सिहोरा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सिहोरावासियों ने पूछा – “16 नवंबर का वादा कौन निभाएगा?”शिवराज बोले – “मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा”
कलयुग की कलम से राकेश यादव

सिहोरा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सिहोरावासियों ने पूछा – “16 नवंबर का वादा कौन निभाएगा?”शिवराज बोले – “मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा”
कलयुग की कलम सिहोरा – बीते दिन कटनी की ओर सड़क मार्ग से जा रहे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सिहोरावासियों ने अचानक रोककर लंबे समय से लंबित पड़े सिहोरा जिला बनाने के वादे की याद दिलाई। स्थानीय नागरिकों ने उनसे सीधा सवाल किया कि “16 नवंबर 2023 को सिहोरा जिला बनाने का जो आश्वासन आपने दिया था, अब उस वादे को कौन पूरा करेगा?” इस अप्रत्याशित सवाल पर शिवराज कुछ क्षण के लिए सकते में आ गए। हालांकि तुरंत स्वयं को संभालते हुए उन्होंने कहा कि वे इस विषय पर प्रदेश के मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों के पहले सिहोरा जिला आंदोलन पूरे क्षेत्र का बड़ा मुद्दा बन गया था। आंदोलन की बढ़ती लोकप्रियता और जनता के आक्रोश को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 16 नवंबर 2023 को आंदोलनकारियों से फोन पर चर्चा कर आश्वासन दिया था कि यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार दोबारा बनती है तो सरकार बनने के तुरंत बाद सिहोरा को जिला घोषित किया जाएगा।
चुनाव परिणामों के बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार तो बनी, विधायक भी चुने गए, लेकिन शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद पर वापस नहीं आए। इसके बाद से सिहोरा जिला बनाने का मुद्दा ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि इस विषय को मजबूती से उठा रहे हैं, न ही भाजपा संगठन और न ही स्वयं शिवराज सिंह चौहान इसकी सार्वजनिक रूप से चर्चा कर रहे हैं। इसी उदासीनता से क्षुब्ध होकर लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति एक बार फिर सक्रिय हो गई है।
समिति के सदस्यों का कहना है कि सिहोरा जिला की मांग मात्र राजनीतिक वादा नहीं, बल्कि क्षेत्र की decades पुरानी आवश्यकता है। प्रशासनिक दृष्टि से भी सिहोरा उपयुक्त भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, दायरा और संसाधनों के आधार पर जिला बनने की पात्रता पूरी करता है। इसके बावजूद बार-बार की घोषणाएँ कागज़ों से आगे नहीं बढ़ पा रहीं।
इसी नाराजगी के चलते आंदोलन समिति ने पिछले महीनों में खून के दीए जलाकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। इसके बाद भूमि समाधि सत्याग्रह भी किया गया, जिसने पूरे प्रदेश में इस मांग को नई चेतना दी। अब आंदोलनकारियों ने साफ संकेत दे दिया है कि यदि सरकार अपना वादा पूरा नहीं करती, तो 9 दिसंबर से आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं यह वादा किया था, तो उन्हें इस मुद्दे पर पहल करनी चाहिए थी। लोगों का आरोप है कि नेतृत्व बदलने के बाद राजनीतिक स्तर पर इस मांग को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि आंदोलनकारियों को सिर्फ आश्वासनों के सहारे छोड़ दिया गया है।
सिहोरा में शिवराज के सामने वादा पूरा होने की मांग उठने के बाद अब एक बार फिर यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति में गरमा गया है। जनता को उम्मीद है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज अपनी प्रतिबद्धता निभाते हुए मुख्यमंत्री से ठोस चर्चा करेंगे और सरकार इस विषय पर स्पष्ट निर्णय लेगी। दूसरी ओर आंदोलन समिति भी अपने तेवर में कोई नरमी लाने के मूड में नहीं है। अब देखने वाली बात होगी कि 9 दिसंबर से पहले सरकार बातचीत की पहल करती है या नहीं।
सिहोरा जिला बनाने को लेकर बढ़ते जनसमर्थन और आंदोलन की तीव्रता से यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा अब केवल वादा निभाने का नहीं, बल्कि सम्मान और विश्वास का बन चुका है। सरकार की ओर से शीघ्र ठोस कदम न उठाए जाने पर आंदोलन और बड़ा रूप लेने की संभावना है।




