सागर- किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के नाम बैंक अधिकारियों की सांठगांठ से हुए फर्जीवाड़े में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने जांच के बाद बैंक मैनेजर सहित कुल 15 लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज किया है। इस फर्जीवाड़े में एक वकील का नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने दलालों द्वारा तैयार जाली दस्तावेजों को प्रमाणित किया था। तत्कालीन बैंक मैनेजर ने दलालों के साथ मिलकर खसरा, बी-1 में भूमि का रकबा बढ़ाया और फसल के कॉलम में कमर्शियल शॉप दिखाकर 16 लोगों के नाम पर 82.44 लाख रुपए के ऋण स्वीकृत कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की थी।
निरीक्षक संजय बेड़िया ने बताया कि बैंक के फर्जीवाड़े की शिकायत 2016 में हुई थी। बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा सिरोंजा के बैंक अधिकारी सहित अन्य पर केसीसी के ऋण स्वीकृत कराने में नियमों का पालन न कर बैंक से साथ धोखाधड़ी की गई है। बैंक प्रबंधन के द्वारा सहयोग नहीं किए जाने के कारण मामले की जांच ९ साल बाद पूरी हो सकी।
उनके पास से मोबाइल फोन, चार चेक, बैंक पासबुक और अन्य कई फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा सिरोंजा की तत्कालीन शाखा प्रबंधक अर्चना बाघमारे ने गजेंद्र सिंह व कमलेश अहिरवार (दलाल) के साथ मिलकर कृषि भूमि का रकबा, उपजाई जाने वाली फसलों, पूर्व से बंधक भूमि आदि तथ्यों को निजी व्यक्तियों की सहभागिता से छिपाकर दस्तावेजों में कूटरचना कर केसीसी किसान क्रेडिट कार्ड ऋण स्वीकृति किए गए। ऋण जारी करने के पहले निरीक्षण कार्य में भी बैंक मैनेजर ने सही सत्यापन नहीं किया। बैंक मैनेजर द्वारा पैनल अधिवक्ता बैंक से अधिकृत अधिवक्ता से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त न करते हुए अन्य अधिवक्ता वीएसजेबी राणा से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त की गई। कूटरचित दस्तावेजों को अधिवक्ता वीएसजेबी राणा उर्फ वीणू राणा के द्वारा प्रमाणित किया गया। इस फर्जीवाड़े को सभी ने मिलकर सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया।
इन पर दर्ज हुई एफआइआर
इस मामले में जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन बैंक मैनेजर अर्चना बाघमारे, दलाल गजेंद्र सिंह व कमलेश अहिरवार, अधिवक्ता वीएसजेबी राणा उर्फ वीणू राणा और अपात्र कृषक दौलत सिंह, प्रेमलाल कुर्मी, बल्वेद सिंह, कामता सिंह, राघवेंद्र सिंह, विजय सिंह, लीलाधर सिंह, पंचम सिंह, रामप्रसाद साहू, हरिबाई, रघुराज घोषी के विरुद्ध जालसाजी का केस दर्ज किया।
वहीं ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच में अन्य लोगों के शामिल होने पर भी संदेह जताया है। जांच के बाद उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जा सकती है।