मध्यप्रदेश

अवैध खनन और खनिज रायल्टी की चोरी ड्रोन ने पकड़ीं, लगाया 8 करोड़ का जुर्माना

कलयुग की कलम से रामेश्वर त्रिपाठी की रिपोर्ट

हाल में ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालय ने छिंदवाड़ा के पार्ढुना में एक प्रकरण पकड़ा जिसमें लीज जारी नहीं हुई और खनन शुरू कर दिया गया। इस पर 22 लाख रुपए का जुर्माना लगाकर प्रदेश शासन को पत्र लिखा गया है। वहीं समय पर मासिक विवरणी और खान योजना जमा नहीं करने के अलावा अन्य विसंगतियों पर 8 करोड़ जुर्माना वसूला।
ब्यूरो सेटेलाइट से भी निगरानी की योजना बना रहा है। अभी ज्यादातर काम मैनुअल होता था। मगर खनन के क्षेत्र में बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखकर प्र₹ियाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है। ऐसे में कामकाज सरल हो गया है। नीलाम खदानों की निगरानी में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाया जा रहा है। इसे खनन टेनामेंट प्रणाली भी कहा जाता है। इसमें राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआइसी) के सहयोग काम किया जा रहा है। वर्तमान में पटटाधारी, व्यापारी और भंडारण के लिए पंजीयन, मासिक एवं वार्षिक विवरणी, खनन योजना दस्तावेज बनाना व विक्रय मूल्य की गणना में यही मॉडयूल्स अपनाए जा रहे हैं।
दो राज्यों के 55 जिलों का मुख्यालय: खनन क्षेत्र में भारत सरकार के सलाहकार की भूमिका निभाने वाले भारतीय खान ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालय का कार्यक्षेत्र खनिज की प्रधानता वाले मध्यप्रदेश के साथ ही उत्तरप्रदेश के 55 जिलों तक फैला है। इसी प्रकार उत्तरप्रदेश के दस सीमावर्ती इलाके भी इसमें शामिल हैं। इसके अंतर्गत इन जिलों की 680 खदानें आती हैं। इसमें 296 कार्यशील खदानें हैं। जबलपुर की बात करें तो 46 खदानें इसके अंतर्गत है। सारी खदाने प्रधान खनिजों की हैं।

प्रधान खनिजों की देखरेख व संरक्षण मुख्य काम

समय के साथ ब्यूरो ने अपनी कार्यप्रणाली को ऑनलाइन कर दिया है। इसलिए विभाग के पास मासिक विवरणी समय पर आ रही है। यही नहीं राज्य में खनिजवार औसत वि₹य मूल्य की घोषणा भी समय पर हो रही है। इससे राज्य शासन को खदानों से निकलने वाले खनिजों से रायल्टी की वसूली में आसानी हो रही है।

विभाग अपनी समस्त कार्यप्रणाली को डिजीटाइज कर रहा है। काफी मॉडयूल्स को अपनाया भी जा रहा है। इसका फायदा खदानों की निगरानी के साथ ही केंद्र और राज्य शासन के राजस्व बढ़ाने में हुआ है। हाल में छिंदवाड़ा में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए गड़बड़ी पकड़ी है। इसकी जानकारी शासन को भेजी जा चुकी है।

– पुखराज नेणिवाल, क्षेत्रीय खान नियंत्रक, भारतीय खान ब्यूरो

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