गए। यह स्पष्ट रूप से परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। यह गंभीर समस्या इस ओर इशारा करती है कि कैसे प्रभावशाली लोग अपने बच्चों और रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए परीक्षा प्रक्रिया को विकृत कर देते हैं। गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को यह परीक्षा उनके जीवन को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करती है। लेकिन जब परीक्षा केंद्रों पर ऐसी धांधली होती है, तो इन बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। जो बच्चे अपने मेहनत और योग्यता के दम पर आगे बढ़ना चाहते हैं, वे इन भ्रष्टाचारियों के कारण पीछे रह जाते हैं।

डीईओ और कलेक्टर दिलीप कुमार यादव संदेह के घेरे में

धांधली के इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और कलेक्टर दिलीप कुमार यादव की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। इस परीक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है, और जब ऐसे मामले सामने आते हैं, तो यह प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है।

प्रश्नपत्र लीक होने की आशंका

परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र के लीक होने की खबरें भी सामने आईं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि परीक्षा की गोपनीयता भंग हुई है। ऐसे मामलों में डीईओ और प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।परीक्षा केंद्रों पर रिश्तेदारों की ड्यूटी लगाना यह दर्शाता है कि अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया। प्रशासन को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए कि ऐसे मामलों में निष्पक्षता सुनिश्चित हो।

गरीब बच्चों के लिए उच्च शिक्षा का संकट

नवोदय विद्यालय में प्रवेश गरीब बच्चों के लिए एक बड़ा अवसर होता है। यह शिक्षा का माध्यम बनता है जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। लेकिन जब परीक्षा प्रक्रिया में धांधली होती है, तो यह उनके अधिकारों का हनन है। ऐसी घटनाओं का गरीब बच्चों पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। वे यह महसूस करते हैं कि उनकी मेहनत और योग्यता का कोई महत्व नहीं है। इससे उनका आत्मविश्वास टूटता है और वे शिक्षा के प्रति उदासीन हो सकते हैं। इस प्रकार की धांधली समाज में असमानता को और बढ़ावा देती है। जब सक्षम और प्रभावशाली लोग अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, तो गरीब और वंचित वर्ग और अधिक पिछड़ जाता है।

परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता

इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी लगाने के दौरान यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी कर्मचारी का परीक्षार्थी से सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध न हो। परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जानी चाहिए। इसके अलावा, स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो पूरी प्रक्रिया पर नजर रखें।प्रश्नपत्र की छपाई से लेकर वितरण तक की प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाना चाहिए। इसके लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में प्रश्नपत्र। परीक्षा में धांधली से संबंधित शिकायतों के लिए एक प्रभावी और पारदर्शी प्रणाली होनी चाहिए, जहां छात्र और अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज कर सकें।

प्रशासन की जवाबदेही तय होनी चाहिए

इस पूरे प्रकरण में डीईओ और कलेक्टर की भूमिका पर सवाल उठना स्वाभाविक है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारियों को निभाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। जिन लोगों ने परीक्षा में धांधली की है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसमें दोषी अधिकारियों को निलंबित करना और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना शामिल है।

होना चाहिए जांच, मुख्यमंत्री ले संज्ञान में

इस घटना की पारदर्शी जांच होनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। समाज को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए और ऐसे मामलों में अपनी आवाज उठानी चाहिए। मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ता, और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग इस मुद्दे को उजागर कर सकते हैं और प्रशासन पर दबाव बना सकते हैं कि वह अपनी जिम्मेदारियां निभाए।नवोदय विद्यालय की परीक्षा में हुई धांधली न केवल परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है, बल्कि यह गरीब बच्चों के भविष्य के लिए भी एक गंभीर खतरा है। प्रशासन को इस मामले में तुरंत सख्त कदम उठाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। जब तक परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं बनाया जाएगा, तब तक गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता रहेगा। यह आवश्यक है कि समाज इस मुद्दे को गंभीरता से ले और इसे दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए।

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